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भारत में आयोजित होने जा रहा तीसरा VOGSS क्यों महत्वपूर्ण है? - Voice of the Global South Summit

Significance Of VOGSS: भारत 17 अगस्त को तीसरे वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन (VOGSS) की मेजबानी करेगा. जानकारी के मुताबिक VOGSS शिखर सम्मेलन वर्चुअल फॉर्मेट में आयोजित किया जाएगा.

भारत में आयोजित होने जा रहा तीसरा VOGSS क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत में आयोजित होने जा रहा तीसरा VOGSS क्यों महत्वपूर्ण है? (ANI)
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By Aroonim Bhuyan

Published : Aug 16, 2024, 3:23 PM IST

नई दिल्ली: भारत 17 अगस्त को तीसरे वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन (VOGSS) की मेजबानी करेगा. यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है, जब रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास के बीच युद्ध जारी है, जिससे खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसी पहले से मौजूद वैश्विक चुनौतियां और बढ़ गई हैं. बता दें कि इससे पहले भारत 2023 में जी-20 की अध्यक्षता कर चुका है.

जानकारी के मुताबिक VOGSS शिखर सम्मेलन वर्चुअल फॉर्मेट में आयोजित किया जाएगा. VOGSS भारत द्वारा शुरू की गई एक पहल है, जिसका उद्देश्य ग्लोबल साउथ के देशों को साझा चुनौतियों और प्राथमिकताओं पर चर्चा करने के लिए एक साथ लाना है. यह दक्षिण-दक्षिण सहयोग के महत्व पर जोर देता है, जहां विकासशील देश सहयोग कर सकते हैं, संसाधनों को साझा कर सकते हैं और एक-दूसरे के विकास लक्ष्यों का समर्थन कर सकते हैं. यह वैश्विक दक्षिण के देशों के बीच एकजुटता बनाने और वैश्विक उत्तर की पारंपरिक शक्तियों पर निर्भरता को कम करने का प्रयास करता है.

विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, तीसरा VOGSS, जिसका व्यापक विषय 'एन इम्पावर्ड ग्लोबल साउथ फॉर ए सस्टेनेबल फ्यूचर' है, पिछले शिखर सम्मेलनों में विभिन्न जटिल चुनौतियों पर चर्चाओं को आगे बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगा, जो विश्व को प्रभावित कर रहे हैं. इनमें संघर्ष, खाद्य, ऊर्जा सुरक्षा संकट, जलवायु परिवर्तन शामिल हैं, जो सभी विकासशील देशों को असमान और गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं.

वैश्विक दक्षिण की चुनौतियों पर चर्चा
बयान में कहा गया है, "शिखर सम्मेलन में ग्लोबल साउथ के देश वैश्विक दक्षिण के लिए चुनौतियों, प्राथमिकताओं और समाधानों पर विचार-विमर्श जारी रखेंगे, खासकर विकास के क्षेत्र में." यहां यह उल्लेखनीय है कि पिछले साल शिखर सम्मेलन में वैश्विक दक्षिण के 100 से अधिक देशों ने भाग लिया था.

विदेश मंत्रालय ने कहा, " पिछले साल भारत में शिखर सम्मेलनों में विकासशील देशों के नेताओं से प्राप्त इनपुट और फीडबैक पिछले वर्ष भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के एजेंडे और चर्चाओं में उचित रूप से परिलक्षित हुए, जिसमें जी-20 नई दिल्ली नेताओं का घोषणापत्र भी शामिल है."

जी-20 प्रेसीडेंसी के दौरान भारत की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक वैश्विक दक्षिण को इंटर-गवर्नमेंटल मंच की उच्च तालिका में लाना है. दिसंबर 2022 में इंडोनेशिया से जी-20 प्रेसीडेंसी संभालने के बाद से ही भारत ने कहा था कि वह ग्लोबल साउथ की आवाज बनेगा. भारत की पहल पर पिछले साल 9-10 सितंबर को नई दिल्ली में इंटर-गवर्नमेंटल मंच के वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान 55 देशों के अफ्रीकी संघ (AU) को जी-20 का हिस्सा बनाया गया था.

जनवरी 2023 में हुआ था पहला VOGSS
बता दें कि भारत द्वारा G20 की अध्यक्षता संभालने के तुरंत बाद पहला VOGSS 12-13 जनवरी 2023 को आयोजित किया गया था. शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि भविष्य में ग्लोबल साउथ का सबसे बड़ा स्टेक्स है. उन्होंने कहा था, " दुनिया के तीन-चौथाई लोग इन देशों में रहता हैं. हमें भी समान आवाज मिलनी चाहिए. इसलिए, जैसे-जैसे वैश्विक शासन का आठ दशक पुराना मॉडल धीरे-धीरे बदल रहा है, हमें उभरती हुई व्यवस्था को आकार देने की कोशिश करनी चाहिए."

पिछले साल 17 नवंबर को जी20 प्रेसीडेंसी के अंत में आयोजित दूसरे VOGSS के दौरान पीएम मोदी ने ग्लोबल साउथ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस या DAKSHIN का भी उद्घाटन किया, जिसका उद्देश्य ज्ञान भंडार और थिंक टैंक के रूप में कार्य करके विकासशील देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है. भारत ने ग्लोबल साउथ के लिए पांच C का भी आह्वान किया. इनमें कंसलटेशन, कोओपरेशन, कम्युनिकेशन, क्रिएटिविटी और कैपेसिटी बिल्डिंग शामिल हैं.

17 अगस्त का शिखर सम्मेलन भारत के जी20 प्रेसीडेंसी के बाद पहला शिखर सम्मेलन होगा. विदेश मंत्रालय के अनुसार, उद्घाटन सत्र राज्य/सरकार के प्रमुख स्तर पर होगा और इसकी मेजबानी प्रधानमंत्री मोदी करेंगे. इसमें अतिरिक्त 10 मंत्रिस्तरीय सत्र भी होंगे.

यह भी पढ़ें- भारत में जल-संबंधी संकट के लिए कैसे होगा समाधान तैयार

नई दिल्ली: भारत 17 अगस्त को तीसरे वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन (VOGSS) की मेजबानी करेगा. यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है, जब रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास के बीच युद्ध जारी है, जिससे खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसी पहले से मौजूद वैश्विक चुनौतियां और बढ़ गई हैं. बता दें कि इससे पहले भारत 2023 में जी-20 की अध्यक्षता कर चुका है.

जानकारी के मुताबिक VOGSS शिखर सम्मेलन वर्चुअल फॉर्मेट में आयोजित किया जाएगा. VOGSS भारत द्वारा शुरू की गई एक पहल है, जिसका उद्देश्य ग्लोबल साउथ के देशों को साझा चुनौतियों और प्राथमिकताओं पर चर्चा करने के लिए एक साथ लाना है. यह दक्षिण-दक्षिण सहयोग के महत्व पर जोर देता है, जहां विकासशील देश सहयोग कर सकते हैं, संसाधनों को साझा कर सकते हैं और एक-दूसरे के विकास लक्ष्यों का समर्थन कर सकते हैं. यह वैश्विक दक्षिण के देशों के बीच एकजुटता बनाने और वैश्विक उत्तर की पारंपरिक शक्तियों पर निर्भरता को कम करने का प्रयास करता है.

विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, तीसरा VOGSS, जिसका व्यापक विषय 'एन इम्पावर्ड ग्लोबल साउथ फॉर ए सस्टेनेबल फ्यूचर' है, पिछले शिखर सम्मेलनों में विभिन्न जटिल चुनौतियों पर चर्चाओं को आगे बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगा, जो विश्व को प्रभावित कर रहे हैं. इनमें संघर्ष, खाद्य, ऊर्जा सुरक्षा संकट, जलवायु परिवर्तन शामिल हैं, जो सभी विकासशील देशों को असमान और गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं.

वैश्विक दक्षिण की चुनौतियों पर चर्चा
बयान में कहा गया है, "शिखर सम्मेलन में ग्लोबल साउथ के देश वैश्विक दक्षिण के लिए चुनौतियों, प्राथमिकताओं और समाधानों पर विचार-विमर्श जारी रखेंगे, खासकर विकास के क्षेत्र में." यहां यह उल्लेखनीय है कि पिछले साल शिखर सम्मेलन में वैश्विक दक्षिण के 100 से अधिक देशों ने भाग लिया था.

विदेश मंत्रालय ने कहा, " पिछले साल भारत में शिखर सम्मेलनों में विकासशील देशों के नेताओं से प्राप्त इनपुट और फीडबैक पिछले वर्ष भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के एजेंडे और चर्चाओं में उचित रूप से परिलक्षित हुए, जिसमें जी-20 नई दिल्ली नेताओं का घोषणापत्र भी शामिल है."

जी-20 प्रेसीडेंसी के दौरान भारत की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक वैश्विक दक्षिण को इंटर-गवर्नमेंटल मंच की उच्च तालिका में लाना है. दिसंबर 2022 में इंडोनेशिया से जी-20 प्रेसीडेंसी संभालने के बाद से ही भारत ने कहा था कि वह ग्लोबल साउथ की आवाज बनेगा. भारत की पहल पर पिछले साल 9-10 सितंबर को नई दिल्ली में इंटर-गवर्नमेंटल मंच के वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान 55 देशों के अफ्रीकी संघ (AU) को जी-20 का हिस्सा बनाया गया था.

जनवरी 2023 में हुआ था पहला VOGSS
बता दें कि भारत द्वारा G20 की अध्यक्षता संभालने के तुरंत बाद पहला VOGSS 12-13 जनवरी 2023 को आयोजित किया गया था. शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि भविष्य में ग्लोबल साउथ का सबसे बड़ा स्टेक्स है. उन्होंने कहा था, " दुनिया के तीन-चौथाई लोग इन देशों में रहता हैं. हमें भी समान आवाज मिलनी चाहिए. इसलिए, जैसे-जैसे वैश्विक शासन का आठ दशक पुराना मॉडल धीरे-धीरे बदल रहा है, हमें उभरती हुई व्यवस्था को आकार देने की कोशिश करनी चाहिए."

पिछले साल 17 नवंबर को जी20 प्रेसीडेंसी के अंत में आयोजित दूसरे VOGSS के दौरान पीएम मोदी ने ग्लोबल साउथ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस या DAKSHIN का भी उद्घाटन किया, जिसका उद्देश्य ज्ञान भंडार और थिंक टैंक के रूप में कार्य करके विकासशील देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है. भारत ने ग्लोबल साउथ के लिए पांच C का भी आह्वान किया. इनमें कंसलटेशन, कोओपरेशन, कम्युनिकेशन, क्रिएटिविटी और कैपेसिटी बिल्डिंग शामिल हैं.

17 अगस्त का शिखर सम्मेलन भारत के जी20 प्रेसीडेंसी के बाद पहला शिखर सम्मेलन होगा. विदेश मंत्रालय के अनुसार, उद्घाटन सत्र राज्य/सरकार के प्रमुख स्तर पर होगा और इसकी मेजबानी प्रधानमंत्री मोदी करेंगे. इसमें अतिरिक्त 10 मंत्रिस्तरीय सत्र भी होंगे.

यह भी पढ़ें- भारत में जल-संबंधी संकट के लिए कैसे होगा समाधान तैयार

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