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आसिफा भुट्टो ने पिता द्वारा खाली की गई सीट पर उपचुनाव के लिए भरा नामांकन

Aseefa Bhutto files nomination : पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की सबसे छोटी बेटी आसिफा भुट्टो ने सिंध प्रांत के शहीद बेंजीराबाद जिले के एनए-207 निर्वाचन क्षेत्र के लिए उपचुनाव में रविवार को नामांकन पत्र जमा किया. उनके पिता और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने यह सीट जीती थी, लेकिन राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने यह सीट खाली कर दी.

Aseefa Bhutto enters politics, files nomination for bye polls on seat vacated by father Asif Ali.
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की सबसे छोटी बेटी आसिफा भुट्टो ने पिता द्वारा खाली की गई सिंध प्रांत की नेशनल असेंबली सीट पर उपचुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया.
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By PTI

Published : Mar 19, 2024, 3:09 PM IST

Updated : Mar 21, 2024, 6:39 PM IST

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की सबसे छोटी बेटी आसिफा भुट्टो ने राजनीति में कदम रखा है. आसिफा ने अपने पिता द्वारा खाली की गई सिंध प्रांत की नेशनल असेंबली सीट पर उपचुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया.

31 वर्षीय आसिफा पिछले कुछ समय से राजनीति में सक्रिय हैं, लेकिन उनके पिता जरदारी, जो कि पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष भी हैं, ने उन्हें अब तक संसदीय राजनीति से दूर रखा. पाकिस्तान के 14वें राष्ट्रपति के रूप में अपने पिता के उद्घाटन के बाद, आसिफा प्रथम महिला बनने की ओर अग्रसर हैं. यह पद पारंपरिक रूप से राष्ट्रपति के पति या पत्नी के पास होता है.

आसिफा ने सिंध प्रांत में शहीद बेंजीराबाद जिले के एनए-207 निर्वाचन क्षेत्र के लिए उपचुनाव में रविवार को नामांकन पत्र दाखिल किया. उनके पिता और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सीट जीती, लेकिन राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने इसे खाली कर दिया. आसिफा की शक्ल अपनी मां से मिलती है, जो 2007 में रावलपिंडी में एक बम विस्फोट और आत्मघाती हमले में मारी गई थीं. आसिफा तब छोटी थी और अपने दो बड़े भाई-बहनों, बख्तावर और बिलावल की तुलना में भावनात्मक रूप से अधिक पीड़ित थी.

पूर्व विदेश मंत्री बिलावल पीपीपी के अध्यक्ष हैं. शायद यही कारण है कि वह अपने पिता के करीब आ गईं, जिन्होंने राष्ट्रपति बनने के बाद उन्हें प्रथम महिला नामित किया. हालांकि उनके 35 वर्षीय भाई बिलावल ने पहले ही पार्टी में निर्णायक भूमिका निभानी शुरू कर दी थी. आसिफा को उनकी मां का स्वाभाविक उत्तराधिकारी माना जाता है, जिन्होंने 1979 में एक हत्या के मामले में कथित संलिप्तता के कारण उनके पिता ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो को फांसी दिए जाने के बाद पार्टी पर पूर्ण अधिकार कर लिया था.

21 अप्रैल को उपचुनाव होंगे. आसिफा का जीतना लगभग तय माना जा रहा है. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि संसद का हिस्सा बनकर वह अपनी पार्टी के साथ-साथ परिवार की राजनीति को भी मजबूत करेंगी.

पढ़ें: पाकिस्तान के बलूचिस्तान में महसूस किए भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर 5.4 तीव्रता

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की सबसे छोटी बेटी आसिफा भुट्टो ने राजनीति में कदम रखा है. आसिफा ने अपने पिता द्वारा खाली की गई सिंध प्रांत की नेशनल असेंबली सीट पर उपचुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया.

31 वर्षीय आसिफा पिछले कुछ समय से राजनीति में सक्रिय हैं, लेकिन उनके पिता जरदारी, जो कि पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष भी हैं, ने उन्हें अब तक संसदीय राजनीति से दूर रखा. पाकिस्तान के 14वें राष्ट्रपति के रूप में अपने पिता के उद्घाटन के बाद, आसिफा प्रथम महिला बनने की ओर अग्रसर हैं. यह पद पारंपरिक रूप से राष्ट्रपति के पति या पत्नी के पास होता है.

आसिफा ने सिंध प्रांत में शहीद बेंजीराबाद जिले के एनए-207 निर्वाचन क्षेत्र के लिए उपचुनाव में रविवार को नामांकन पत्र दाखिल किया. उनके पिता और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सीट जीती, लेकिन राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने इसे खाली कर दिया. आसिफा की शक्ल अपनी मां से मिलती है, जो 2007 में रावलपिंडी में एक बम विस्फोट और आत्मघाती हमले में मारी गई थीं. आसिफा तब छोटी थी और अपने दो बड़े भाई-बहनों, बख्तावर और बिलावल की तुलना में भावनात्मक रूप से अधिक पीड़ित थी.

पूर्व विदेश मंत्री बिलावल पीपीपी के अध्यक्ष हैं. शायद यही कारण है कि वह अपने पिता के करीब आ गईं, जिन्होंने राष्ट्रपति बनने के बाद उन्हें प्रथम महिला नामित किया. हालांकि उनके 35 वर्षीय भाई बिलावल ने पहले ही पार्टी में निर्णायक भूमिका निभानी शुरू कर दी थी. आसिफा को उनकी मां का स्वाभाविक उत्तराधिकारी माना जाता है, जिन्होंने 1979 में एक हत्या के मामले में कथित संलिप्तता के कारण उनके पिता ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो को फांसी दिए जाने के बाद पार्टी पर पूर्ण अधिकार कर लिया था.

21 अप्रैल को उपचुनाव होंगे. आसिफा का जीतना लगभग तय माना जा रहा है. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि संसद का हिस्सा बनकर वह अपनी पार्टी के साथ-साथ परिवार की राजनीति को भी मजबूत करेंगी.

पढ़ें: पाकिस्तान के बलूचिस्तान में महसूस किए भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर 5.4 तीव्रता

Last Updated : Mar 21, 2024, 6:39 PM IST
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