हैदराबाद: इजराइल का कहना है कि दुनिया को यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए कि ईरान को कभी भी परमाणु हथियार न मिले और उसने ऐसा होने से रोकने के लिए सीधी सैन्य कार्रवाई की भी धमकी दी है. ईरान हमेशा से कहता रहा है कि वह परमाणु बम नहीं चाहता है. अमेरिका की ओर से विश्व शक्तियों के साथ 2015 के परमाणु समझौते को एकतरफा रूप से त्यागने के बाद 2018 में इसकी शुरुआत हुई, जो अब खटाई में पड़ गया है, जिसने प्रतिबंधों से राहत के बदले में ईरानी यूरेनियम संवर्धन को 3.67 प्रतिशत पर सीमित कर दिया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, नतानज में नई साइट का निर्माण 2020 के हमले के जवाब में शुरू हुआ. 2021 में, ईरान ने नतानज पर एक हमले के कुछ दिनों बाद यूरेनियम संवर्धन को 60 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था. जिसका आरोप तेहरान ने इजराइल पर लगाया था. आईएईए का कहना है कि ईरान के पास कई बमों के लिए आवश्यक सामग्रियां हैं, लेकिन निरीक्षण के आधार पर, उसने किसी बम पर काम शुरू नहीं किया है. IAEA ने अपनी अंतिम तिमाही रिपोर्ट में कहा कि ईरान ने पिछले साल के अंत से अपने 60 प्रतिशत संवर्धन की गति को थोड़ा धीमा कर दिया है.
ईरानी परमाणु सुविधाओं पर सीधा इजराइली हमला ईरान की परमाणु क्षमताओं के बारे में इजरायल के आरोपों की पोल खोल सकता है. इजराइल ने कई मौकों पर ईरान पर परमाणु हथियार बनाने के आरोप लगाये हैं. यदि इजराइल ईरान पर हमला करता है तो यह ईरान को और अधिक कठोर कार्रवाई के लिए प्रेरित करेगा. जिसमें परमाणु अप्रसार संधि से बाहर निकलना शामिल हो सकता है.
नतानज या किसी अन्य शीर्ष परमाणु सुविधा पर सीधे हमले की स्थिति में पर्यावरणीय आपदा भी खड़ी हो सकती है. खासतौर से तब जब इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि ईरान के पास किस तरह का और कितना परमाणु हथियार है. ईरान 2018 में अमेरिका के साथ समझौता टूटने के बाद से अपने परमाणु अनुसंधान और विकास में प्रगति कर रहा है.
गंभीर, अप्रत्याशित परिणाम
- ईरानी परमाणु सुविधाओं पर इजराइली हमला वास्तव में युद्ध की घोषणा होगी. यह सबसे मूल्यवान ईरानी राज्य सुविधाओं में से एक पर पूर्ण सैन्य हमला होगा. इस स्तर का हमला तनाव को सीरिया में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले से कई गुणा अधिक बढ़ा देगा. यह अपने आप में अंतरराष्ट्रीय कानून का एक अभूतपूर्व उल्लंघन है.
- यह न केवल ईरान को और भी मजबूत सैन्य प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूर करेगा, बल्कि यह संभवतः इराक, लेबनान, सीरिया और यमन में ईरान-गठबंधन समूहों के 'प्रतिरोध की धुरी' को इजरायल के खिलाफ कार्रवाई के उच्चतम स्तर पर ले जाएगा.
- गाजा पर युद्ध के लिए बढ़ती अंतरराष्ट्रीय निंदा का सामना करते हुए, इजराइली अधिकारियों के लिए संयुक्त राष्ट्र में ईरान पर, विशेष रूप से परमाणु सुविधाओं पर सीधे हमले को उचित ठहराना बेहद मुश्किल होगा. यह उसके पश्चिमी सहयोगियों से 'आयरनक्लाड' समर्थन की सीमाओं को भी परखने वाला कदम होगा.