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कोस्ट गार्ड एक्सरसाइज पर चीनी 'जासूस' की नजर, मालदीव ने किया 'खेल'

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 23, 2024, 6:39 PM IST

Cost guard exercise in Maldives : सुरक्षा चिंताओं के बीच भारत, मालदीव और श्रीलंका के बीच 'दोस्ती-16' नाम से कोस्ट गार्ड का एक एक्सरसाइज चल रहा है. एक्सरसाइज मालदीव में हो रहा है. लेकिन इस एक्सरसाइज को लेकर एक विवाद भी जुड़ गया है. दरअसल, चीन का एक 'जासूसी' जहाज इस एक्सरसाइज पर नजर रख रहा है, और इस जहाज को मालदीव ने शरण दे रखा है. मालदीव खुद यहां पर 'दोहरी' भूमिका निभा रहा है. पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार अरुणिम भुइंया की एक रिपोर्ट.

coast guard excercise
कोस्ट गार्ड एक्सरसाइज

नई दिल्ली : चीन के साथ मिलकर मालदीव ने फिर नई चाल चलने की कोशिश की है. उसने एक तरफ कोस्ट गार्ड एक्सरसाइज का आयोजन किया है, जिसमें मालदीव के अलावा भारत और श्रीलंका भाग ले रहे हैं. वहीं दूसरी ओर मालदीव ने एक्सरसाइज वाली जगह से सटे इलाकों में चीनी जासूसी जहाज की एंट्री दिलवा दी है. इसके लेकर भारत असहज है.

भारतीय और श्रीलंकाई कोस्ट गार्ड शिप एक्सरसाइज में भाग लेने के लिए गुरुवार को मालदीव पहुंचे. यहां पर तीनों ही देशों के कोस्ट गार्ड एक्सरसाइज में हिस्सा ले रहे हैं. इस एक्सरसाइज का नाम 'दोस्ती 16' रखा गया है. तीसरा देश मालदीव खुद है. हालांकि, इस दौरान माले पोर्ट पर चीन का भी एक वेसेल देखने को मिला, जिसको लेकर इस एक्सरसाइज की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं.

औपचारिक रूप से यह बताया गया है कि चीन का जियांग यांग हांग-3 वेसेल रिसर्च वर्क करने के लिए एक महीना पहले ही मालदीव पहुंचा था. भारत ने जब इस पर आपत्ति जाहिर की, तो मालदीव ने भारत को आश्वासन दिया है कि चीनी वेसेल को अनुसंधान की इजाजत नहीं दी जाएगी और उनको कर्मचारियों के रोटेशन और मैंटनेंस की ही अनुमति मिली है.

वैसे आपको बता दें कि भारत ने गत दिसंबर में ही श्रीलंका और मालदीव, दोनों ही देशों को चीनी वेसेल की दक्षिण हिंद महासागर में एंट्री दिलाने पर आपत्ति दर्ज की थी. श्रीलंका ने भारत के इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया और उसने अगले एक साल के लिए किसी भी विदेशी वेसेल को अनुसंधान कार्य करने की अनुमति नहीं देने का भरोसा दिया. लेकिन मालदीव ने भारत के इस अनुरोध को ठुकरा दिया.

मालदीव ने चीनी वेसेल को आने का परमिशन ग्रांट कर दिया. भारत ने इसे जासूसी वेसेल बताया है. वेसेल इस महीने की शुरुआत में श्रीलंका के जलक्षेत्र में अनुसंधान शुरू करने वाला था. भारत का यह स्टैंड शुरू से ही रहा है कि वह दक्षिण हिंद महासागर में किसी भी जासूसी वेसेल को आने की इजाजत नहीं दे सकता है. भारत यह मानता है कि इस क्षेत्र में होने वाली हर हरकत का भारत की सुरक्षा से गहरा संबंध है.

रक्षा मामलों के जानकार आनंद कुमार ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत में बताया, 'भारत, श्रीलंका और मालदीव के इस एक्सरसाइज को लेकर कुछ भी असामान्य नहीं है. लेकिन एक्सरसाइज एरिया के नजदीक किसी चीनी जहाज का आना संदेह उत्पन्न करता है. बहुत संभव हो कि उस जहाज में जासूसी उपकरण छिपाकर रखा गया हो. दोस्ती एक्सरसाइज तो रेगुलर होता रहता है. लेकिन किसी दूसरे देश के जहाज को ताकत के प्रदर्शन के लिए इजाजत देना पूरी तरह से गलत है.'

भारत और मालदीव के बीच 'दोस्ती एक्सरसाइज' की शुरुआत 1991 में हुई थी. 2012 में इस एक्सरसाइज में श्रीलंका को भी साथ कर लिया गया. इसके तहत समुद्री इलाकों में दुर्घटना होने पर किस तरह से निपटा जाए, प्रदूषण से कैसे निजात पाएं, ऑयल स्पिल होने पर उससे कैसे कंट्रोल किया जाए, इस पर मिलकर काम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था.

इस एक्सरसाइज का उद्देश्य दोस्ती को मजबूत करना, आपसी तालमेल के कैसे बेहतर किया जाए, ऑपरेशन क्षमता कैसी है, तीनों देशों के कोस्ट गार्ड के बीच आपसी परिचालन क्षमता और अंतर संचालनीयता का अभ्यास होता है. इससे पहले 2021 में यह एक्सरसाइज हुआ था. हरेक दो साल पर इसे आयोजित किया जाता है. इस बार यह एक्साइज 22 फरवरी से 25 फरवरी तक है.

मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, 'हम भारत और श्रीलंका का तीन देशों के इस संयुक्त अभ्यास में स्वागत करते हैं. हम बांग्लादेश का भी स्वागत करते हैं, जो इस एक्सरसाइज के दौरान पर्यवेक्षक के तौर पर भाग ले रहा है.'

जब से मालदीव में मोहम्मद मुइज्जू राष्ट्रपति बने हैं, तभी से भारत के साथ संबंध खराब हुए हैं. रिश्तों में खटास उत्पन्न हुई है. मुइज्जू भारत विरोधी नारा लगाकर चुनाव जीते हैं. उन्होंने 'इंडिया आउट' का कैंपेन चलाया था. उन्होंने मालदीव से भारतीय सेनाओं की वापसी का आश्वासन दिया था. हालांकि, इन सैनिकों की संख्या 100 से भी कम है और वे मुख्य रूप से मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्यों में मदद पहुंचाते हैं. राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद मुइज्जू ने औपचारिक रूप से भारत से सैनिकों को हटाने का अनुरोध भी किया. भारत इस पर सहमत हो गया है.

पिछले साल दिसंबर महीने में राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर मालदीव ने भारत के साथ हाइड्रोग्राफी एग्रीमेंट को रेन्यू नहीं किया. इस समझौते के तहत भारत मालदीव के किसी भी जलीय इलाकों का अध्ययन कर सकता था. इसमें चट्टानें, लैगून, तटरेखाएं, समुद्री धाराएं और ज्वार का स्तर शामिल हैं.

उसके बाद इसी साल जनवरी में भारत और मालदीव के बीच राजनीतिक विवाद बढ़ गया. दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप का फोटो पोस्ट किया था. इसके जरिए वह लक्षद्वीप को पर्यटक स्थल के तौर पर बढ़ावा देने को प्रमोट कर रहे थे. लेकिन मालदीव में कुछ लोगों ने इसे अपने देश के पर्यटन से जोड़ दिया. उन्होंने प्रचारित किया कि मालदीव का टूरिज्म लक्षद्वीप की ओर ले जाने के लिए इस फोटो को प्रमोट किया जा रहा है. उन लोगों ने पीएम पर अशोभनीय टिप्पणी की भी की.

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर भारतीयों की जबरदस्त प्रतिक्रियाएं देखी गईं थीं. भारत से मालदीव जाने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आ गई. कई लोगों ने मालदीव जाने का प्लान कैंसिल कर दिया. बुकिंग भी रद्द करवा दी.

मालदीव के विपक्षी दलों ने मुइज्जू सरकार के इस रवैए की आलोचना की. आखिरकार सरकार को अपने तीन मंत्रियों को पद से हटाना भी पड़ा. पर, मुइज्जू का रवैया नहीं बदला. वे खुद एक सप्ताह की चीन की यात्रा पर चले गए.

मुइज्जू से पहले मालदीव के तीन राष्ट्रपतियों (इब्राहिम सोलिह, अब्दुल्ला यमीन, मो. नशीद) ने एक परंपरा कायम की थी. शपथ ग्रहण के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा भारत होती थी. लेकिन मुइज्जू ने पहले टर्की और फिर चीन को चुना.

मालदीव ने पिछले साल दिसंबर में चाइना-इंडियन ओशियन रीजन फोरम की दूसरी बैठक में हिस्सा लिया. इस बैठक में ब्लू इकोनोमी पर सहयोग को लेकर बैठक हुई थी. चीन के यून्नान प्रोविंस में यह बैठक थी. इसी बैठक के समय कोलंबो सिक्यूरिटी कॉन्क्लेव भी चल रही थी. लेकिन मालदीव ने अपना शीर्ष प्रतिनिधिमंडल यहां पर नहीं भेजा. यह भारत, श्रीलंका, मालदीव और मॉरिशस का एक संगठन है, जिनका उद्देश्य मैरीटाइम सुरक्षा को मजबूत करना रहा है. इस संगठन में बांग्लादेश और सेशेल्स पर्यवेक्षक हैं.

भारत और मालदीव के बीच रक्षा को लेकर दिसंबर महीने में ही बैठक हुई थी. इसमें भारत के उच्चायुक्त मुनु महावर ने हिस्सा लिया था. मालदीव की ओर से उनके चीफ ऑफ डिफेंस फोर्स ने भागीदारी की थी. सोशल मीडिया पर ले.जन. अब्दुल रहीम अब्दुल लतीफ ने कहा, 'हमने रक्षा सहयोग गतिविधियों की समीक्षा की और अपनी सैन्य-से-सैन्य भागीदारी को आगे बढ़ाने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया.' भारत की ओर से कहा गया, 'साझा सुरक्षा चुनौतियों से निपटने की दिशा में भारत-मालदीव रक्षा सहयोग को और बढ़ाने के लिए मिलकर काम करेंगे.'

ये भी पढ़ें : भारत के इस प्लान से चीन और मालदीव को लगेगा बड़ा झटका !

नई दिल्ली : चीन के साथ मिलकर मालदीव ने फिर नई चाल चलने की कोशिश की है. उसने एक तरफ कोस्ट गार्ड एक्सरसाइज का आयोजन किया है, जिसमें मालदीव के अलावा भारत और श्रीलंका भाग ले रहे हैं. वहीं दूसरी ओर मालदीव ने एक्सरसाइज वाली जगह से सटे इलाकों में चीनी जासूसी जहाज की एंट्री दिलवा दी है. इसके लेकर भारत असहज है.

भारतीय और श्रीलंकाई कोस्ट गार्ड शिप एक्सरसाइज में भाग लेने के लिए गुरुवार को मालदीव पहुंचे. यहां पर तीनों ही देशों के कोस्ट गार्ड एक्सरसाइज में हिस्सा ले रहे हैं. इस एक्सरसाइज का नाम 'दोस्ती 16' रखा गया है. तीसरा देश मालदीव खुद है. हालांकि, इस दौरान माले पोर्ट पर चीन का भी एक वेसेल देखने को मिला, जिसको लेकर इस एक्सरसाइज की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं.

औपचारिक रूप से यह बताया गया है कि चीन का जियांग यांग हांग-3 वेसेल रिसर्च वर्क करने के लिए एक महीना पहले ही मालदीव पहुंचा था. भारत ने जब इस पर आपत्ति जाहिर की, तो मालदीव ने भारत को आश्वासन दिया है कि चीनी वेसेल को अनुसंधान की इजाजत नहीं दी जाएगी और उनको कर्मचारियों के रोटेशन और मैंटनेंस की ही अनुमति मिली है.

वैसे आपको बता दें कि भारत ने गत दिसंबर में ही श्रीलंका और मालदीव, दोनों ही देशों को चीनी वेसेल की दक्षिण हिंद महासागर में एंट्री दिलाने पर आपत्ति दर्ज की थी. श्रीलंका ने भारत के इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया और उसने अगले एक साल के लिए किसी भी विदेशी वेसेल को अनुसंधान कार्य करने की अनुमति नहीं देने का भरोसा दिया. लेकिन मालदीव ने भारत के इस अनुरोध को ठुकरा दिया.

मालदीव ने चीनी वेसेल को आने का परमिशन ग्रांट कर दिया. भारत ने इसे जासूसी वेसेल बताया है. वेसेल इस महीने की शुरुआत में श्रीलंका के जलक्षेत्र में अनुसंधान शुरू करने वाला था. भारत का यह स्टैंड शुरू से ही रहा है कि वह दक्षिण हिंद महासागर में किसी भी जासूसी वेसेल को आने की इजाजत नहीं दे सकता है. भारत यह मानता है कि इस क्षेत्र में होने वाली हर हरकत का भारत की सुरक्षा से गहरा संबंध है.

रक्षा मामलों के जानकार आनंद कुमार ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत में बताया, 'भारत, श्रीलंका और मालदीव के इस एक्सरसाइज को लेकर कुछ भी असामान्य नहीं है. लेकिन एक्सरसाइज एरिया के नजदीक किसी चीनी जहाज का आना संदेह उत्पन्न करता है. बहुत संभव हो कि उस जहाज में जासूसी उपकरण छिपाकर रखा गया हो. दोस्ती एक्सरसाइज तो रेगुलर होता रहता है. लेकिन किसी दूसरे देश के जहाज को ताकत के प्रदर्शन के लिए इजाजत देना पूरी तरह से गलत है.'

भारत और मालदीव के बीच 'दोस्ती एक्सरसाइज' की शुरुआत 1991 में हुई थी. 2012 में इस एक्सरसाइज में श्रीलंका को भी साथ कर लिया गया. इसके तहत समुद्री इलाकों में दुर्घटना होने पर किस तरह से निपटा जाए, प्रदूषण से कैसे निजात पाएं, ऑयल स्पिल होने पर उससे कैसे कंट्रोल किया जाए, इस पर मिलकर काम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था.

इस एक्सरसाइज का उद्देश्य दोस्ती को मजबूत करना, आपसी तालमेल के कैसे बेहतर किया जाए, ऑपरेशन क्षमता कैसी है, तीनों देशों के कोस्ट गार्ड के बीच आपसी परिचालन क्षमता और अंतर संचालनीयता का अभ्यास होता है. इससे पहले 2021 में यह एक्सरसाइज हुआ था. हरेक दो साल पर इसे आयोजित किया जाता है. इस बार यह एक्साइज 22 फरवरी से 25 फरवरी तक है.

मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, 'हम भारत और श्रीलंका का तीन देशों के इस संयुक्त अभ्यास में स्वागत करते हैं. हम बांग्लादेश का भी स्वागत करते हैं, जो इस एक्सरसाइज के दौरान पर्यवेक्षक के तौर पर भाग ले रहा है.'

जब से मालदीव में मोहम्मद मुइज्जू राष्ट्रपति बने हैं, तभी से भारत के साथ संबंध खराब हुए हैं. रिश्तों में खटास उत्पन्न हुई है. मुइज्जू भारत विरोधी नारा लगाकर चुनाव जीते हैं. उन्होंने 'इंडिया आउट' का कैंपेन चलाया था. उन्होंने मालदीव से भारतीय सेनाओं की वापसी का आश्वासन दिया था. हालांकि, इन सैनिकों की संख्या 100 से भी कम है और वे मुख्य रूप से मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्यों में मदद पहुंचाते हैं. राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद मुइज्जू ने औपचारिक रूप से भारत से सैनिकों को हटाने का अनुरोध भी किया. भारत इस पर सहमत हो गया है.

पिछले साल दिसंबर महीने में राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर मालदीव ने भारत के साथ हाइड्रोग्राफी एग्रीमेंट को रेन्यू नहीं किया. इस समझौते के तहत भारत मालदीव के किसी भी जलीय इलाकों का अध्ययन कर सकता था. इसमें चट्टानें, लैगून, तटरेखाएं, समुद्री धाराएं और ज्वार का स्तर शामिल हैं.

उसके बाद इसी साल जनवरी में भारत और मालदीव के बीच राजनीतिक विवाद बढ़ गया. दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप का फोटो पोस्ट किया था. इसके जरिए वह लक्षद्वीप को पर्यटक स्थल के तौर पर बढ़ावा देने को प्रमोट कर रहे थे. लेकिन मालदीव में कुछ लोगों ने इसे अपने देश के पर्यटन से जोड़ दिया. उन्होंने प्रचारित किया कि मालदीव का टूरिज्म लक्षद्वीप की ओर ले जाने के लिए इस फोटो को प्रमोट किया जा रहा है. उन लोगों ने पीएम पर अशोभनीय टिप्पणी की भी की.

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर भारतीयों की जबरदस्त प्रतिक्रियाएं देखी गईं थीं. भारत से मालदीव जाने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आ गई. कई लोगों ने मालदीव जाने का प्लान कैंसिल कर दिया. बुकिंग भी रद्द करवा दी.

मालदीव के विपक्षी दलों ने मुइज्जू सरकार के इस रवैए की आलोचना की. आखिरकार सरकार को अपने तीन मंत्रियों को पद से हटाना भी पड़ा. पर, मुइज्जू का रवैया नहीं बदला. वे खुद एक सप्ताह की चीन की यात्रा पर चले गए.

मुइज्जू से पहले मालदीव के तीन राष्ट्रपतियों (इब्राहिम सोलिह, अब्दुल्ला यमीन, मो. नशीद) ने एक परंपरा कायम की थी. शपथ ग्रहण के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा भारत होती थी. लेकिन मुइज्जू ने पहले टर्की और फिर चीन को चुना.

मालदीव ने पिछले साल दिसंबर में चाइना-इंडियन ओशियन रीजन फोरम की दूसरी बैठक में हिस्सा लिया. इस बैठक में ब्लू इकोनोमी पर सहयोग को लेकर बैठक हुई थी. चीन के यून्नान प्रोविंस में यह बैठक थी. इसी बैठक के समय कोलंबो सिक्यूरिटी कॉन्क्लेव भी चल रही थी. लेकिन मालदीव ने अपना शीर्ष प्रतिनिधिमंडल यहां पर नहीं भेजा. यह भारत, श्रीलंका, मालदीव और मॉरिशस का एक संगठन है, जिनका उद्देश्य मैरीटाइम सुरक्षा को मजबूत करना रहा है. इस संगठन में बांग्लादेश और सेशेल्स पर्यवेक्षक हैं.

भारत और मालदीव के बीच रक्षा को लेकर दिसंबर महीने में ही बैठक हुई थी. इसमें भारत के उच्चायुक्त मुनु महावर ने हिस्सा लिया था. मालदीव की ओर से उनके चीफ ऑफ डिफेंस फोर्स ने भागीदारी की थी. सोशल मीडिया पर ले.जन. अब्दुल रहीम अब्दुल लतीफ ने कहा, 'हमने रक्षा सहयोग गतिविधियों की समीक्षा की और अपनी सैन्य-से-सैन्य भागीदारी को आगे बढ़ाने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया.' भारत की ओर से कहा गया, 'साझा सुरक्षा चुनौतियों से निपटने की दिशा में भारत-मालदीव रक्षा सहयोग को और बढ़ाने के लिए मिलकर काम करेंगे.'

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