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भारत में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव का आरोप, अमेरिकी रिपोर्ट में जताई गई चिंता - US discrimination India

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By ANI

Published : Jun 27, 2024, 1:26 PM IST

US alleged discrimination of minorities in India: एक अमेरिकी रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों को लेकर एक बार फिर से भारत पर हमला किया गया. भारत इस रिपोर्ट को तैयार करने वाले संगठन की पूर्व में कड़ी आलोचना कर चुका है.

US Secretary of State Antony Blinken
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (ANI)

वाशिंगटन: अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) ने भारत में 'घृणास्पद भाषण', विध्वंस और धर्मांतरण विरोधी कानूनों में कथित वृद्धि का हवाला देते हुए धार्मिक स्वतंत्रता पर फिर से 'चिंता' जताई है. यूएससीआईआरएफ (USCIRF) एक ऐसा संगठन जिसकी भारत ने अतीत में कड़ी आलोचना की है. यह रिपोर्ट हर साल तैयार की जाती है और इसमें विश्व भर में धार्मिक स्वतंत्रता का सर्वेक्षण शामिल होता है. इसका उद्देश्य लगभग 200 देशों और क्षेत्रों में 'धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति का तथ्य-आधारित, व्यापक दृष्टिकोण' उपलब्ध कराना है.

यह निष्कर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत के कुछ सप्ताह बाद सामने आया है. साथ ही अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन की भारत यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका ने उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की थी. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सोमवार को वाशिंगटन में एक कार्यक्रम में संवाददाताओं से कहा, 'भारत में हम धर्मांतरण विरोधी कानूनों, अभद्र भाषा, अल्पसंख्यक धार्मिक समुदायों के सदस्यों के घरों और पूजा स्थलों को ध्वस्त करने की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि देख रहे हैं.'

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिका के राजदूत रशद हुसैन ने भी भारत की स्थिति पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा, 'भारत में ईसाई समुदायों ने बताया कि स्थानीय पुलिस ने धर्मांतरण गतिविधियों के आरोप में पूजा सेवाओं को बाधित करने वाली भीड़ की सहायता की, या जब भीड़ ने उन पर हमला किया तो वे मूकदर्शक बनी रहीं और फिर पीड़ितों को धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.'

इससे पहले मई में भारत ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग की एक ऐसी ही रिपोर्ट को खारिज कर दिया था. इसमें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर 'भेदभावपूर्ण राष्ट्रवादी नीतियों को मजबूत करने' का आरोप लगाया गया था और संगठन को 'राजनीतिक एजेंडे' वाला 'पक्षपाती' बताया था. अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) को एक राजनीतिक एजेंडे वाले पक्षपाती संगठन के रूप में जाना जाता है.

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक प्रेस वार्ता में कहा, 'वे वार्षिक रिपोर्ट के रूप में भारत पर अपना दुष्प्रचार प्रकाशित करना जारी रखते हैं.' उन्होंने कहा, 'हमें वास्तव में कोई उम्मीद नहीं है कि यूएससीआईआरएफ भारत के विविधतापूर्ण, बहुलवादी और लोकतांत्रिक चरित्र को समझने की कोशिश भी करेगा. दुनिया की सबसे बड़ी चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने के उनके प्रयास कभी सफल नहीं होंगे.'

यूएससीआईआरएफ ने तब आरोप लगाया था कि भारत सरकार 2023 में मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, दलितों, यहूदियों और आदिवासियों (स्वदेशी लोगों) को असमान रूप से प्रभावित करने वाली सांप्रदायिक हिंसा को संबोधित करने में विफल रही है. रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्षों में भारत, चीन, रूस और ईरान सहित कई देशों पर कुछ विशेष धार्मिक समुदायों के सदस्यों को लक्षित करने के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है.

रिपोर्ट के एक विस्तृत भाग में भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ कथित लक्षित हमलों का भी उल्लेख किया गया है. रिपोर्ट में भारत की धार्मिक स्वतंत्रता पर कई चिंताएं व्यक्त की गई हैं. इसमें दावा किया गया है कि कई राज्यों में धार्मिक धर्मांतरण 'कानूनी रूप से प्रतिबंधित' हैं. धार्मिक अल्पसंख्यकों पर 'नियमित रूप से हमले' होते हैं, और आरोप लगाया गया है कि मुसलमानों को प्रणालीगत भेदभाव का सामना करना पड़ता है.

ये भी पढ़ें- भारत पर प्रतिबंध लगाने की अमेरिकी चेतावनी पर जयशंकर ने दिया जवाब, जानें क्या बोले विदेश मंत्री?

वाशिंगटन: अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) ने भारत में 'घृणास्पद भाषण', विध्वंस और धर्मांतरण विरोधी कानूनों में कथित वृद्धि का हवाला देते हुए धार्मिक स्वतंत्रता पर फिर से 'चिंता' जताई है. यूएससीआईआरएफ (USCIRF) एक ऐसा संगठन जिसकी भारत ने अतीत में कड़ी आलोचना की है. यह रिपोर्ट हर साल तैयार की जाती है और इसमें विश्व भर में धार्मिक स्वतंत्रता का सर्वेक्षण शामिल होता है. इसका उद्देश्य लगभग 200 देशों और क्षेत्रों में 'धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति का तथ्य-आधारित, व्यापक दृष्टिकोण' उपलब्ध कराना है.

यह निष्कर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत के कुछ सप्ताह बाद सामने आया है. साथ ही अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन की भारत यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका ने उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की थी. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सोमवार को वाशिंगटन में एक कार्यक्रम में संवाददाताओं से कहा, 'भारत में हम धर्मांतरण विरोधी कानूनों, अभद्र भाषा, अल्पसंख्यक धार्मिक समुदायों के सदस्यों के घरों और पूजा स्थलों को ध्वस्त करने की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि देख रहे हैं.'

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिका के राजदूत रशद हुसैन ने भी भारत की स्थिति पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा, 'भारत में ईसाई समुदायों ने बताया कि स्थानीय पुलिस ने धर्मांतरण गतिविधियों के आरोप में पूजा सेवाओं को बाधित करने वाली भीड़ की सहायता की, या जब भीड़ ने उन पर हमला किया तो वे मूकदर्शक बनी रहीं और फिर पीड़ितों को धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.'

इससे पहले मई में भारत ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग की एक ऐसी ही रिपोर्ट को खारिज कर दिया था. इसमें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर 'भेदभावपूर्ण राष्ट्रवादी नीतियों को मजबूत करने' का आरोप लगाया गया था और संगठन को 'राजनीतिक एजेंडे' वाला 'पक्षपाती' बताया था. अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) को एक राजनीतिक एजेंडे वाले पक्षपाती संगठन के रूप में जाना जाता है.

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक प्रेस वार्ता में कहा, 'वे वार्षिक रिपोर्ट के रूप में भारत पर अपना दुष्प्रचार प्रकाशित करना जारी रखते हैं.' उन्होंने कहा, 'हमें वास्तव में कोई उम्मीद नहीं है कि यूएससीआईआरएफ भारत के विविधतापूर्ण, बहुलवादी और लोकतांत्रिक चरित्र को समझने की कोशिश भी करेगा. दुनिया की सबसे बड़ी चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने के उनके प्रयास कभी सफल नहीं होंगे.'

यूएससीआईआरएफ ने तब आरोप लगाया था कि भारत सरकार 2023 में मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, दलितों, यहूदियों और आदिवासियों (स्वदेशी लोगों) को असमान रूप से प्रभावित करने वाली सांप्रदायिक हिंसा को संबोधित करने में विफल रही है. रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्षों में भारत, चीन, रूस और ईरान सहित कई देशों पर कुछ विशेष धार्मिक समुदायों के सदस्यों को लक्षित करने के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है.

रिपोर्ट के एक विस्तृत भाग में भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ कथित लक्षित हमलों का भी उल्लेख किया गया है. रिपोर्ट में भारत की धार्मिक स्वतंत्रता पर कई चिंताएं व्यक्त की गई हैं. इसमें दावा किया गया है कि कई राज्यों में धार्मिक धर्मांतरण 'कानूनी रूप से प्रतिबंधित' हैं. धार्मिक अल्पसंख्यकों पर 'नियमित रूप से हमले' होते हैं, और आरोप लगाया गया है कि मुसलमानों को प्रणालीगत भेदभाव का सामना करना पड़ता है.

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