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बांग्लादेश हाई कोर्ट में भारतीय टीवी चैनलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग

बांग्लादेश में सभी भारतीय टीवी चैनलों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की गई है.

Indian TV channels in Bangladesh
प्रतीकात्मक तस्वीर. (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 19 hours ago

ढाका: ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की गई है. इस याचिका में बांग्लादेशी संस्कृति और समाज पर भारतीय मीडिया के प्रभाव पर बढ़ती चिंताओं का हवाला देते हुए देश में भारतीय टीवी चैनलों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है. सोमवार को याचिका दायर करने वाले वकील एखलास उद्दीन भुइयां ने भारतीय टीवी चैनलों के प्रसारण पर रोक लगाने के लिए केबल टेलीविजन नेटवर्क ऑपरेशन एक्ट 2006 के तहत निर्देश देने की मांग की है.

ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, इसमें यह भी पूछा गया है कि बांग्लादेश में भारतीय टीवी चैनलों पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने वाला नियम क्यों नहीं जारी किया जाना चाहिए. न्यायमूर्ति फातिमा नजीब और न्यायमूर्ति सिकदर महमूदुर रजी की उच्च न्यायालय की पीठ में आवेदन पर सुनवाई हो सकती है. याचिका में सूचना मंत्रालय और गृह मंत्रालय के सचिव, बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग (बीटीआरसी) और अन्य को प्रतिवादी बनाया गया है.

ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, याचिका में स्टार जलसा, स्टार प्लस, जी बांग्ला, रिपब्लिक बांग्ला और अन्य सभी भारतीय टीवी चैनलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि भारतीय चैनलों पर भड़काऊ खबरें प्रसारित की जा रही हैं. बांग्लादेशी संस्कृति का विरोध करने वाली सामग्री का अनियंत्रित प्रसारण युवाओं को बर्बाद कर रहा है. इसके अलावा, यह आरोप लगाया गया है कि ये चैनल किसी भी नियमन का पालन किए बिना काम करते हैं.

उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ हिंसक हमलों में वृद्धि देखी गई है, जिससे अधिक सुरक्षा और समर्थन की मांग की जा रही है. बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा बढ़ रही है. मंदिरों को नष्ट करने के आरोप भी लगाये जा रहे हैं.

देशद्रोह के आरोप में पूर्व पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद. 27 नवंबर को चटगांव कोर्ट बिल्डिंग क्षेत्र में पुलिस और दास के कथित अनुयायियों के बीच झड़पों के दौरान एक वकील की हत्या भी कर दी गई. जिससे तनाव और बढ़ गया. भारत ने कई बार बांग्लादेश की स्थिति के बारे में चिंता जताई है और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने का आग्रह किया है.

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ढाका: ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की गई है. इस याचिका में बांग्लादेशी संस्कृति और समाज पर भारतीय मीडिया के प्रभाव पर बढ़ती चिंताओं का हवाला देते हुए देश में भारतीय टीवी चैनलों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है. सोमवार को याचिका दायर करने वाले वकील एखलास उद्दीन भुइयां ने भारतीय टीवी चैनलों के प्रसारण पर रोक लगाने के लिए केबल टेलीविजन नेटवर्क ऑपरेशन एक्ट 2006 के तहत निर्देश देने की मांग की है.

ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, इसमें यह भी पूछा गया है कि बांग्लादेश में भारतीय टीवी चैनलों पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने वाला नियम क्यों नहीं जारी किया जाना चाहिए. न्यायमूर्ति फातिमा नजीब और न्यायमूर्ति सिकदर महमूदुर रजी की उच्च न्यायालय की पीठ में आवेदन पर सुनवाई हो सकती है. याचिका में सूचना मंत्रालय और गृह मंत्रालय के सचिव, बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग (बीटीआरसी) और अन्य को प्रतिवादी बनाया गया है.

ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, याचिका में स्टार जलसा, स्टार प्लस, जी बांग्ला, रिपब्लिक बांग्ला और अन्य सभी भारतीय टीवी चैनलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि भारतीय चैनलों पर भड़काऊ खबरें प्रसारित की जा रही हैं. बांग्लादेशी संस्कृति का विरोध करने वाली सामग्री का अनियंत्रित प्रसारण युवाओं को बर्बाद कर रहा है. इसके अलावा, यह आरोप लगाया गया है कि ये चैनल किसी भी नियमन का पालन किए बिना काम करते हैं.

उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ हिंसक हमलों में वृद्धि देखी गई है, जिससे अधिक सुरक्षा और समर्थन की मांग की जा रही है. बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा बढ़ रही है. मंदिरों को नष्ट करने के आरोप भी लगाये जा रहे हैं.

देशद्रोह के आरोप में पूर्व पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद. 27 नवंबर को चटगांव कोर्ट बिल्डिंग क्षेत्र में पुलिस और दास के कथित अनुयायियों के बीच झड़पों के दौरान एक वकील की हत्या भी कर दी गई. जिससे तनाव और बढ़ गया. भारत ने कई बार बांग्लादेश की स्थिति के बारे में चिंता जताई है और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने का आग्रह किया है.

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