नई दिल्ली : इजराइली हमले में हिजबुल्लाह प्रमुख नसरल्लाह मारा गया. इजराइल ने इसे बड़ी कामयाबी बताया है. दूसरी ओर हिजबुल्लाह ने इस मौत का बदला लेने की बात कही है. हालांकि, हिजबुल्लाह प्रमुख पर जिस समय हमला किया गया, उससे थोड़ी देर पहले ही संयुक्त राष्ट्र में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे संबोधित किया. उन्होंने यूएन, ईरान, सीरिया और लेबनान की जमकर आलोचना की.
यूएन में नेतन्याहू ने हमास द्वारा इजराइल पर किए गए हमलों से अपनी बात की शुरुआत की. उन्होंने कहा, "ये क्रूर हत्यारे न केवल हमें नष्ट करना चाहते हैं, बल्कि हमारी सभ्यता को भी नष्ट करना चाहते हैं और हम सबको आतंक के अंधेरे युग में लौटाना चाहता है. इस समय हमें मूसा की वो बातें याद आ रही हैं, जब उन्होंने कहा था कि हमारे कार्य यह निर्धारित करेंगे कि हम आने वाली पीढ़ियों को आशीर्वाद देंगे या अभिशाप."
The full speech by Prime Minister Benjamin Netanyahu at the United Nations.
— Hananya Naftali (@HananyaNaftali) September 27, 2024
Pray for Israel's leaders. pic.twitter.com/EboWSPY88K
हमने शांति के लिए किया था अब्राहम अकॉर्ड
नेतन्याहू ने कहा, "हमने मध्य पूर्व में शांति स्थापित करने के लिए बहुत बड़ा कदम उठाया था. सऊदी अरब के साथ अपने संबंधों को सामान्य करने की शुरुआत की थी, लेकिन ईरान समर्थित हमास ने सात अक्टूबर को जघन्य अपराध किया. हजारों की संख्या में ईरान समर्थित हमास आतंकी गाजा में घुस गए, और उन्होंने हमारे 1200 लोगों की निर्ममता से हत्या कर दी, वे लोग एक म्यूजिकल प्रोग्राम में शरीक होने आए थे. हमास के आतंकियों ने महिलाओं के साथ रेप किया, उनका गला काट दिया, पुरुषों को मारा, बच्चों को जला दिया, कइयों के पूरे परिवार खत्म हो गए. यह तो नाजी होलोकॉस्ट (यहूदियों का खात्मा) की याद दिला गया. हमास ने 251 लोगों का अपहरण कर लिया. हालांकि, इनमें से हमने 154 लोगों को छुड़ा लिया और हम वादा करते हैं कि बाकियों को वापस लाएंगे."
नेतन्याहू ने कहा, "हमला सिर्फ हमास ने ही नहीं किया, बल्कि हमने एक साथ सात फ्रंट पर दुश्मनों का सामना किया. हमास के हमले के बाद हिजबुल्लाह ने लेबनान की ओर से हमले शुरू कर दिए. इसके दो सप्ताह बाद ईरान समर्थित हूतियों ने हमले किए. सीरिया और ईराक में ईरान समर्थित संगठनों ने दर्जनों हमले किए. इसी तरह से जुडिया और समारिया के फिलिस्तीन आतंकियों ने हमला किया. यहां तक कि ईरान ने इजराइल की जमीन पर सीधे हमला कर दिया."
नेतन्याहू ने भारत को बताया द ब्लेसिंग
यूएन में नेतन्याहू ने दो मैप दिखाए. इनमें से उन्होंने एक समूह को द ब्लेसिंग बताया, जबकि दूसरे समूह को द कर्स कहा. द कर्स में जिस देशों को दर्शाया गया, उनमें ईरान, इराक, सीरिया, और यमन शामिल था. जबकि दूसरे मैप में भारत, सऊदी अरब, मिस्र और सूडान जैसे देशों को दिखाया.
उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य एशिया और यूरोप को जोड़कर एनर्जी सेक्टर में बड़ा काम करना है. लेकिन देखिए, ईरान ने कैसे हमारी योजनाओं को विफल करने का बीड़ा उठाया है. उनके अनुसार अगर ईरान को नहीं रोका गया, तो यह पूरे मध्य पूर्व में अतिवाद को बढ़ावा देगा. उन्होंने कहा कि ईरान बैलिस्टिक मिसाइल विकसित कर रहा है. वह परमाणु हथियार हासिल करने को लेकर आक्रामक रूख अपना रहा है. इसलिए इसे रोकना जरूरी है, अन्यथा पूरी दुनिया की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी.
नेतन्याहू ने कहा कि सात अक्टूबर के हमले के बाद हमने हमास के 90 फीसदी रॉकेट नष्ट कर दिए हैं, उनके लड़ाकों की संख्या आधी कर दी है. उनके 24 में से 23 बटालियंस का खत्म कर दिया है. उनके हालात ऐसे हैं कि जो कुछ फूड एड एजेंसियों के लिए आ रहे हैं, वे उनकी चोरी कर रहे हैं, और फिर उसे महंगे दामों पर अपने ही आदमियों को बेच रहे हैं, ये ही उनकी हकीकत. नेतन्याहू ने कहा कि इस बार हम गाजा में हमास को कभी भी स्थापित नहीं होने देंगे. अगर हमास के आतंकी सरेंडर कर देते हैं, और हथियार भी जमा कर देते हैं, तो जरूर कुछ बात बन सकती है.
'हिजबुल्लाह पर हमला क्यों जरूरी है'
हिजबुल्लाह पर बोलते हुए नेतन्याहू ने कहा,"इसने तो बिन लादेन के बाद सबसे अधिक अमरीकियों और फ्रांसीसी नागरिकों की हत्या की है. सात अक्टूबर की घटना के बाद हिजबुल्लाह ने अचानक ही हमपर हमले शुरू कर दिए. हमारे 60 हजार नागरिकों को उत्तरी इजराइल से पीछे हटना पड़ा. पिछले 18 सालों से हिजबुल्लाह यूएन की नहीं सुन रहा है. यूएन ने 1701 रेजोल्यूशन के जरिए इजराइल की सीमा से पीछे हटने को कहा, लेकिन आजतक उसने ऐसा नहीं किया. वे लोग स्कूलों और अस्पतालों पर हमले कर रहे हैं, अपने ही नागरिकों के किचन में मिसाइल तैनात किए हुए हैं. यहां तक कि कचरे के डब्बे में रॉकेट छिपाकर रखे हुए हैं."
नेतन्याहू ने कहा कि लेकिन कितनी भी निराशा हो, हम सऊदी अरब के साथ अब्राहम अकॉर्ड को पटरी पर जरूर लाएंगे, हम मध्य पूर्व की स्थितियों में गुणात्मक बदलाव लाने को लेकर दृढ़ संकल्पित हैं और अगर यह योजना सफल हो गई, तो हम ऊर्जा, पानी, कृषि, एआई और कई क्षेत्रों में बड़े बदलाव ला सकते हैं. पूरा मिडिल ईस्ट बदल जाएगा.
यूएन पर बरसे नेतन्याहू
जनरल असेंबली में यूएन की भूमिका पर नेतन्याहू जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की छवि खराब हो रही है. नेतन्याहू ने कहा कि एक तरफ तो यह फिलिस्तीनियों के लिए अदालत की तरह काम करता है, वहीं दूसरी ओर हम जैसे यहूदियों के प्रति भेदभाव अपनाता रहा है. उन्होंने यूएन के लिए एंटिसिमेटिक बाइल जैसे शब्दों का प्रयोग किया. उन्होंने कहा कि यूएन में इजराइल विरोधी मानसिकता हावी है.
नेतन्याहू ने कहा, "पिछले 10 सालों में अकेले इजराइल के खिलाफ इतने रेजोल्यूशन पास हुए हैं, जितना कि दुनिया के बाकी देशों के खिलाफ कुल मिलाकर भी रेजोल्यूशन पारित नहीं हुए हैं. 2014 से अबतक इजराइल को 174 बार निंदा का पात्र बनाया गया है. जबकि दुनिया के दूसरे अन्य देशों के खिलाफ जितने भी प्रस्ताव लाए गए हैं, अगर उनकी संख्या बताई जाए, तो यह मात्र 73 बनता है. क्या यह मजाक नहीं है. इसलिए कहता हूं जब तक इस मानसिकता को दुरुस्त नहीं किया जाएगा, यूएन के प्रति सम्मान का भाव नहीं आ सकता है. अब इसका क्या मतलब है कि यूएन की संस्था आईसीसी मेरे और मेरे रक्षा मंत्री के खिलाफ वारंट जारी कर रही है. आप सबको जानना चाहिए कि वॉर क्रिमिनल इजराइल में नहीं, बल्कि ईरान, सीरिया, लेबनान और यमन में बैठे हैं. इसलिए आपको कहना चाहता हूं कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं है, जीत हमारी ही होगी."
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