ढाका: छात्रों का आदोलन एक बार फिर से जोर पकड़ लिया है. शनिवार को हालात तब बिगड़ गए जब आंदोलनरत छात्रों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ बातचीत करने के आमंत्रण को ठुकरा दिया. यही नहीं छात्रों ने अब आरक्षण के मुद्दे को पीछे छोड़ दिया और एक नया मुद्दा खड़ा कर दिया है. छात्रों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की है.
प्रमुख सड़कों पर जमकर विरोध प्रदर्शन
शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर छात्रों ने ढाका की प्रमुख सड़कों पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया. हाल में यहां किए गए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. यह मौतें पुलिस और प्रदर्शनकारी छात्रों के बीच हिंसक झड़पों के दौरान हुई थी.
छात्र विवादास्पद कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे थे. इस विवादास्पद आरक्षण के तहत 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है.
प्रदर्शनकारी छात्रों ने ढाका की प्रमुख सड़कों का घेराव किया. इस दौरान यातायात ठप हो गया. आंदोलन में शामिल छात्रों की मांग है कि फासीवादी शासन खात्म हो. इससे भी बड़ी मांग जो अब छात्रों ने रखा है वह पीएम शेख हसीना का इस्तीफा है. छात्रों ने कहा कि हमारी एकमात्र मांग शेख हसीना सहित इस सरकार का इस्तीफा और फासीवाद का अंत है.
शेख हसीना के इस्तीफे की मांग
छात्रों की मांग है कि शेख हसीना समेत पूरा मंत्रिमंडल इस्तीफा दें. देश में हुई सभी हत्याओं और गड़बड़ियों के लिए उन्हें न्याय के कटघरे में भी लाया जाना चाहिए. छात्रों का कहना है कि उन्हें इस सरकार से न्याय की उम्मीद नहीं है, क्योंकि वह मौतों और लापता होने के लिए सरकार को दोषी मानते हैं.
शुक्रवार को प्रधानमंत्री हसीना ने आंदोलनकारी छात्रों से सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को लेकर हो रही हिंसा को समाप्त करने के लिए बातचीत के लिए अपने आधिकारिक आवास गणभवन में मिलने का आग्रह किया.
उनका यह आह्वान शुक्रवार को नए विरोध प्रदर्शनों के एक दिन बाद आया है, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए. राजधानी के कई हिस्सों में 2,000 से अधिक प्रदर्शनकारी एकत्र हुए, जिनमें से कुछ ने तानाशाह के खिलाफ नारे लगाए और पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की.
शेख हसीना ने विश्वविद्यालय प्रमुखों के साथ आपातकालीन बैठक बुलाई
आंदोलनकारी छात्रों की ओर से पीएम शेख हसीना के साथ बातचीत को लेकर आमंत्रण के ठुकराए जाने के बाद एक आपातकालीन बैठक बुलाई गई. पीएम शेख हसीना ने शनिवार रात यह बैठक विश्वविद्यालय के कुलपतियों और कॉलेज के प्राचार्यों के साथ की. प्रधानमंत्री ने गणभवन (प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास) में सार्वजनिक और निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, वरिष्ठ शिक्षकों और कॉलेज प्राचार्यों के साथ छात्रों की मांगो पर बातचीत की. चर्चा है कि छात्रों के अभियान के कारण उत्पन्न समग्र स्थिति और उससे निपटने के उपायों पर चर्चा की गई. बड़ी बात ये है कि शिक्षकों ने छात्रों को हिंसा और आंदोलन में फंसने से बचाने के लिए एकजुट होकर काम करने की कसम खाई.
आज व्यापक सविनय अवज्ञा आंदोलन का आह्वान
इस बीच प्रदर्शनकारी नेताओं ने रविवार से व्यापक सविनय अवज्ञा आंदोलन का आह्वान किया और अधिकारियों तथा कानून प्रवर्तन एजेंसियों से सरकार के बजाय उनके साथ खड़े होने को कहा. सरकारी नेताओं ने पहले कहा था कि छात्रों के शांतिपूर्ण अभियान को कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी और उनके छात्र मोर्चे इस्लामी छात्र शिबिर ने हाईजैक कर लिया है, जिसे पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बीएनपी का समर्थन प्राप्त है.