नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मलेशियाई पीएम अनवर इब्राहिम के बीच मंगलवार को द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के बाद दोनों देशों के बीच आठ समझौतों पर हस्ताक्षर हुए. इनमें डिजिटल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सहयोग भी शामिल है.
शिखर सम्मेलन के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है, "डिजिटल कोऑपरेशन के क्षेत्र में दोनों प्रधानमंत्रियों ने डिजिटल टेक्नोलॉजी पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया और डिजिटल क्षेत्र में भागीदारी का मार्गदर्शन करने और दोनों देशों के बीच डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल बी2बी पार्टनरशिप, डिजिटल कैपेसिटी बिल्डिंग, साइबर सिक्योरिटी, 5जी, क्वांटम कंप्यूटिंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी उभरती टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग में तेजी लाने के लिए जल्द ही मलेशिया-भारत डिजिटल काउंसिल की बैठक आयोजित करने को प्रोत्साहित किया."
Had fruitful talks with PM @anwaribrahim of Malaysia. We took stock of the full range of bilateral ties between our nations and considering the extensive engagements between the two nations, we have decided to elevate our partnership to a Comprehensive Strategic Partnership. pic.twitter.com/x7y9YODgsl
— Narendra Modi (@narendramodi) August 20, 2024
समझौतों के आदान-प्रदान के बाद इब्राहिम के साथ संयुक्त रूप से मीडिया को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत-मलेशिया डिजिटल काउंसिल की स्थापना करने और डिजिटल टेकनोलॉजी कोऑपरेशन के लिए स्टार्टअप अलायंस बनाने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘भारत के यूपीआई और मलेशिया के पेनेट को जोड़ने पर भी काम किया जाएगा."
डिजिटल अर्थव्यवस्था में भारत की प्रगति
बता दें कि भारत ने पिछले पांच साल में डिजिटल अर्थव्यवस्था और साइबर सिक्योरिटी के मामले में बहुत प्रगति की है, खासकर मोबाइल फोन, UIDAI और जन धन खातों के उपयोग में, जिससे लोगों को बैंकिंग जैसी सरकारी वित्तीय सेवाओं तक पहुंच बनाने में मदद मिली है.
पिछले साल जी20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने ग्लोबल डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर रिपोजिटरी (GDPIR) बनाने पर बहुत जोर दिया था.डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) में डिजिटल आइडेंटिफिकेशन, पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर और डेटा एक्सचेंज सोल्यूशन जैसे मूलभूत तत्व या ढांचे शामिल हैं. ये कंपोनेंट देशों को अपने नागरिकों को महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करने, सशक्तिकरण को बढ़ावा देने और डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देकर लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
अब तक यूरोपीय संघ (EU) और भारत सहित 15 अन्य देशों के DPI को GDPIR में शामिल किया जा चुका है. अन्य देशों के साथ डिजिटल टेक्नोलॉजी कोऑपरेशन को बढ़ावा देने के लिए भारत का प्रयास कई रणनीतिक, आर्थिक और भू-राजनीतिक विचारों से उपजा है.
तकनीकी रूप से एडवांस देशों के साथ सहयोग करने से भारत को अत्याधुनिक इनोवेशन तक एक्सेस प्राप्त करने में मदद मिलती है, जिससे उसकी अपनी तकनीकी क्षमताएं बढ़ती हैं. डिजिटल कोऑपरेशन को बढ़ावा देने से भारत ग्लोबल टेक्नोलॉजी कंपनियों और निवेशकों के लिए एक आकर्षक डेस्टिनेशन बन जाता है, जिससे रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है. अंतरराष्ट्रीय पार्टनरशिप भारतीय स्टार्टअप और छोटे और मध्यम साइज के उद्यमों को वैश्विक बाजारों, प्रौद्योगिकियों और बेस्ट प्रैक्टिस तक पहुंच प्रदान करती है.
भारत-मलेशिया की बीच रणनीतिक साझेदारी
डिजिटल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सहयोग पर समझौते पर हस्ताक्षर उस दिन हुए हैं, जब भारत-मलेशिया द्विपक्षीय संबंध व्यापक से आगे बढ़कर रणनीतिक साझेदारी के स्तर पर पहुंच गए हैं. डिजिटल टेक्नोलॉजी आधुनिक भू-राजनीतिक गतिशीलता के लिए केंद्रीय बन रही हैं.
अन्य देशों के साथ डिजिटल सहयोग में शामिल होकर, भारत अपने रणनीतिक संबंधों को मजबूत कर रहा है और उन देशों के साथ जुड़ रहा है जो डेटा, प्राइवेसी, साइबर सुरक्षा और डिजिटल शासन जैसे मुद्दों पर समान मूल्य साझा करते हैं. डिजिटल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने से भारत को वैश्विक डिजिटल शासन ढांचे को इस तरह से प्रभावित करने में मदद मिलती है, जो राष्ट्रीय संप्रभुता का सम्मान करता है और डेटा स्थानीयकरण और डिजिटल प्राइवेसी को लेकर चिंताओं को दूर करता है.
भारत ने आधार, यूपीआई और डिजिटल इंडिया जैसी पहलों के माध्यम से खुद को ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में भी बढ़ावा दिया है. ऐसे में भारत अन्य विकासशील देशों के साथ बड़े पैमाने पर समावेशी डिजिटल बुनियादी ढांचे के निर्माण में अपने अनुभव को साझा कर सकता है. इससे ऐसे देशों को संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में भी मदद मिलेगी.
डिजिटल टेक्नोलॉजी अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भी एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभरी है. अपनी सफल डिजिटल पहलों को अन्य देशों के साथ साझा करके, भारत अंतरराष्ट्रीय मामलों में अपनी सॉफ्ट पावर और प्रभाव को बढ़ा सकता है. संक्षेप में, मलेशिया के मामले की तरह अन्य देशों के साथ डिजिटल प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने से भारत को वैश्विक डिजिटल परिदृश्य में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में खुद को स्थापित करने में मदद मिलती है.
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