हैदराबाद : 2008 के बाद से नेपाल में 13 बार सरकारें बदल चुकी हैं. इसी साल नेपाल में राजशाही खत्म हो गई थी. नेपाल गणराज्य बन गया. इसके बावजूद नेपाल में अब तक जितनी भी सरकारें बनी हैं, सभी गठबंधन की सरकारें रही हैं. किसी भी सिंगल पार्टी को बहुमत नहीं मिला है.
नेपाल में सबसे पहली बार 2008 में संविधान सभा के लिए चुनाव हुआ था. इसमें माओवादी भी शामिल हुए थे. इसके लिए 2006 में एक शांति समझौता हुआ था. तब उन्होंने मुख्य धारा में लौटने की बात कही थी. इसका नेतृत्व पुष्प दहल कमल प्रचंड कर रहे थे. इनकी पार्टी का नाम है - सीपीएन (माओवादी). यूएमएल के साथ इनका गठबंधन हुआ था, और प्रचंड को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था.
2009 में प्रचंड ने इस्तीफा दे दिया. तत्कालीन राष्ट्रपति राम बरन यादव ने आर्मी चीफ रूकमंगद कटवाल को बर्खास्त करने के फैसले को पलट दिया था. इस विषय को लेकर प्रचंड के साथ उनका मतभेद हो गया था.
इसके बाद यूएमएल और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई. इसका नेतृत्व माधव कुमार नेपाल कर रहे थे. 2008 में मिली हार के बाद सीपीएन-यूएमएल ने मिलकर सरकार बनाई. सरकार का नेतृत्व माधर कुमार नेपाल के पास ही रहा.
जून 2010 में माओवादियों के दबाव में माधव कुमार नेपाल को इस्तीफा देना पड़ा. इनकी जगह पर झाला नाथ खनाल फरवरी 2011 में नए पीएम बने.
अगस्त 2011 में बाबू राम भट्टाराय नए पीएम बने. भट्टराय ने सेना और माओवादियों के बीच इंटेगरेशन का मुद्दा सुलझा दिया. लेकिन संविधान लिखे जाने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी.
नवंबर 2013 में संविधान सभा के सदस्यों के चुनाव के लिए मतदान हुआ. इस दौरान खिलराज रेगमी मुख्य न्यायाधीश थे. उन्हें ही अंतरिम सरकार का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.
फरवरी 2014 में नेपाली कांग्रेस के सुशील कोइराला नए पीएम बने. उन्होंने सीपीएन-यूएमएल के साथ हाथ मिलाया था. इसी दौरान नेपाल ने नए संविधान को भी स्वीकार किया.
20 सितंबर 2015 तक नेपाल को नया संविधान मिल गया. कांग्रेस, यूएमएल और माओवादी, तीनों एक साथ आ गए थे.
अक्टूबर 2015 में फिर चुनाव हुए. सीपीएन-यूएमएल ने गठबंधन सरकार बनाई. नेतृत्व केपी शर्मा ओली के पास गया. इनकी सरकार को मधेशी जन अधिकारी फोरम लोकतांत्रिक और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी नेपाल ने भी समर्थन दिया था. जुलाई 2016 को इन्होंने इस्तीफा दे दिया, क्योंकि सीपीएन ने इनसे समर्थन वापस ले लिया.
अगस्त 2016 में प्रचंड फिर से पीएम बने. कांग्रेस ने उन्हें समर्थन प्रदान किया था. जून 2017 में शेर बहादुर देउबा नए पीएम बने. इनकी भी मिलीजुली सरकार थी. इस दौरान सरकार के तीनों स्तर पर चुनाव हुए. यूएमएल और माओवादी सेंटर को बड़ी जीत हासिल हुई. 15 फरवरी 2018 को केपी शर्मा ओली पीएम बने.
मई 2018 में माओवादी और यूएमएल का विलय हो गया. नए पार्टी का नाम नेपाल कॉम्युनिस्ट पार्टी रखा गया. लेकिन बाद में ओली ने प्रचंड के लिए पीएम पद खाली करने से मना कर दिया. इसके बाद फिर से उनकी पार्टी टूट गई.
ओली ने संसद को भंग कर चुनाव करा दिया. उन्होंने दो-दो बार ऐसा किया. इसके बाद प्रचंड की पार्टी ने नेपाली कांग्रेस के साथ समझौता किया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ओली को हटाया गया. शेर बहादुर देउबा नए पीएम बने.
नवंबर 2022 में लगातार चुनाव हुए. देउबा की पार्टी नेपाली कांग्रेस को जीत मिली, लेकिन बहुमत के आंकड़े से वह पीछे रह गए. उन्होंने प्रचंड की पार्टी के साथ समझौता किया. प्रचंड दिसंबर 2022 में फिर से पीएम बने. उन्होंने सीपीएन-यूएमएल के साथ समझौता किया था. उन्होंने नेपाली कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था. लेकिन नवंबर 2022 में उन्होंने कांग्रेस के साथ ही चुनाव लड़ा था.
जनवरी 2023 में प्रचंड को सबसे बड़ी जीत मिली. यह नेपाल के संसदीय इतिहास में सबसे बड़ी जीत है. फरवरी 2023 में ओली और उनकी पार्टी सीपीएन-यूएमएल ने अपना समर्थन वापस ले लिया. इसकी वजह थी राष्ट्रपति चुनाव पर मतभेद.
मार्च 2023 में प्रचंड ने नेपाली कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया. उन्होंने सीपीएन-यूएमएल को अपने गठबंधन से बाहर निकाल दिया. मार्च 2024 में नेपाली कांग्रेस के साथ फिर उनकी अनबन हो गई. उन्हें विश्वास मत का सामना करना पड़ा.
इसी महीने जुलाई 2024 में नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल ने मिलकर समझौता कर लिया. प्रचंड को बहुमत हासिल नहीं हुआ. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केपी शर्मा ओली और शेर बहादुर देउबा के बीच पीएम पद को लेकर समझौता हुआ है. बाकी बचे हुए समय में दोनों बारी-बारी से पीएम पद संभालेंगे.
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