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पाकिस्तान न्यायिक मामलों में खुफिया एजेंसियों के हस्तक्षेप के न्यायाधीशों के आरोपों की करेगा जांच - Pakistan Supreme Court

Pakistan Supreme Court, पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा ने गुरुवार को यह कहा कि न्यायाधीशों के मामलों और न्यायिक कामकाज में कार्यपालिका द्वारा हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, क्योंकि सरकार ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा उनके मामलों में शक्तिशाली खुफिया एजेंसियों के हस्तक्षेप के विस्फोटक आरोपों की औपचारिक जांच की घोषणा की है.

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By PTI

Published : Mar 28, 2024, 10:53 PM IST

Chief Justice of Pakistan
पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश

इस्लामाबाद: पाकिस्तान सरकार ने न्यायपालिका के मामलों में देश की शक्तिशाली खुफिया एजेंसियों के हस्तक्षेप को लेकर इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) के छह न्यायाधीशों के विस्फोटक आरोप की औपचारिक जांच की गुरुवार को घोषणा की.

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश काजी फैज ईसा की एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद यह फैसला किया गया. वे दोनों इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के छह न्यायाधीशों द्वारा उनके कार्यों में खुफिया अधिकारियों द्वारा हस्तक्षेप का आरोप लगाने वाले पत्र के मद्देनजर स्थिति से निपटने के लिए मिले थे.

यह उच्च-स्तरीय बैठक प्रधान न्यायाधीश द्वारा पूर्ण पीठ की एक बैठक की अध्यक्षता करने तथा इस मुद्दे पर चर्चा के एक दिन बाद हुई. अटॉर्नी जनरल मंसूर उस्मान अवान ने भी बुधवार को प्रधान न्यायाधीश से मुलाकात की थी और इस पेचीदा मुद्दे पर चर्चा की थी. बाद में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है और इसकी उचित जांच की जानी चाहिए.

कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने अटॉर्नी जनरल अवान के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि शरीफ ने प्रधान न्यायाधीश के साथ जटिल मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की और आरोपों की सत्यता का पता लगाने के लिए वे एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित करने पर सहमत हुए.

प्रधानमंत्री और प्रधान न्यायाधीश की बैठक में तरार और अवान मौजूद थे. तरार ने कहा कि शरीफ ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक बुलाई है. उन्होंने कहा कि 'कैबिनेट मामले की जांच करने और रिपोर्ट तैयार वाले आयोग का नेतृत्व करने के वास्ते किसी प्रतिष्ठित पूर्व न्यायाधीश के नाम पर सहमत होगी.' उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि मामले की उचित जांच की जाएगी और भविष्य में हस्तक्षेप की ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे.

इस्लामाबाद: पाकिस्तान सरकार ने न्यायपालिका के मामलों में देश की शक्तिशाली खुफिया एजेंसियों के हस्तक्षेप को लेकर इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) के छह न्यायाधीशों के विस्फोटक आरोप की औपचारिक जांच की गुरुवार को घोषणा की.

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश काजी फैज ईसा की एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद यह फैसला किया गया. वे दोनों इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के छह न्यायाधीशों द्वारा उनके कार्यों में खुफिया अधिकारियों द्वारा हस्तक्षेप का आरोप लगाने वाले पत्र के मद्देनजर स्थिति से निपटने के लिए मिले थे.

यह उच्च-स्तरीय बैठक प्रधान न्यायाधीश द्वारा पूर्ण पीठ की एक बैठक की अध्यक्षता करने तथा इस मुद्दे पर चर्चा के एक दिन बाद हुई. अटॉर्नी जनरल मंसूर उस्मान अवान ने भी बुधवार को प्रधान न्यायाधीश से मुलाकात की थी और इस पेचीदा मुद्दे पर चर्चा की थी. बाद में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है और इसकी उचित जांच की जानी चाहिए.

कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने अटॉर्नी जनरल अवान के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि शरीफ ने प्रधान न्यायाधीश के साथ जटिल मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की और आरोपों की सत्यता का पता लगाने के लिए वे एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित करने पर सहमत हुए.

प्रधानमंत्री और प्रधान न्यायाधीश की बैठक में तरार और अवान मौजूद थे. तरार ने कहा कि शरीफ ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक बुलाई है. उन्होंने कहा कि 'कैबिनेट मामले की जांच करने और रिपोर्ट तैयार वाले आयोग का नेतृत्व करने के वास्ते किसी प्रतिष्ठित पूर्व न्यायाधीश के नाम पर सहमत होगी.' उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि मामले की उचित जांच की जाएगी और भविष्य में हस्तक्षेप की ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे.

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