वाशिंगटन: अमेरिकी विदेश विभाग भारत के साथ प्रस्तावित ड्रोन सौदे को लेकर आशावादी है. इसके साथ ही रणनीतिक प्रौद्योगिकी सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए इसकी महत्वपूर्ण क्षमता पर भी जोर दिया. इस सौदे की घोषणा पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान की गई थी. ये पिछले दशक में अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी में पर्याप्त वृद्धि का प्रतीक है.
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने भारत के साथ रणनीतिक प्रौद्योगिकी सहयोग और क्षेत्र में सैन्य सहयोग बढ़ाने में समझौते के महत्व पर प्रकाश डाला. मीडिया को संबोधित करते हुए मिलर ने कहा, 'तो मैं कहूंगा कि आम तौर पर अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी में पिछले दशक में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है. यह एक प्रस्तावित बिक्री है जिसकी घोषणा पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान की गई थी.
उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि यह भारत के साथ रणनीतिक प्रौद्योगिकी सहयोग और क्षेत्र में सैन्य सहयोग को आगे बढ़ाने की महत्वपूर्ण क्षमता प्रदान करता है.'उन्होंने औपचारिक अधिसूचनाओं से पहले विदेशी मामलों की समितियों पर कांग्रेस के सदस्यों के साथ नियमित परामर्श पर जोर देते हुए, हथियार हस्तांतरण प्रक्रिया में कांग्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका को भी स्वीकार किया.
मिलर ने यह भी कहा,'बेशक, अमेरिकी हथियार हस्तांतरण प्रक्रिया में कांग्रेस एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. हम अपनी औपचारिक अधिसूचना से पहले नियमित रूप से विदेशी मामलों की समितियों पर कांग्रेस के सदस्यों के साथ परामर्श करते हैं ताकि हम उनके प्रश्नों का समाधान कर सकें लेकिन मुझे इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना है कि औपचारिक अधिसूचना कब होगी.'
प्रस्तावित ड्रोन सौदा अमेरिका और भारत के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है. जून 2023 में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और पीएम मोदी ने जनरल एटॉमिक्स द्वारा बनाए गए प्रीडेटर ड्रोन खरीदने की भारत की योजना का स्वागत किया. एक मेगा समझौता जो अमेरिकी नौसेना के जहाजों को भारतीय शिपयार्ड में प्रमुख मरम्मत करने की अनुमति देगा.
राष्ट्रपति बाइडेन और पीएम मोदी ने जनरल एटॉमिक्स एमक्यू-9बी हेल यूएवी (MQ-9B HALE UAVs) खरीदने की भारत की योजना का स्वागत किया. भारत में असेंबल किए गए एमक्यू-9बी (MQ-9B) विभिन्न क्षेत्रों में भारत के सशस्त्र बलों की आईएसआईर (ISR) क्षमताओं को बढ़ाएंगे. अमेरिका-भारत के संयुक्त बयान के अनुसार इस योजना के हिस्से के रूप में जनरल एटॉमिक्स भारत में एक व्यापक वैश्विक एमआरओ सुविधा भी स्थापित करेगा.
यह समझौता भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और निगरानी क्षमताओं को मजबूत करेगा जो हिंद महासागर से परे और चीन के साथ सीमा क्षेत्र को शामिल करेगा. भारत अपने दो प्रमुख विरोधियों - पाकिस्तान और चीन - के साथ विशाल समुद्री और भूमि सीमाएँ साझा करता है और अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए उनकी गतिविधियों की निरंतर निगरानी की आवश्यकता है.