लाहौर: यहां की एक आतंकवाद-रोधी अदालत (ATC) ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक इमरान खान को 9 मई के चार दंगा मामलों में जमानत दे दी.
एटीसी न्यायाधीश अरशद जावेद ने शुक्रवार को जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा दायर याचिकाओं को मंजूरी दे दी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पंजाब के महाभियोजक फरहाद अली ने जमानत याचिकाओं का विरोध किया और कहा कि इमरान खान ने अपने कार्यकर्ताओं से बोला था कि अगर उन्हें गिरफ्तार किया गया तो वे महत्वपूर्ण सरकारी भवनों पर हमला करेंगे.
इससे पहले खान ने मंगलवार को 9 मई के मामलों को सैन्य अदालतों में स्थानांतरित करने के खिलाफ इस्लामाबाद हाईकोर्ट (आईएचसी) का रुख किया था. उन्होंने अपने वकील अजीज करामत भंडारी के माध्यम से याचिका दायर की.
उन्होंने कानून सचिव, गृह सचिव, आईजी इस्लामाबाद, आईजी पंजाब, आईजी जेल, डीजी एफआईए और संघीय सरकार को अपना प्रतिवादी बनाया. इमरान खान ने अदालत से 9 मई के मामलों को सैन्य अदालत में स्थानांतरित न करने का अनुरोध किया.
एक अलग घटनाक्रम में आतंकवाद निरोधक अदालत ने 9 मई के दंगों के मामले में सबूतों के अभाव में पीटीआई कार्यकर्ताओं सहित सभी 18 आरोपियों को बरी कर दिया. आरोपियों पर 9 मई को लांडी कोटल में विरोध प्रदर्शन करने, तोरखम रोड को अवरुद्ध करने, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और एंटी-नारकोटिक्स फोर्स के वाहन को नुकसान पहुंचाने का आरोप था.
विशेष आतंकवाद निरोधक अदालत के न्यायाधीश मुहम्मद इकबाल ने यह फैसला सुनाया. रिपोर्ट के अनुसार खैबर पख्तूनख्वा (केपी) प्रशासन ने इससे पहले पेशावर हाईकोर्ट (पीएचसी) के मुख्य न्यायाधीश इश्तियाक इब्राहिम को पत्र लिखकर 9 मई के दंगों की जांच के लिए एक न्यायिक पैनल के गठन का प्रस्ताव दिया था. पत्र में कहा गया कि आयोग का नेतृत्व पेशावर हाईकोर्ट के वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश को करना चाहिए.
बता दें कि 9 मई को इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद पूरे देश में हिंसक झड़पें हुई. पार्टी कार्यकर्ताओं ने अपने अध्यक्ष की गिरफ्तारी से नाराजगी के चलते दूरदराज और प्रमुख शहरों में विरोध प्रदर्शन किए. बलूचिस्तान, पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा और इस्लामाबाद में हालात को काबू में करने के लिए सशस्त्र बलों को बुलाया गया.