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नेपाल के डिप्टी पीएम का तिब्बत दौरा, चीन के साथ 14 पारंपरिक सीमा बिंदु खोलने का आह्वान - Nepal DyPM Shrestha visits Tibet

Nepal DyPM visits Tibet: नेपाल ने चीन से तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र के साथ 14 पारंपरिक सीमा बिंदुओं को न केवल द्विपक्षीय व्यापार और वाणिज्य के लिए, बल्कि लोगों की आवाजाही के लिए भी फिर से खोलने का आग्रह किया है.

NEPAL DYPM SHRESTHA VISITS TIBET CALLS FOR OPENING 14 TRADITIONAL BORDER POINTS WITH CHINA (Photo - IANS)
नेपाल के डिप्टी पीएम श्रेष्ठ ने तिब्बत का दौरा किया, चीन के साथ 14 पारंपरिक सीमा बिंदु खोलने का किया आह्वान ( फोटो - आईएएनएस)
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By PTI

Published : Mar 30, 2024, 5:22 PM IST

काठमांडू: नेपाल ने चीन से तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र के साथ 14 पारंपरिक सीमा बिंदुओं को न केवल द्विपक्षीय व्यापार और वाणिज्य के लिए, बल्कि लोगों की आवाजाही के लिए भी फिर से खोलने का आग्रह किया है.

उप प्रधान मंत्री और विदेश मामलों के मंत्री नारायण काजी श्रेष्ठ ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) तिब्बत स्वायत्त क्षेत्रीय समिति के सचिव वांग जुनझेंग के साथ एक बैठक की. उस दौरान उन्होंने नेपाल से उत्पादों के निर्यात के महत्व को रेखांकित किया. श्रेष्ठ, वो इस महीने की शुरुआत में पदभार संभालने के बाद अपनी पहली चीन यात्रा पर हैं,25 मार्च से 1 अप्रैल तक की अपनी यात्रा के तहत शुक्रवार को ल्हासा में थे. उन्होंने नेपाल-चीन सीमाओं पर निवासियों के सामने आने वाले मुद्दों के समाधान के लिए चीनी पक्ष से सहयोग का भी आग्रह किया.

ल्हासा में नेपाल के महावाणिज्य दूतावास की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि बैठक के दौरान श्रेष्ठ ने व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देने पर बात की. साथ ही, लोगों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए पारंपरिक सीमा बिंदुओं को फिर से खोलने की आवश्यकता दोहराई.

MyRepublica समाचार पोर्टल के अनुसार, उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में चारागाह के उपयोग की व्यवस्था करने, नेपाली कंटेनरों के लिए प्रवेश पास प्रदान करने और नेपाल के ऊंचे इलाकों में विद्युतीकरण के लिए सहयोग मांगा. उन्होंने दो दिन पहले बीजिंग में चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ अपनी बैठक के दौरान 14 नेपाल-चीन पारंपरिक पारगमन को फिर से शुरू करने के समझौते को याद किया. उन्होंने समझ को लागू करने के लिए तिब्बत के प्रशासन की ओर से सुविधाजनक भूमिका की अपेक्षा की.

रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रेष्ठ ने चीनी पक्ष से काठमांडू-ल्हासा बस सेवा को फिर से शुरू करने के लिए प्रावधान करने का भी आह्वान किया. नेपाल ने चीन से न केवल द्विपक्षीय व्यापार और वाणिज्य के लिए, बल्कि लोगों की आवाजाही के लिए भी तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र के साथ 14 पारंपरिक सीमा बिंदुओं को फिर से खोलने का आग्रह किया है.

उन्होंने आर्थिक सहयोग को और मजबूत करने के लिए हेलेज, पका हुआ भैंस का मांस और औषधीय जड़ी-बूटियों सहित अन्य उत्पादों के निर्यात के महत्व को भी रेखांकित किया. हेलेज एक प्रकार का पौष्टिक पशु आहार है. द काठमांडू पोस्ट अखबार ने बयान के हवाले से बताया कि उप प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए ट्रांसमिशन लाइनों सहित बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी के क्षेत्रों में सहयोग करने की आवश्यकता व्यक्त की. दोनों नेताओं ने सामाजिक-आर्थिक सहयोग का विस्तार करने, उच्च स्तरीय आदान-प्रदान के माध्यम से समझ और सद्भावना बढ़ाने, चल रहे सहयोग को मजबूत करने और सहयोग के नए क्षेत्रों की खोज से संबंधित मामलों पर भी चर्चा की.

इससे पहले 26 मार्च को, श्रेष्ठ की चीनी विदेश मंत्री वांग के साथ बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा की गई थी. चीन ने नेपाल में नई सरकार से अपनी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) परियोजनाओं के कार्यान्वयन योजना को अंतिम रूप देने का भी आग्रह किया था. हिमालयी राष्ट्र में निरंतर राजनीतिक परिवर्तनों के कारण किसी भी प्रगति के लिए संघर्ष करना पड़ा.

अपनी यात्रा के दौरान श्रेष्ठ के तिब्बत में पवित्र तीर्थस्थल कैलाश मानसरोवर जाने की भी उम्मीद है. इसकी घोषणा पिछले सप्ताह की शुरुआत में की गई थी.

पढ़ें: नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड ने संसद में विश्वास मत जीता

काठमांडू: नेपाल ने चीन से तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र के साथ 14 पारंपरिक सीमा बिंदुओं को न केवल द्विपक्षीय व्यापार और वाणिज्य के लिए, बल्कि लोगों की आवाजाही के लिए भी फिर से खोलने का आग्रह किया है.

उप प्रधान मंत्री और विदेश मामलों के मंत्री नारायण काजी श्रेष्ठ ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) तिब्बत स्वायत्त क्षेत्रीय समिति के सचिव वांग जुनझेंग के साथ एक बैठक की. उस दौरान उन्होंने नेपाल से उत्पादों के निर्यात के महत्व को रेखांकित किया. श्रेष्ठ, वो इस महीने की शुरुआत में पदभार संभालने के बाद अपनी पहली चीन यात्रा पर हैं,25 मार्च से 1 अप्रैल तक की अपनी यात्रा के तहत शुक्रवार को ल्हासा में थे. उन्होंने नेपाल-चीन सीमाओं पर निवासियों के सामने आने वाले मुद्दों के समाधान के लिए चीनी पक्ष से सहयोग का भी आग्रह किया.

ल्हासा में नेपाल के महावाणिज्य दूतावास की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि बैठक के दौरान श्रेष्ठ ने व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देने पर बात की. साथ ही, लोगों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए पारंपरिक सीमा बिंदुओं को फिर से खोलने की आवश्यकता दोहराई.

MyRepublica समाचार पोर्टल के अनुसार, उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में चारागाह के उपयोग की व्यवस्था करने, नेपाली कंटेनरों के लिए प्रवेश पास प्रदान करने और नेपाल के ऊंचे इलाकों में विद्युतीकरण के लिए सहयोग मांगा. उन्होंने दो दिन पहले बीजिंग में चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ अपनी बैठक के दौरान 14 नेपाल-चीन पारंपरिक पारगमन को फिर से शुरू करने के समझौते को याद किया. उन्होंने समझ को लागू करने के लिए तिब्बत के प्रशासन की ओर से सुविधाजनक भूमिका की अपेक्षा की.

रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रेष्ठ ने चीनी पक्ष से काठमांडू-ल्हासा बस सेवा को फिर से शुरू करने के लिए प्रावधान करने का भी आह्वान किया. नेपाल ने चीन से न केवल द्विपक्षीय व्यापार और वाणिज्य के लिए, बल्कि लोगों की आवाजाही के लिए भी तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र के साथ 14 पारंपरिक सीमा बिंदुओं को फिर से खोलने का आग्रह किया है.

उन्होंने आर्थिक सहयोग को और मजबूत करने के लिए हेलेज, पका हुआ भैंस का मांस और औषधीय जड़ी-बूटियों सहित अन्य उत्पादों के निर्यात के महत्व को भी रेखांकित किया. हेलेज एक प्रकार का पौष्टिक पशु आहार है. द काठमांडू पोस्ट अखबार ने बयान के हवाले से बताया कि उप प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए ट्रांसमिशन लाइनों सहित बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी के क्षेत्रों में सहयोग करने की आवश्यकता व्यक्त की. दोनों नेताओं ने सामाजिक-आर्थिक सहयोग का विस्तार करने, उच्च स्तरीय आदान-प्रदान के माध्यम से समझ और सद्भावना बढ़ाने, चल रहे सहयोग को मजबूत करने और सहयोग के नए क्षेत्रों की खोज से संबंधित मामलों पर भी चर्चा की.

इससे पहले 26 मार्च को, श्रेष्ठ की चीनी विदेश मंत्री वांग के साथ बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा की गई थी. चीन ने नेपाल में नई सरकार से अपनी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) परियोजनाओं के कार्यान्वयन योजना को अंतिम रूप देने का भी आग्रह किया था. हिमालयी राष्ट्र में निरंतर राजनीतिक परिवर्तनों के कारण किसी भी प्रगति के लिए संघर्ष करना पड़ा.

अपनी यात्रा के दौरान श्रेष्ठ के तिब्बत में पवित्र तीर्थस्थल कैलाश मानसरोवर जाने की भी उम्मीद है. इसकी घोषणा पिछले सप्ताह की शुरुआत में की गई थी.

पढ़ें: नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड ने संसद में विश्वास मत जीता

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