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नेपाल के पीएम प्रचंड ने कहा, इस्तीफा नहीं दूंगा, विश्वास मत का सामना करूंगा - NEPAL PRACHANDA

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By PTI

Published : Jul 2, 2024, 2:24 PM IST

नेपाल में पीएम पद को लेकर एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. नेपाल के पीएम प्रचंड के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को हटाने के प्रयास किए जा रहे हैं. इसी क्रम में नया गठबंधन भी हुआ है. हालांकि, प्रचंड ने कहा है कि वह इस्तीफा नहीं देंगे.

Nepal's Prime Minister Pushpa Kamal Dahal 'Prachanda'
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' (IANS)

काठमांडू: नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने देश की सबसे बड़ी पार्टियों - नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल - के बीच नई गठबंधन सरकार बनाने के लिए सहमति होने के बावजूद पद से इस्तीफा नहीं देने का फैसला किया है. नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओइस्ट सेंटर) के पदाधिकारियों की मंगलवार को बालूवाटर में हुई बैठक में प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा कि वह पद से इस्तीफा देने के बजाय संसद में विश्वास मत का सामना करना पसंद करेंगे. पार्टी सचिव गणेश शाह ने न्यूज एजेंसी को इस बारे में जानकारी दी. शाह ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने विश्वास मत हासिल करने का निर्णय लिया है.'

69 वर्षीय प्रचंड ने अपने डेढ़ साल के कार्यकाल के दौरान संसद में तीन बार विश्वास मत जीता है. यह घटनाक्रम नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) द्वारा गठबंधन के बाद हुआ. इस क्रम में प्रचंड के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को बदलने के लिए एक नई 'राष्ट्रीय आम सहमति सरकार' बनाने के लिए आधी रात को सत्ता-साझाकरण समझौते पर हस्ताक्षर हुआ है.

प्रतिनिधि सभा (HoR) में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के पास वर्तमान में 89 सीटें हैं, जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीटें हैं. दोनों बड़ी पार्टियों की संयुक्त ताकत 167 है, जो 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में बहुमत के लिए 138 सीटों से कहीं अधिक है. 78 वर्षीय देउबा और 72 वर्षीय ओली ने संसद के शेष कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री पद को बारी-बारी से साझा करने पर सहमति व्यक्त की.

इस बीच माओवादी सूत्रों के अनुसार मौजूदा गठबंधन को बचाने के लिए प्रधानमंत्री प्रचंड और सीपीएन-यूएमएल प्रमुख ओली के बीच बातचीत भी विफल रही. प्रचंड के हवाले से शाह ने कहा कि गठबंधन सरकार को गिराने और देश में अस्थिरता पैदा करने की साजिश रची गई है. उन्होंने कहा कि यह साजिश ऐसे समय में हुई जब सरकार भ्रष्टाचार को खत्म करने और सुशासन लाने पर ध्यान केंद्रित कर रही थी.

संवैधानिक प्रावधान के अनुसार, प्रधानमंत्री के पास प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हासिल करने के लिए 30 दिन का समय होगा, जिससे प्रचंड को राजनीतिक पैंतरेबाजी के लिए कुछ समय मिल जाएगा. प्रचंड के हवाले से कहा गया कि हम गठबंधन को बचाने के लिए राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी), नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल सहित विभिन्न दलों के साथ चर्चा करेंगे.

पार्टी सूत्रों के अनुसार नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष देउबा ने मंगलवार सुबह बुधनीलकांठा स्थित अपने आवास पर पार्टी पदाधिकारियों की बैठक के दौरान सीपीएन-यूएमएल के साथ हुए समझौते के बारे में पार्टी पदाधिकारियों को जानकारी दी. देउबा ने सीपीएन-यूएमएल के साथ हुए शुरुआती सत्ता-साझेदारी समझौते पर चर्चा की और बताया कि इस समझौते के तहत बनने वाली सरकार का नेतृत्व दोनों दलों के बीच बारी-बारी से होगा.

इस बीच सत्तारूढ़ गठबंधन के प्रमुख सहयोगियों में से एक आरएसपी ने नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल के बीच नए गठबंधन में भाग न लेने का फैसला किया है. पार्टी सूत्रों ने बताया कि मंगलवार को सचिवालय की बैठक के दौरान पार्टी ने मौजूदा सरकार से हटने का भी फैसला किया. पार्टी के पास वर्तमान में प्रतिनिधि सभा में 21 सीटें हैं. नेपाल में पिछले 16 वर्षों में 13 सरकारें बनी हैं, जो हिमालयी राष्ट्र की राजनीतिक व्यवस्था की नाजुक प्रकृति को दर्शाता है.

ये भी पढ़ें- विश्वास मत में पीएम पुष्प कमल दहल की 'प्रचंड' जीत, हासिल किए 157 वोट

काठमांडू: नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने देश की सबसे बड़ी पार्टियों - नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल - के बीच नई गठबंधन सरकार बनाने के लिए सहमति होने के बावजूद पद से इस्तीफा नहीं देने का फैसला किया है. नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओइस्ट सेंटर) के पदाधिकारियों की मंगलवार को बालूवाटर में हुई बैठक में प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा कि वह पद से इस्तीफा देने के बजाय संसद में विश्वास मत का सामना करना पसंद करेंगे. पार्टी सचिव गणेश शाह ने न्यूज एजेंसी को इस बारे में जानकारी दी. शाह ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने विश्वास मत हासिल करने का निर्णय लिया है.'

69 वर्षीय प्रचंड ने अपने डेढ़ साल के कार्यकाल के दौरान संसद में तीन बार विश्वास मत जीता है. यह घटनाक्रम नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) द्वारा गठबंधन के बाद हुआ. इस क्रम में प्रचंड के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को बदलने के लिए एक नई 'राष्ट्रीय आम सहमति सरकार' बनाने के लिए आधी रात को सत्ता-साझाकरण समझौते पर हस्ताक्षर हुआ है.

प्रतिनिधि सभा (HoR) में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के पास वर्तमान में 89 सीटें हैं, जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीटें हैं. दोनों बड़ी पार्टियों की संयुक्त ताकत 167 है, जो 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में बहुमत के लिए 138 सीटों से कहीं अधिक है. 78 वर्षीय देउबा और 72 वर्षीय ओली ने संसद के शेष कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री पद को बारी-बारी से साझा करने पर सहमति व्यक्त की.

इस बीच माओवादी सूत्रों के अनुसार मौजूदा गठबंधन को बचाने के लिए प्रधानमंत्री प्रचंड और सीपीएन-यूएमएल प्रमुख ओली के बीच बातचीत भी विफल रही. प्रचंड के हवाले से शाह ने कहा कि गठबंधन सरकार को गिराने और देश में अस्थिरता पैदा करने की साजिश रची गई है. उन्होंने कहा कि यह साजिश ऐसे समय में हुई जब सरकार भ्रष्टाचार को खत्म करने और सुशासन लाने पर ध्यान केंद्रित कर रही थी.

संवैधानिक प्रावधान के अनुसार, प्रधानमंत्री के पास प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हासिल करने के लिए 30 दिन का समय होगा, जिससे प्रचंड को राजनीतिक पैंतरेबाजी के लिए कुछ समय मिल जाएगा. प्रचंड के हवाले से कहा गया कि हम गठबंधन को बचाने के लिए राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी), नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल सहित विभिन्न दलों के साथ चर्चा करेंगे.

पार्टी सूत्रों के अनुसार नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष देउबा ने मंगलवार सुबह बुधनीलकांठा स्थित अपने आवास पर पार्टी पदाधिकारियों की बैठक के दौरान सीपीएन-यूएमएल के साथ हुए समझौते के बारे में पार्टी पदाधिकारियों को जानकारी दी. देउबा ने सीपीएन-यूएमएल के साथ हुए शुरुआती सत्ता-साझेदारी समझौते पर चर्चा की और बताया कि इस समझौते के तहत बनने वाली सरकार का नेतृत्व दोनों दलों के बीच बारी-बारी से होगा.

इस बीच सत्तारूढ़ गठबंधन के प्रमुख सहयोगियों में से एक आरएसपी ने नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल के बीच नए गठबंधन में भाग न लेने का फैसला किया है. पार्टी सूत्रों ने बताया कि मंगलवार को सचिवालय की बैठक के दौरान पार्टी ने मौजूदा सरकार से हटने का भी फैसला किया. पार्टी के पास वर्तमान में प्रतिनिधि सभा में 21 सीटें हैं. नेपाल में पिछले 16 वर्षों में 13 सरकारें बनी हैं, जो हिमालयी राष्ट्र की राजनीतिक व्यवस्था की नाजुक प्रकृति को दर्शाता है.

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