इस्लामाबाद : पाकिस्तान के खैबरपख्तूनख्वा प्रांत में गुरुवार को बड़ा आतंकी हमला हुआ. पीटीआई न्यूज एजेंसी के मुताबिक इस हमले में कम से कम 50 लोगों के मारे जाने की खबर है. 20 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं. पाकिस्तान पुलिस ने जो जानकारी दी है, उसके मुताबिक शिया मुस्लिम यात्रियों को ले जा रहे वाहनों पर आतंकियों ने हमले किए थे.
पीटीआई न्यूज एजेंसी के मुताबिक एक स्थानीय पत्रकार ने बताया कि तालिबान के प्रभुत्व वाले इलाकों में गाड़ियों पर घात लगाकर हमला किया गया. उन्होंने यह भी बताया कि इस काफिले में 200 से अधिक वाहन शामिल थे.
खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन खान गंडापुर ने इस हमले की कड़ी निंदा की और उन्होंने अपने प्रांतीय कानून मंत्री और मुख्य सचिव को कुर्रम जाने का आदेश दिया. उनके साथ एक प्रतिनिधिमंडल भी भेजा गया है.
उन्होंने संबंधित अधिकारियों को प्रांत की सभी सड़कों को सुरक्षित करने के लिए एक प्रांतीय राजमार्ग पुलिस इकाई की स्थापना पर काम करने का भी निर्देश दिया. गंडापुर ने शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और पीड़ितों के परिवारों के लिए वित्तीय सहायता की घोषणा की.
उन्होंने कहा, "निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाना बेहद दुखद और निंदनीय है. इस घटना में शामिल लोग कानून की पकड़ से बच नहीं पाएंगे."
इन हमलों को पिछले कई सालों में हुए हमलों में सबसे गंभीर माना जा रहा है. एपी न्यूज एजेंसी के मुताबिक यात्रीगण पाराचिनार से पेशावर जा रहे थे. जहां पर हमला किया गया, वह एरिया कुर्रम जिले में पड़ता है.
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी जावेद उल्ला महसूद ने एएफपी न्यूज एजेंसी को बताया, "कुर्रम जिले में शिया लोगों के दो अलग-अलग काफिलों को आतंकवादियों ने निशाना बनाया." उन्होंने मरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी की बात कही है.
पुलिस ने यह भी बताया कि पीड़ितों में महिलाएं, कई बच्चे और पुलिस अधिकारी शामिल हैं. उनके अनुसार इन हमलों में कम से कम 10 हमलावर शामिल थे और उन्होंने सड़क के दोनों किनारों से अंधाधुंध गोलियां चलाईं.
एएफपी के अनुसार, "दोनों काफिलों में पुलिस सुरक्षा के तहत यात्रा करने वाले लगभग 40 वाहन शामिल थे." इन इलाकों में पिछले कई सालों से अलग-अलग जनजातियों और गुटों के बीच आपसी झगड़ा चल रहा है. पहले भी इस तरह के हमले हुए हैं, और उनमें कई लोगों की जानें गई हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इन इलाकों में रहने वाले लोगों का अफगानिस्तान की सीमा से आना जाना होता है, लिहाजा, जब भी यहां पर तनाव बढ़ता है, सीमा को बंद कर दिया जाता है और इसकी वजह से आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
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