हैदराबाद: अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है. ट्रंप 2020 में बाइडेन से चुनाव हार गए थे. वहीं, दोनों उम्मीदवारों के बीच हुई चुनाव पूर्व टीवी डिबेट ने पांच करोड़ से अधिक दर्शकों को 90 मिनट तक स्क्रीन से चिपकाए रखा. इस चुनावी डिबेट पर मीडिया के दिग्गजों द्वारा घंटों गहन विश्लेषण किया जाता है और वैश्विक स्तर पर चर्चा की जाती है, क्योंकि इसमें भविष्य के राष्ट्रपति की नीतियां, वैश्विक नजरिया और दृष्टिकोण झलकता है.
इस बहस में मुख्य मुद्दा वर्तमान राष्ट्रपति बाइडेन के प्रदर्शन, उनकी उम्र, फिटनेस विशेष रूप से उनकी याददाश्त के बारे में था. यह कोई नई चिंता नहीं है क्योंकि पिछले चार वर्षों में 81 वर्षीय बाइडेन कई मौकों पर भाषण देते समय और प्रेस कॉन्फ्रेंस में अचानक अपनी याददाश्त खो बैठे हैं, या परेशान दिखे या जुबान फिसल गई, और कई बार उन्हें मंच से उतरने में भी सहारा लेना पड़ा. इसलिए, 86 वर्ष की आयु तक अगले चार वर्षों में उनकी याददाश्त कैसी रहेगी? क्या वह अमेरिका का नेतृत्व कर सकते हैं, दो गुटों में बंटे समाज और कई अंतरराष्ट्रीय विरोधियों को मैनेज कर पाएंगे?
भले ही शारीरिक रूप से शानदार प्रदर्शन की उम्मीदें अधिक नहीं थीं, लेकिन इस पैमाने पर राष्ट्रपति बाइडेन बुरी तरह विफल रहे. बाइडेन में मंच पर धीमी चाल से शुरुआत की, उनका भाषण अस्पष्ट था और कई बार वह खाली नजर आए, वे स्पष्ट नहीं थे. कई बार उन्होंने सैकड़ों हजारों की जगह हजारों की बात करते हुए या अरबों की जगह खरबों की बात करते हुए संख्याओं को मिला दिया, जबकि वे नौकरियों, टैक्स और अर्थव्यवस्था के बारे में बात कर रहे थे. सबसे बड़ी गड़बड़ी तब हुई जब स्वास्थ्य सेवा पर उनका तर्क बेमेल था. वह अपनी सोच से हटकर बेतुके ढंग से कह रहे थे कि 'हमने आखिरकार मेडिकेयर को हरा दिया'. मेडिकेयर बुजुर्गों के स्वास्थ्य सेवा के लिए एक सरकारी योजना है.
इजराइल नीति पर समान दिखे बाइडेन-ट्रंप
दूसरी ओर, ट्रंप बहुत ही चुस्त दिखाई दिए, उन्होंने एक-दूसरे की नीतियों के विपरीत अपनी सरकार की नीतियों का बखान किया. पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने बताया कि अपने कार्यकाल में कैसे उन्होंने कोविड महामारी के बावजूद मुद्रास्फीति (महंगाई) को संभाला, टैक्स में पर्याप्त कटौती की और नौकरियों में वृद्धि की. दोनों उम्मीदवार अमेरिका की इजराइल नीति पर समान दिखे, हालांकि फिर से बाइडेन अपनी स्थिति को बमुश्किल ही स्पष्ट कर सके और विदेश नीति पर अपर्याप्त चर्चा हुई. गर्भपात के मुद्दे पर, जहां ट्रंप के नेतृत्व में कंजर्वेटिव सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले (रो बनाम वेड) को पलट दिया था और गर्भपात को अवैध बना दिया था. बाइडेन ने अपनी स्थिति बनाए रखी, जिसका कई महिला मतदाताओं ने समर्थन किया.
ट्रंप ने उन पर लगे कई मामलों, यहां तक कि गुंडागर्दी के मामलों में दोषसिद्धि के बारे में बाइडेन द्वारा पूछे गए सवालों को टाल दिया. 6 जनवरी, 2021 को पिछला चुनाव हारने के बाद ट्रंप के समर्थकों ने अमेरिकी कांग्रेस (संसद) पर धावा बोल दिया था. इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप पर समर्थकों को भड़काने का आरोप लगा था.
अवैध प्रवासन और अपराध पर ट्रंप ने बाजी मारी
प्रवासन के ज्वलंत मुद्दे पर, ट्रंप अपनी बयानबाजी से मतदाताओं को यह विश्वास दिलाने की कोशिश करते दिखे कि दक्षिण अमेरिका से अमेरिका में अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या से वे अधिक सख्ती से निपटेंगे. ट्रंप अमेरिका में अपराध में वृद्धि के बारे में लोगों की आशंकाओं और इस मुद्दे से निपटने में बाइडेन प्रशासन की कमजोर कार्यप्रणाली की कुछ बुनियादी आलोचनाओं का फायदा उठाने में सफल रहे हैं. वहीं, बाइडेन बहस के दौरान न तो इस मुद्दे को स्पष्टता से समझा पाए और न ही शब्दों के जोर से. लेकिन बाइडेन की व्याकुलता के जवाब में ट्रंप के जवाब इस बहस का मुख्य आकर्षण बन गए.
डिबेट में बाइडेन के खराब प्रदर्शन ने डेमोक्रेटिक पार्टी के चुनाव प्रबंधकों को चिंता में डाल दिया है, क्योंकि बाइडेन चुनाव अभियान में पहले से ही उम्र, याददाश्त और जीवन-यापन का खर्च बढ़ने के मुद्दे पर घिरे हुए हैं, जो सामान्य मतदाताओं को चिंतित करते हैं. जनमत सर्वेक्षणों से पता चलता है कि बाइडेन अधिकांश राष्ट्रीय और स्विंग राज्यों में ट्रंप से पीछे हैं - जो अमेरिकी चुनावों के परिणाम को निर्धारित करेगा.
बाइडेन की जगह नया उम्मीदवार उतारने की चर्चा...
इस डिबेट के बाद, कई डेमोक्रेट्स ने अपनी चिंता व्यक्त की है और उनका कहना है कि अगर डेमोक्रेट चुनाव में जीतना चाहते हैं तो बाइडेन की जगह किसी अन्य उम्मीदवार को मैदान में उतारना चाहिए. इस तरह के बदलाव के लिए आवाज उठ रही है, लेकिन बराक ओबामा जैसे डेमोक्रेटिक पार्टी के शीर्ष नेताओं ने इसका विरोध किया है. उनका कहना है कि इस डिबेट ने बाइडेन की जीत की संभावना को खत्म नहीं किया है. उनका मानना है कि बाइडेन प्रशासन ने आम लोगों के लिए बहुत कुछ किया है.
वहीं, ट्रंप ध्रुवीकरण करने के लिए जाने जाते हैं. मध्य अमेरिका में उनके पास एक बड़ा रूढ़िवादी और ईसाई समर्थन आधार है. बाइडेन और डेमोक्रेट को पारंपरिक रूप से अश्वेत मतदाताओं और बड़ी संख्या में अल्पसंख्यकों का समर्थन प्राप्त है. हालांकि, इस बार इन अनिच्छुक समुदायों को अपना वोट डालने के लिए राजी करना काफी मुश्किल होगा. कॉलेज के छात्र गाजा में फिलिस्तीनियों के नरसंहार में इजराइल को अमेरिकी सैन्य समर्थन का विरोध करते हुए महीनों से सड़कों पर हैं. इसके अलावा, कई मुस्लिम मतदाता बाइडेन के यहूदी देश इजराइल को समर्थन से अलग-थलग हैं. मुस्लिम वोटर इसे गाजा में नरसंहार में मिलीभगत के रूप में देखते हैं. वहीं, अमेरिका के प्रसिद्ध राजनीतिक परिवार कैनेडी से रॉबर्ट कैनेडी जूनियर स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में हैं. वह डेमोक्रेट के उदार वोटों में कटौती कर सकता है. हालांकि पारंपरिक रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव दो-दलों के बीच ही होता है.
19 अगस्त को डेमोक्रेटिक पार्टी करेगी उम्मीदवार की घोषणा
अमेरिका में चुनावी माहौल तैयार हो चुका है. 19 अगस्त को शिकागो में डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन होगा, जिसमें आधिकारिक तौर पर डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार की घोषणा की जाएगी. वहीं, रिपब्लिकन पार्टी में ट्ंरप की उम्मीदवारी पर कोई मतभेद नहीं है और पार्टी जुलाई के मध्य में आधिकारिक रूप से उम्मीदवार की घोषणा करेगी. इसके बाद औपचारिक रूप से चुनाव अभियान शुरू होगा.
अगस्त में दूसरी डिबेट
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर पहली डिबेट की मेजबानी करने वाले सीएनएन टीवी न्यूज नेटवर्क ने अगस्त में दूसरी डिबेट की घोषणा की है. लेकिन सवाल यह है कि क्या बाइडेन के सलाहकार और डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रबंधक उन्हें फिर से डिबेट में बेनकाब करेंगे, क्योंकि पहली डिबेट चुनाव अभियान के लिए विनाशकारी रही है. वे चाहते हैं कि बाइडेन केवल टेलीप्रॉम्प्टर के सामने बहुत नियंत्रित माहौल में जयकारे लगा रहे समर्थकों के सामने बोलें. चुनाव प्रबंधक एक और डिबेट से इनकार कर सकते हैं, भले ही राष्ट्रपति चुनाव की बहस अमेरिकी लोकतंत्र की पहचान रही है, और अनिश्चित मतदाता पिछले कुछ वर्षों की समीक्षा के अलावा इस डिबेट के आधार पर अपना विकल्प चुनते हैं.
कुल मिलाकर, यह अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की बहस और इसके बाद के घटनाक्रम दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए चिंता और मनोरंजन दोनों प्रदान कर रहे हैं, जो अमेरिकी मतदाताओं के साथ-साथ एक बहुत ही पारदर्शी लोकतांत्रिक प्रणाली का सुंदर प्रदर्शन भी देख रहे हैं.
-(अनुराधा चिनॉय- जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर और ट्रांसनेशनल इंस्टीट्यूट में एसोसिएट फेलो हैं)
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