नई दिल्ली: भारत ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि यूक्रेन पर होने वाला कोई भी अंतरराष्ट्रीय शांति सम्मेलन एकतरफा नहीं होना चाहिए और इसमें रूस को भी शामिल किया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की के बीच द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के बाद कीव में मीडिया को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, 'हम कोपेनहेगन से शुरू होने वाले शिखर सम्मेलन की कई बैठकों में शामिल रहे हैं.'
उन्होंने कहा कि इसमें केवल भारत को शामिल करने वाले ही नहीं बल्कि कई अन्य लोगों के विचार भी शामिल थे. मुझे लगता है कि इन बैठकों में कई अन्य देशों ने भी हिस्सा लिया है और इस पर उनके अपने विशेष विचार हैं कि इसे कैसे आगे बढ़ाया जाए. जयशंकर ने कहा कि हमने यूक्रेनी पक्ष से जो सुना, उसे समझा जा सकता है कि इसे कैसे आगे बढ़ाया जाए और उनकी अपेक्षाएं क्या हैं.
उन्होंने कहा, 'हमारा विचार है कि किसी भी अभ्यास को, यदि उसे उत्पादक बनाना है, तो स्वाभाविक रूप से संबंधित दूसरे पक्ष (अर्थात रूस) को शामिल करना होगा. यह एकतरफा प्रयास नहीं हो सकता.' शिखर सम्मेलन के बाद जारी एक संयुक्त बयान के अनुसार, मोदी और ज़ेलेंस्की ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर सहित अंतराराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने में आगे के सहयोग के लिए अपनी तत्परता दोहराई, जैसे कि क्षेत्रीय अखंडता और राज्यों की संप्रभुता का सम्मान. इसके अलावा वे इस संबंध में घनिष्ठ द्विपक्षीय वार्ता की वांछनीयता पर सहमत हुए.
बयान में कहा गया है कि भारतीय पक्ष ने अपनी सैद्धांतिक स्थिति और बातचीत और कूटनीति के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान पर ध्यान केंद्रित करने को दोहराया. जिसके एक हिस्से के रूप में, भारत जून 2024 में स्विट्जरलैंड के बर्गनस्टॉक में आयोजित यूक्रेन में शांति पर शिखर सम्मेलन में शामिल हुआ है. वहीं यूक्रेनी पक्ष ने भारत की इस तरह की भागीदारी का स्वागत किया और अगले शांति शिखर सम्मेलन में उच्च स्तरीय भारतीय भागीदारी के महत्व पर प्रकाश डाला. यूक्रेनी पक्ष ने बताया कि यूक्रेन में शांति पर शिखर सम्मेलन में अपनाई गई शांति रूपरेखा पर संयुक्त विज्ञप्ति, संवाद, कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर न्यायपूर्ण शांति को बढ़ावा देने के लिए आगे के प्रयासों के लिए आधार के रूप में काम कर सकती है.
यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि भारत ने फरवरी 2022 में रूस पर आक्रमण के बाद से अब तक स्विट्जरलैंड में आयोजित शिखर सम्मेलन से पहले यूक्रेन में शांति पर सभी चार अंतरराष्ट्रीय बैठकों में भाग लिया है, लेकिन यह शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त विज्ञप्ति पर हस्ताक्षरकर्ता नहीं बना.
वहीं नवंबर 2022 में, राष्ट्रपति जेलेंस्की ने परमाणु सुरक्षा, एशियाई और अफ्रीकी देशों के लिए खाद्य सुरक्षा, यूक्रेन के ऊर्जा बुनियादी ढांचे, कैदियों की रिहाई और रूस को निर्वासित यूक्रेनी बच्चों की वापसी, 1991 की रूस-यूक्रेन सीमा की बहाली, यूक्रेन से रूसी सेना की वापसी के अलावा यूक्रेन पर रूसी आक्रमण में युद्ध अपराधों के लिए अभियोजन, पारिस्थितिक क्षति से निपटना, भविष्य में रूसी आक्रमण के खिलाफ गारंटी और एक शांति सम्मेलन और अंतरराष्ट्रीय संधि के मुद्दों पर 10-सूत्रीय शांति योजना की घोषणा की. इसके अलावा दिसंबर 2022 में जेलेंस्की ने जी 7 राज्यों से योजना का समर्थन करने का आह्वान किया.
बर्गेनस्टॉक में शिखर सम्मेलन से पहले, डेनमार्क, सऊदी अरब, माल्टा और स्विट्जरलैंड में चार बैठकें हुईं. भारत ने इन सभी बैठकों में भाग लिया था. 24 जून, 2023 को डेनमार्क के कोपेनहेगन में पहली बैठक आयोजित की गई, जिसमें यूक्रेन, जी7 देशों, यूरोपीय संघ (EU), भारत, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और तुर्की के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसका उद्देश्य यूक्रेनी 10-सूत्री प्रस्ताव के आधार पर शांति प्रक्रिया के लिए व्यापक अंतरराष्ट्रीय समर्थन तैयार करना था. वहीं यूरोपीय आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि बैठक में इस बात पर आम सहमति बन रही थी कि शांति प्रक्रिया क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के संयुक्त राष्ट्र चार्टर सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए.
बता दें कि 5-6 अगस्त, 2023 को सऊदी अरब के जेद्दा में दूसरी बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें चीन, भारत, यूरोपीय संघ के सदस्य देशों, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, मैक्सिको, जाम्बिया, मिस्र और अमेरिका सहित लगभग 40 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे. इस दौरान यूक्रेनी 10-सूत्री शांति प्रस्ताव के विषयों पर कार्य समूह और राजदूतों के समूह की स्थापना के लिए समझौते किए गए. राष्ट्राध्यक्ष स्तर पर बैठक आयोजित करने का उद्देश्य 2023 के अंत में संभव माना गया था.
इसके अलावा यूरोप, दक्षिण अमेरिका, अरब जगत, अफ्रीका और एशिया के 65 देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच माल्टा में 28-29 अक्टूबर, 2023 को तीसरी बैठक आयोजित की गई. विश्व आर्थिक मंच से पहले जनवरी 2024 के मध्य में स्विट्जरलैंड के दावोस में चौथी बैठक आयोजित की गई, जिसमें 83 देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
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