नई दिल्ली : पिछले साल 2023 में सोने की मांग में कमी देखी गई. 2022 के मुकाबले इसकी मांग 747.5 टन रह गई. ये आंकड़े वर्ल्ड गोल्क काउंसल ने जारी किए हैं. इन आंकड़ों में बताया गया है कि भले ही छह फीसदी मांग घटकर 562.3 टन रह गई, लेकिन सोने में निवेश के मामले में सात फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई. बार और क्वाइन में भी निवेश बढ़ा. साल दर साल बेसिस पर इसमें सात फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई. चौथे क्वार्टर में 67 टन की डिमांड देखी गई. पिछले पांच साल के क्वाटर्ली डिमांड से तुलना करें, तो यह 64 टन ही पड़ता है.
सोने की कीमतों में सुधार के कारण Q3 और Q4 में मजबूत निवेश प्रतिक्रियाएं मिलीं. निश्चित तौर पर यह भौतिक रूप से समर्थित गोल्ड ईटीएफ निवेशकों की बढ़ी हुई दिलचस्पी की वजह से हुआ. 2023 में नेट सोने का आयात 20 प्रतिशत बढ़कर 780.7 टन हो गया. वजह- व्यापार द्वारा पर्याप्त इन्वेंट्री निर्माण था.
2023 की चौथी तिमाही में भारत में सोने की मांग 266.2 टन थी, जो 2022 की चौथी तिमाही की 276.3 टन की तुलना में 4 प्रतिशत कम है. 2023 की चौथी तिमाही में कुल निवेश मांग 66.7 टन रही, जो 2022 की चौथी तिमाही के 56.4 टन की तुलना में 18 प्रतिशत की वृद्धि है. 2023 की चौथी तिमाही में भारत में रिसाइकिल्ड सोने की कुल मांग 25.6 टन थी, जो चौथी तिमाही के 30.5 टन की तुलना में 16 प्रतिशत कम है.
मांग में गिरावट पर टिप्पणी करते हुए, वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल, भारत, के क्षेत्रीय सीईओ, सोमसुंदरम पीआर ने कहा, '2023 में सोने की बढ़ती कीमतों की वजह से भारत की वैश्विक मांग तीन फीसदी तक घट गई, यह 747 टन के आसपास रहा. ऐसा नहीं था कि उपभोक्ताओं में इसको लेकर कोई उत्साह नहीं था, हां, ट्रेड में भावना जरूर प्रभावित हुई. और नवरात्रि के आसपास तो उपभोक्ताओं ने खूब रुचि दिखाई, और दीवाली में सेल फिर से बढ़ गया. पर, दिसंबर में एक बार फिर से सेल घटा. 2022 के मुकाबले 2023 के क्यू4 में डिमांड कीमत की वजह से घट गई.'
सोमसुंदरम ने कहा कि आर्थिक स्थिति में बदलाव की वजह से एक बार फिर से इस साल डिमांड बढ़ने की संभावना है. कुछ तात्कालिक कारण जरूर हो सकता है, जिसकी वजह से अस्थायी तौर पर डिमांड प्रभावित हो, लेकिन आखिरकार इसकी मांग में इजाफा आएगा.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की गोल्ड डिमांड ट्रेंड्स रिपोर्ट से पता चलता है कि सोने की वार्षिक मांग (ओटीसी को छोड़कर) 2023 में गिरकर 4,448 टन हो गई. 2022 के मुकाबले यह पांच फीसदी कम है. हालांकि, जब ओटीसी मार्केट और अन्य स्रोतों को जोड़ लेंगे, तो मांग में बढ़ोतरी ही नजर आएगी. इनको शामिल करने पर यह आंकड़ा 4899 टन का हो जाता है.
बार और सिक्के के निवेश में मांग कम हो गई. यह तीन फीसदी तक कम हुई है. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि दूसरे बाजारों में मजबूती ने अन्य जगहों पर कमजोरी की भरपाई करने का काम किया है. यूरोपीय मांग में गिरावट जारी रही. यह गिरावट साल दर साल बेसिस पर 59 फीसदी रही. वैसे, चीन में डिमांड अच्छी थी. 28 फीसदी की वार्षिट डिमांड वृद्धि देखी गई. भारत में 185 टन, तुर्की में 160 टन और अमेरिका में 113 टन अधिक डिमांड थी.
रिकॉर्ड-उच्च कीमतों के बीच वैश्विक आभूषण बाजार उल्लेखनीय रूप से लचीला साबित हुआ, क्योंकि साल-दर-साल मांग में 3 टन की बढ़ोतरी हुई. कोविड के बाद रिकवर करते हुए चीन में सोने की मांग में 17 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई, जिसने भारत से हुई नौ फीसदी की कमी को मेकअप किया. 2023 में माइन उत्पादन अपेक्षाकृत स्थिर रहा. इसमें मात्र एक फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. रिसाइकलिंग में 9% की वृद्धि हुई, निश्चित तौर पर सोने की ऊंची कीमत को देखते हुए यह अपेक्षा से कम थी, और इसने कुल आपूर्ति को तीन फीसदी तक बढ़ा दिया.
केंद्रीय बैंक की खरीदारी का सिलसिला 2022 से तेज गति से जारी रहा. पिछले वर्ष मांग 1,037 टन तक पहुंच गई. यह 2022 के मुकाबले मात्र 45 टन कम थी. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के वरिष्ठ बाजार विश्लेषक लुईस स्ट्रीट के अनुसार, 'केंद्रीय बैंकों की मांग ने इस साल फिर से सोने की मांग को संभाला है, और इसकी वजह से मार्केट के अन्य क्षेत्रों में कमजोरी को दूर करने में मदद मिली है. 2023 की मांग पिछले 10 साल के मूविंग एवरेज से अधिक है.'
उन्होंने कहा, 'मौद्रिक नीति के अलावा, भू-राजनीतिक अनिश्चितता अक्सर सोने की मांग पर बड़ा असर डालता है. 2024 में भी इसका असर पड़ना तय है. वैसे भी इस साल पूरी दुनिया में 60 से अधिक देशों में चुनाव होने हैं और व्यापारिक तनाव तो पहले से चल रहा है, लिहाजा, निवेशकों के लिए सोने में निवेश मुफीद विकल्प हो सकता है.'
लुईस स्ट्रीट ने कहा, 'हम जानते हैं कि संकट के समय केंद्रीय बैंक हमेशा से सोने की खरीद को बढ़ावा देता है. यह ट्रेंड इस साल भी बना रहेगा. और क्योंकि सोने की मांग बनी रहेगी, इसलिए उपभोक्ता मांग में कमी को यह कंपसेट करेगा, ऐसी उम्मीद है.'
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