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इजराइल पर टारेगट किलिंग: भविष्य पर क्या पड़ेगा इसका प्रभाव? - Israel Iran Conflict

Targeted Killings Of Israel: दुनिया मध्य पूर्व में विस्फोटक और अप्रत्याशित स्थिति के नतीजों को लेकर चिंतित है. कहीं यह क्षेत्र किसी बड़े युद्ध की ओर तो नहीं जा रहा है, जिसका वैश्विक आर्थिक, सैन्य और राजनीतिक परिणामों पर असर पड़ेगा. पढ़ें विश्लेषण.

इजरायल पर टारेगट किलिंग: भविष्य पर क्या पड़ेगा इसका प्रभाव?
इजरायल पर टारेगट किलिंग: भविष्य पर क्या पड़ेगा इसका प्रभाव? (AP)
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By DR Ravella Bhanu Krishna Kiran

Published : Aug 5, 2024, 7:00 AM IST

Updated : Aug 5, 2024, 9:35 AM IST

नई दिल्ली: 27 जुलाई को हिजबुल्लाह ने गोलान हाइट्स के मजदल शम्स नामक ड्रूज शहर पर रॉकेट हमले किए थे. इस हमले में 12 बच्चों की मौत हो गई थी. इसके बाद इजराइल ने बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में हमला कर हिजबुल्लाह के शीर्ष कमांडर फौद शुक्र को निशाना बनाया, जिसने गाजा युद्ध के समानांतर लेबनान की दक्षिणी सीमा पर जवाबी हमले की धमकी दी थी. इतना ही नहीं इजराइल ने ईरानी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने पहुंचे हमास के नेता इस्माइल हनिया को भी मार गिराया.

ईरान और उसके एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस, जिसमें फिलिस्तीन, इराक, लेबनान, यमन और सीरिया के आतंकवादी समूह शामिल हैं, को एक और गंभीर झटका देते हुए इजराइल ने घोषणा की है कि उसने 13 जुलाई को हवाई हमले में अल-अक्सा फ्लड ऑपरेशन (7 अक्टूबर के हमले) के योजना बनाने वाले, हमास के शीर्ष सैन्य कमांडर मोहम्मद दीफ को मार गिराया.

इन लक्षित हत्याओं के बाद इजराइल और ईरान के बीच एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस 40 साल पुरानी दुश्मनी के एक नए चरण में प्रवेश कर गई है. वर्तमान में, एक प्रमुख नेता की मौत का हमास पर क्या प्रभाव पड़ेगा? ईरान और अन्य प्रॉक्सी समूह किस तरह से जवाबी कार्रवाई की धमकियां देंगे? भविष्य में इजराइल और संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) इस खतरे का किस तरह से जवाब देंगे, इसको लेकर पूरी दुनिया परेशान है.

हमास के प्रमुख नेता बने हनिया
2017 में जब से हनिया हमास के राजनीतिक ब्यूरो के अध्यक्ष बने, तब से वे एक रणनीतिक योजनाकार, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर हमास की बढ़ती ताकत को नियंत्रित करने वाले एक प्रमुख नेता रहे और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने 7 अक्टूबर के बाद तुर्की, चीन और रूस से संपर्क करके हमास के लिए समर्थन जुटाया. उन्होंने हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों की रिहाई के लिए बातचीत में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

ऐसे में उनकी मौत हमास के लिए एक बड़ा झटका है. वास्तव में, हनिया की हत्या से हमास की वैचारिक या संचालन क्षमताओं को नुकसान नहीं होने वाला है, लेकिन यह एक मोमेंट्री विराम पैदा कर सकता है. हमास के नेतृत्व ने 2004 में हमास आंदोलन के संस्थापक अहमद यासीन और अब्देल अजीज-अल-रंतिसी की हत्या देखी, लेकिन हमास को जड़ से खत्म नहीं किया गया, बल्कि यह समूह और भी मजबूत हो गया.

अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक रणनीतिकारों का मानना ​​है कि हमास याह्या सिनवार के नेतृत्व में एक आंदोलन के रूप में बना रहेगा, जिन्होंने हमास को 7 अक्टूबर को इजराइल पर हमला करने वाले लड़ाकों की 24 बटालियनों में पूरी तरह से बदल दिया था.

ईरान सीधा युद्ध नहीं चाहता
इससे पहले ईरान सीधा युद्ध नहीं करना चाहता था बल्कि एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस की सहायता से प्रोक्सी युद्ध को लंबा खींचना चाहता था, लेकिन अपने क्षेत्र में हनिया की हत्या ईरानी सिक्योरिटी सर्विस के लिए शर्मिंदगी की बात है. ऐसे में अगर ईरान निकट भविष्य में सीधे तौर पर जंग में शामिल हो जाता है, तो संघर्ष एक क्षेत्रीय युद्ध में बदल जाएगा.

ईरान ने अपनी 'यूनिटी ऑफ द एरेना' रणनीति के माध्यम से पहले ही इजराइल को मिसाइलों और ड्रोन से घेर लिया है, जिसमें इजराइल के खिलाफ एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस द्वारा संयुक्त सैन्य अभियान शामिल है. अगर ईरान अपने प्रॉक्सी द्वारा इजराइल पर एक साथ बमबारी करने का फैसला करता है, तो यह संभवतः बहुत विनाशकारी होगा और इजराइल की तरफ से अमेरिका युद्ध में आएगा, जिसे इजराइल चाहता है.

इसके अलावा, इजराइल -हमास युद्ध के बाद अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रियाल की गिरावट के कारण ईरान की अर्थव्यवस्था कमजोर है. नतीजतन, सीधे युद्ध में शामिल होकर जटिल होना ईरान के हित में नहीं है, लेकिन, इसकी रणनीति पूर्ण पैमाने पर युद्ध के बजाय, अमेरिका की सीधी भागीदारी से बचने के लिए और प्रॉक्सी के जरिए संघर्ष जारी रखना है.

क्या विकल्प चुन सकते हैं ईरान और उसके प्रॉक्सी?
ईरान और इसके समर्थित प्रतिरोध एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस जिसमें हमास, लेबनान का हिजबुल्लाह, यमन का हौथी, कताइब हिजबुल्लाह, इराक में इस्लामी प्रतिरोध, इराक में शियाओं की 47वीं पॉपुलर मोबिलाइजेशन यूनिट ब्रिगेड (पीएमयू) और इराक और सीरिया में विभिन्न शिया सशस्त्र समूह शामिल हैं, अन्य विकल्प चुन सकते हैं. जैसे हमास द्वारा इजरायल के ओटेफ अजा क्षेत्र में बस्तियों और सैन्य ठिकानों पर हमले, इराक में इस्लामी रजिस्टेंट द्वारा इराक की सीमा के पास पूर्वी सीरिया में अल-तन्फ, अल-रुकबान और अल-मलिकिया नामक अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमले, सीरिया के सशस्त्र समूहों द्वारा गोलान हाइट्स में इजराइल बस्तियों पर हमला.

31 जुलाई 2024 को बेरूत पर किए गए हमलों के प्रतिशोध में कताइब हिजबुल्लाह भी इजराइल पर हमला कर सकता है. इजराइल की लक्षित हत्याओं ने वैश्विक स्तर पर मुस्लिम बहुल देशों में इजराइल विरोधी अभियान को बढ़ावा दिया है और साथ ही आतंकवादी समूहों की भर्ती के प्रयासों को भी बढ़ावा मिला है. आतंकवादी समूह राजनयिक मिशनों, यहूदी प्रवासियों और अमेरिकी नागरिकों पर हमला करके इजरायल और अमेरिकी हितों के खिलाफ कहीं भी हमले बढ़ा सकते हैं.

इजराइल की नीली यूनिट 7 अक्टूबर के हमलों में भूमिका निभाने वाले हर व्यक्ति को खत्म करने के लिए प्रयास कर रही है. दिसंबर 2023 में ईरान के शीर्ष कमांडर रेजा मौसवी और जनवरी 2024 में हमास के दूसरे नंबर के सालेह अल-अरोरी और अब हनिया की हत्या करके इजराइल ने हमास के महत्वपूर्ण लोगों याह्या सिनवार और अन्य लोगों को साफ संदेश दिया है कि वे कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं.

जवाबी कार्रवाई की धमकी को लेकर इजराइल वायुसेना प्रमुख टोमर बार ने चेतावनी दी कि इजराइल अपने नागरिकों को नुकसान पहुंचाने की योजना बनाने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करेगा. साथ ही इजराइल ने अपने एरियल डिफेंस और कंट्रोल कर्मियों के साथ अपने मिशन को पूरा करने के लिए मजबूत तैयारी की घोषणा की, जो देश भर में बेस्ट इक्विपमेंट के साथ ड्यूटी पर तैनात हैं.

इजराइल को अमेरिका का समर्थन
इस बीच व्हाइट हाउस ने ईरान और उसके प्रॉक्सी समूहों से होने वाले सभी खतरों के खिलाफ इजराइल की सुरक्षा के लिए अपने आश्वासन को दोहराया, जबकि अमेरिका के पास दो नौसेना विध्वंसक, यूएसएस रूजवेल्ट और यूएसएस बुल्केली हैं. इसके अलावा अमेरिका मध्य पूर्व में इजराइल को संभावित ईरानी हमले से बचाने में मदद करने के लिए अधिक युद्धपोत, अतिरिक्त बैलिस्टिक मिसाइल, डिफेंस कैपेबल क्रूजर, डिस्ट्रोयर, फाइटर जेट और लैंड- बेस्ड बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस वेपन भेजने के लिए कदम उठा रहा है.

युद्ध होने पर भारत के लिए भी गंभीर परिणाम हैं क्योंकि मध्य पूर्व भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह भारत के कुल तेल आयात का लगभग दो-तिहाई हिस्सा सप्लाई करता है और द्विपक्षीय व्यापार भी मुख्य रूप से संयुक्त अरब अमीरात और फारस की खाड़ी के अन्य अरब राज्यों के साथ समृद्ध है. बढ़ते तनाव से परिवहन बाधित होगा, जो एयर इंडिया ने 8 अगस्त तक इजराइल के तेल अवीव से आने-जाने वाली अपनी फ्लाइट को निलंबित करने से स्पष्ट है. साथ ही मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच भारत ने अपने नागरिकों को जल्द से जल्द लेबनान छोड़ने की सलाह दी है.

दुनिया मध्य पूर्व में विस्फोटक और अप्रत्याशित स्थिति के नतीजों को लेकर चिंतित है कि क्या यह क्षेत्र एक बड़े युद्ध की ओर बढ़ रहा है, जिससे वैश्विक आर्थिक, सैन्य और राजनीतिक परिणाम प्रभावित होंगे. हमास, हिजबुल्लाह और विशेष रूप से ईरान, जिसे अपने क्षेत्र में बहुत बड़ा झटका लगा है, की प्रतिक्रियाएं यह निर्धारित करेंगी कि संघर्ष बढ़ेगा या नहीं.

वे एक पूर्ण पैमाने पर युद्ध के माध्यम से या राजनीतिक, मनोवैज्ञानिक और गुप्त लड़ाई के साथ आगे बढ़ेगा. फिलहाल वे इजराइल के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने के लिए एक बेजोड़ और प्रभावी साधन के लिए व्यापक मूल्यांकन कर रहे हैं. अगर ईरान और उसके एक्सिस ऑफ रजिस्टेंट किसी भी तरह की वृद्धि को बढ़ावा देते हैं तो इजराइल और अमेरिका विपरीत दिशा में हैं, जिससे एक क्षेत्रीय युद्ध की संभावना जल्द ही एक वास्तविकता बन जाएगी.

वाल स्ट्रीट जर्नल में एक अमेरिकी शिक्षाविद वाल्टर रसेल मीड को उम्मीद है कि इजराइल द्वारा बेरूत और तेहरान में किए गए हमले ईरान और हिजबुल्लाह को इजराइल की शक्ति के मद्देनजर युद्ध के बजाय जवाबी कार्रवाई के अपने विकल्पों पर विचार करने से रोक सकते हैं.

(डिस्कलेमर: इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. यहां व्यक्त तथ्य और राय ईटीवी भारत के विचारों को नहीं दर्शाते हैं)

यह भी पढ़ें- बजट में MSME सेक्टर के लिए खुला खजाना! जानें वित्त मंत्री ने कैसे की मदद

नई दिल्ली: 27 जुलाई को हिजबुल्लाह ने गोलान हाइट्स के मजदल शम्स नामक ड्रूज शहर पर रॉकेट हमले किए थे. इस हमले में 12 बच्चों की मौत हो गई थी. इसके बाद इजराइल ने बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में हमला कर हिजबुल्लाह के शीर्ष कमांडर फौद शुक्र को निशाना बनाया, जिसने गाजा युद्ध के समानांतर लेबनान की दक्षिणी सीमा पर जवाबी हमले की धमकी दी थी. इतना ही नहीं इजराइल ने ईरानी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने पहुंचे हमास के नेता इस्माइल हनिया को भी मार गिराया.

ईरान और उसके एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस, जिसमें फिलिस्तीन, इराक, लेबनान, यमन और सीरिया के आतंकवादी समूह शामिल हैं, को एक और गंभीर झटका देते हुए इजराइल ने घोषणा की है कि उसने 13 जुलाई को हवाई हमले में अल-अक्सा फ्लड ऑपरेशन (7 अक्टूबर के हमले) के योजना बनाने वाले, हमास के शीर्ष सैन्य कमांडर मोहम्मद दीफ को मार गिराया.

इन लक्षित हत्याओं के बाद इजराइल और ईरान के बीच एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस 40 साल पुरानी दुश्मनी के एक नए चरण में प्रवेश कर गई है. वर्तमान में, एक प्रमुख नेता की मौत का हमास पर क्या प्रभाव पड़ेगा? ईरान और अन्य प्रॉक्सी समूह किस तरह से जवाबी कार्रवाई की धमकियां देंगे? भविष्य में इजराइल और संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) इस खतरे का किस तरह से जवाब देंगे, इसको लेकर पूरी दुनिया परेशान है.

हमास के प्रमुख नेता बने हनिया
2017 में जब से हनिया हमास के राजनीतिक ब्यूरो के अध्यक्ष बने, तब से वे एक रणनीतिक योजनाकार, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर हमास की बढ़ती ताकत को नियंत्रित करने वाले एक प्रमुख नेता रहे और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने 7 अक्टूबर के बाद तुर्की, चीन और रूस से संपर्क करके हमास के लिए समर्थन जुटाया. उन्होंने हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों की रिहाई के लिए बातचीत में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

ऐसे में उनकी मौत हमास के लिए एक बड़ा झटका है. वास्तव में, हनिया की हत्या से हमास की वैचारिक या संचालन क्षमताओं को नुकसान नहीं होने वाला है, लेकिन यह एक मोमेंट्री विराम पैदा कर सकता है. हमास के नेतृत्व ने 2004 में हमास आंदोलन के संस्थापक अहमद यासीन और अब्देल अजीज-अल-रंतिसी की हत्या देखी, लेकिन हमास को जड़ से खत्म नहीं किया गया, बल्कि यह समूह और भी मजबूत हो गया.

अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक रणनीतिकारों का मानना ​​है कि हमास याह्या सिनवार के नेतृत्व में एक आंदोलन के रूप में बना रहेगा, जिन्होंने हमास को 7 अक्टूबर को इजराइल पर हमला करने वाले लड़ाकों की 24 बटालियनों में पूरी तरह से बदल दिया था.

ईरान सीधा युद्ध नहीं चाहता
इससे पहले ईरान सीधा युद्ध नहीं करना चाहता था बल्कि एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस की सहायता से प्रोक्सी युद्ध को लंबा खींचना चाहता था, लेकिन अपने क्षेत्र में हनिया की हत्या ईरानी सिक्योरिटी सर्विस के लिए शर्मिंदगी की बात है. ऐसे में अगर ईरान निकट भविष्य में सीधे तौर पर जंग में शामिल हो जाता है, तो संघर्ष एक क्षेत्रीय युद्ध में बदल जाएगा.

ईरान ने अपनी 'यूनिटी ऑफ द एरेना' रणनीति के माध्यम से पहले ही इजराइल को मिसाइलों और ड्रोन से घेर लिया है, जिसमें इजराइल के खिलाफ एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस द्वारा संयुक्त सैन्य अभियान शामिल है. अगर ईरान अपने प्रॉक्सी द्वारा इजराइल पर एक साथ बमबारी करने का फैसला करता है, तो यह संभवतः बहुत विनाशकारी होगा और इजराइल की तरफ से अमेरिका युद्ध में आएगा, जिसे इजराइल चाहता है.

इसके अलावा, इजराइल -हमास युद्ध के बाद अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रियाल की गिरावट के कारण ईरान की अर्थव्यवस्था कमजोर है. नतीजतन, सीधे युद्ध में शामिल होकर जटिल होना ईरान के हित में नहीं है, लेकिन, इसकी रणनीति पूर्ण पैमाने पर युद्ध के बजाय, अमेरिका की सीधी भागीदारी से बचने के लिए और प्रॉक्सी के जरिए संघर्ष जारी रखना है.

क्या विकल्प चुन सकते हैं ईरान और उसके प्रॉक्सी?
ईरान और इसके समर्थित प्रतिरोध एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस जिसमें हमास, लेबनान का हिजबुल्लाह, यमन का हौथी, कताइब हिजबुल्लाह, इराक में इस्लामी प्रतिरोध, इराक में शियाओं की 47वीं पॉपुलर मोबिलाइजेशन यूनिट ब्रिगेड (पीएमयू) और इराक और सीरिया में विभिन्न शिया सशस्त्र समूह शामिल हैं, अन्य विकल्प चुन सकते हैं. जैसे हमास द्वारा इजरायल के ओटेफ अजा क्षेत्र में बस्तियों और सैन्य ठिकानों पर हमले, इराक में इस्लामी रजिस्टेंट द्वारा इराक की सीमा के पास पूर्वी सीरिया में अल-तन्फ, अल-रुकबान और अल-मलिकिया नामक अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमले, सीरिया के सशस्त्र समूहों द्वारा गोलान हाइट्स में इजराइल बस्तियों पर हमला.

31 जुलाई 2024 को बेरूत पर किए गए हमलों के प्रतिशोध में कताइब हिजबुल्लाह भी इजराइल पर हमला कर सकता है. इजराइल की लक्षित हत्याओं ने वैश्विक स्तर पर मुस्लिम बहुल देशों में इजराइल विरोधी अभियान को बढ़ावा दिया है और साथ ही आतंकवादी समूहों की भर्ती के प्रयासों को भी बढ़ावा मिला है. आतंकवादी समूह राजनयिक मिशनों, यहूदी प्रवासियों और अमेरिकी नागरिकों पर हमला करके इजरायल और अमेरिकी हितों के खिलाफ कहीं भी हमले बढ़ा सकते हैं.

इजराइल की नीली यूनिट 7 अक्टूबर के हमलों में भूमिका निभाने वाले हर व्यक्ति को खत्म करने के लिए प्रयास कर रही है. दिसंबर 2023 में ईरान के शीर्ष कमांडर रेजा मौसवी और जनवरी 2024 में हमास के दूसरे नंबर के सालेह अल-अरोरी और अब हनिया की हत्या करके इजराइल ने हमास के महत्वपूर्ण लोगों याह्या सिनवार और अन्य लोगों को साफ संदेश दिया है कि वे कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं.

जवाबी कार्रवाई की धमकी को लेकर इजराइल वायुसेना प्रमुख टोमर बार ने चेतावनी दी कि इजराइल अपने नागरिकों को नुकसान पहुंचाने की योजना बनाने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करेगा. साथ ही इजराइल ने अपने एरियल डिफेंस और कंट्रोल कर्मियों के साथ अपने मिशन को पूरा करने के लिए मजबूत तैयारी की घोषणा की, जो देश भर में बेस्ट इक्विपमेंट के साथ ड्यूटी पर तैनात हैं.

इजराइल को अमेरिका का समर्थन
इस बीच व्हाइट हाउस ने ईरान और उसके प्रॉक्सी समूहों से होने वाले सभी खतरों के खिलाफ इजराइल की सुरक्षा के लिए अपने आश्वासन को दोहराया, जबकि अमेरिका के पास दो नौसेना विध्वंसक, यूएसएस रूजवेल्ट और यूएसएस बुल्केली हैं. इसके अलावा अमेरिका मध्य पूर्व में इजराइल को संभावित ईरानी हमले से बचाने में मदद करने के लिए अधिक युद्धपोत, अतिरिक्त बैलिस्टिक मिसाइल, डिफेंस कैपेबल क्रूजर, डिस्ट्रोयर, फाइटर जेट और लैंड- बेस्ड बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस वेपन भेजने के लिए कदम उठा रहा है.

युद्ध होने पर भारत के लिए भी गंभीर परिणाम हैं क्योंकि मध्य पूर्व भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह भारत के कुल तेल आयात का लगभग दो-तिहाई हिस्सा सप्लाई करता है और द्विपक्षीय व्यापार भी मुख्य रूप से संयुक्त अरब अमीरात और फारस की खाड़ी के अन्य अरब राज्यों के साथ समृद्ध है. बढ़ते तनाव से परिवहन बाधित होगा, जो एयर इंडिया ने 8 अगस्त तक इजराइल के तेल अवीव से आने-जाने वाली अपनी फ्लाइट को निलंबित करने से स्पष्ट है. साथ ही मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच भारत ने अपने नागरिकों को जल्द से जल्द लेबनान छोड़ने की सलाह दी है.

दुनिया मध्य पूर्व में विस्फोटक और अप्रत्याशित स्थिति के नतीजों को लेकर चिंतित है कि क्या यह क्षेत्र एक बड़े युद्ध की ओर बढ़ रहा है, जिससे वैश्विक आर्थिक, सैन्य और राजनीतिक परिणाम प्रभावित होंगे. हमास, हिजबुल्लाह और विशेष रूप से ईरान, जिसे अपने क्षेत्र में बहुत बड़ा झटका लगा है, की प्रतिक्रियाएं यह निर्धारित करेंगी कि संघर्ष बढ़ेगा या नहीं.

वे एक पूर्ण पैमाने पर युद्ध के माध्यम से या राजनीतिक, मनोवैज्ञानिक और गुप्त लड़ाई के साथ आगे बढ़ेगा. फिलहाल वे इजराइल के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने के लिए एक बेजोड़ और प्रभावी साधन के लिए व्यापक मूल्यांकन कर रहे हैं. अगर ईरान और उसके एक्सिस ऑफ रजिस्टेंट किसी भी तरह की वृद्धि को बढ़ावा देते हैं तो इजराइल और अमेरिका विपरीत दिशा में हैं, जिससे एक क्षेत्रीय युद्ध की संभावना जल्द ही एक वास्तविकता बन जाएगी.

वाल स्ट्रीट जर्नल में एक अमेरिकी शिक्षाविद वाल्टर रसेल मीड को उम्मीद है कि इजराइल द्वारा बेरूत और तेहरान में किए गए हमले ईरान और हिजबुल्लाह को इजराइल की शक्ति के मद्देनजर युद्ध के बजाय जवाबी कार्रवाई के अपने विकल्पों पर विचार करने से रोक सकते हैं.

(डिस्कलेमर: इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. यहां व्यक्त तथ्य और राय ईटीवी भारत के विचारों को नहीं दर्शाते हैं)

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Last Updated : Aug 5, 2024, 9:35 AM IST
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