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पाकिस्तान में एक और कुख्यात आतंकी की रहस्यमयी मौत

भले ही पाकिस्तान इस बात से हमेशा नकारता रहता है, लेकिन सच यही है कि पाकिस्तान हमेशा से आतंकियों को पनाह देता रहा है. बीते कुछ महीनों से आतंकियों के सबसे बड़े पनाहगार पाकिस्तान में एक-एक कर आतंकियों का सफाया हो रहा है. इसी बीच अक्टूबर 2022 में गृह मंत्रालय द्वारा नामित आतंकवादी जमील-उर-रहमान को पख्तूनख्वा के एबटाबाद में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाया गया है.

Another most wanted terrorist dead in pakistan
पाकिस्तान में गृह मंत्रालय द्वारा नामित आतंकवादी जमील-उर-रहमान की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 4, 2024, 5:31 PM IST

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में कुछ महीनों से एक-एक करके कई खूंखार आतंकी रहस्यमय तरीके के मारे जा चुके हैं. इसी लिस्ट में अब एक और नया नाम जुड़ गया है. खबर है कि पाकिस्तान के एबटाबाद में मोस्ट वांटेड आतंकी शेख जमील-उर-रहमान की रहस्यमई ढंग से मौत हो गई है. आतंकी रहमान मूल रूप से कश्मीर के पुलवामा जिले का रहने वाला था. वह खुद को यूनाइटेड जिहाद काउंसिल (यूजेसी) का सेक्रेटरी और तहरीक-उल-मुजाहिदीन (टीयूएम) का प्रमुख बताता था. भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने अक्टूबर 2022 में रहमान को आतंकी घोषित किया था.

आतंकी रहमान की मौत कैसे हुई, इस बारे में अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है. एक अधिकारी ने बताया कि जमील जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमलों में शामिल था. वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी (आईएसआई) के साथ मिलकर काम करता था. रहमान जिस आतंकी संगठन टीयूएम के लिए काम करता था, उसे जम्मू और कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने और इस्लामिक कट्टरपंथी साजिशों को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था. 1991 में इसके संस्थापक यूनुस खान की मुठभेड़ में मौत के बाद इस आतंकी संगठन को बड़ा झटका लगा था.

साल 2018 में, रहमान ने कश्मीरी छात्रों से सुरक्षा बलों द्वारा मारे जाने से बचने के लिए के बाद हथियार उठाने के लिए प्रशिक्षण दिया था. रहमान का मूल संगठन (टीयूएम), अहल अल-हदीस विचारधारा का प्रबल समर्थक था. यूजेसी का जेके-आईएस जैसे संगठनों के साथ टकराव चल रहा है, जो इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा की शाखा अंसार गजवत-उल-हिंद से प्रेरित है. रहमान के टीयूएम में बड़े पैमाने पर जम्मू-कश्मीर के कुछ पैदल सैनिकों के साथ पाक-आधारित कैडर थे.

खुफिया सूत्रों ने यह जानकारी दी कि टीयूएम को पाकिस्तान, बांग्लादेश, सऊदी अरब, ब्रिटेन, अमेरिका और खाड़ी देशों से फड प्राप्त हुआ, ये फंड मुख्य रूप से अहल अल-हदीस परंपरा की सदस्यता लेने वाले संगठनों से प्रदान किए गए थे. सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण, आतंकवादी समूहों ने हमलों की जिम्मेदारी लेने से बचना शुरू कर दिया. टीयूएम और हाल ही में, द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) जैसे संगठनों को आईएसआई की परिचालन रणनीति के हिस्से के रूप में जिम्मेदारी लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया.

पाकिस्तान में हाल में कई आतंकियों की रहस्यमयी हत्याएं हुई हैं, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के कमांडर रियाज अहमद, पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड शाहिद लतीफ, लश्कर कमांडर मुफ्ती कैसर फारूख, 1985 के एयर इंडिया बम विस्फोट में शामिल तख्त सिंह रोडे, लश्कर-ए-तैयबा आतंकी हंसला अदनान, खालिस्तानी आतंकी लखबीर सिंह, खालिस्तान कमांडो फोर्स के चीफ परमजीत सिंह पंजवड़ और लश्कर कमांडर अकरम गाजी जैसे आतंकवादी शामिल हैं.

पढ़ें: पाकिस्तान में भारी बारिश से तबाही, भूस्खलन और इमारतें गिरने से 36 लोगों की मौत

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में कुछ महीनों से एक-एक करके कई खूंखार आतंकी रहस्यमय तरीके के मारे जा चुके हैं. इसी लिस्ट में अब एक और नया नाम जुड़ गया है. खबर है कि पाकिस्तान के एबटाबाद में मोस्ट वांटेड आतंकी शेख जमील-उर-रहमान की रहस्यमई ढंग से मौत हो गई है. आतंकी रहमान मूल रूप से कश्मीर के पुलवामा जिले का रहने वाला था. वह खुद को यूनाइटेड जिहाद काउंसिल (यूजेसी) का सेक्रेटरी और तहरीक-उल-मुजाहिदीन (टीयूएम) का प्रमुख बताता था. भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने अक्टूबर 2022 में रहमान को आतंकी घोषित किया था.

आतंकी रहमान की मौत कैसे हुई, इस बारे में अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है. एक अधिकारी ने बताया कि जमील जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमलों में शामिल था. वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी (आईएसआई) के साथ मिलकर काम करता था. रहमान जिस आतंकी संगठन टीयूएम के लिए काम करता था, उसे जम्मू और कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने और इस्लामिक कट्टरपंथी साजिशों को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था. 1991 में इसके संस्थापक यूनुस खान की मुठभेड़ में मौत के बाद इस आतंकी संगठन को बड़ा झटका लगा था.

साल 2018 में, रहमान ने कश्मीरी छात्रों से सुरक्षा बलों द्वारा मारे जाने से बचने के लिए के बाद हथियार उठाने के लिए प्रशिक्षण दिया था. रहमान का मूल संगठन (टीयूएम), अहल अल-हदीस विचारधारा का प्रबल समर्थक था. यूजेसी का जेके-आईएस जैसे संगठनों के साथ टकराव चल रहा है, जो इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा की शाखा अंसार गजवत-उल-हिंद से प्रेरित है. रहमान के टीयूएम में बड़े पैमाने पर जम्मू-कश्मीर के कुछ पैदल सैनिकों के साथ पाक-आधारित कैडर थे.

खुफिया सूत्रों ने यह जानकारी दी कि टीयूएम को पाकिस्तान, बांग्लादेश, सऊदी अरब, ब्रिटेन, अमेरिका और खाड़ी देशों से फड प्राप्त हुआ, ये फंड मुख्य रूप से अहल अल-हदीस परंपरा की सदस्यता लेने वाले संगठनों से प्रदान किए गए थे. सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण, आतंकवादी समूहों ने हमलों की जिम्मेदारी लेने से बचना शुरू कर दिया. टीयूएम और हाल ही में, द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) जैसे संगठनों को आईएसआई की परिचालन रणनीति के हिस्से के रूप में जिम्मेदारी लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया.

पाकिस्तान में हाल में कई आतंकियों की रहस्यमयी हत्याएं हुई हैं, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के कमांडर रियाज अहमद, पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड शाहिद लतीफ, लश्कर कमांडर मुफ्ती कैसर फारूख, 1985 के एयर इंडिया बम विस्फोट में शामिल तख्त सिंह रोडे, लश्कर-ए-तैयबा आतंकी हंसला अदनान, खालिस्तानी आतंकी लखबीर सिंह, खालिस्तान कमांडो फोर्स के चीफ परमजीत सिंह पंजवड़ और लश्कर कमांडर अकरम गाजी जैसे आतंकवादी शामिल हैं.

पढ़ें: पाकिस्तान में भारी बारिश से तबाही, भूस्खलन और इमारतें गिरने से 36 लोगों की मौत

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