नई दिल्ली : स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने शुक्रवार को वर्ल्ड स्लीप डे के मौके पर भारत में लोगों में बढ़ती अनिद्रा की समस्या पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि अनिद्रा की बढ़ती समस्या की वजह से बड़े पैमाने पर लोगों में दिल और दिमाग से जुड़ी कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिल रही हैं.
बता दें कि 'वर्ल्ड स्लीप डे' प्रतिवर्ष 15 मार्च को मनाया जाता है, ताकि लोगों के बीच अनिद्रा की समस्या को लेकर जागरूकता पैदा की जा सके और इसके साथ ही उन्हें अपने स्वास्थ्य के बारे में भी सचेत किया जा सके. इस वर्ष वर्ल्ड स्लीप डे का विषय 'वैश्विक स्वास्थ्य के लिए स्लीप इक्विटी' है.
सात घंटे सोना हर व्यक्ति के लिए आश्कयक है. अगर आप सात घंटे नहीं सोएंगे, तो इससे आपके स्वास्थ्य पर हानिकारक असर पड़ेगा. यह आपको शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से प्रभावित कर सकता है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, विश्व समुदाय पर भारत में लोगों के बीच अनिद्रा की समस्या तेजी से बढ़ रही है.
लोकल सर्किल्स नामक प्लेटफॉर्म पर वर्ल्ड स्लिप डे के मौके पर अनिद्रा की समस्या को लेकर सर्वे किया गया, जिसमें यह बात सामने आई कि लोगों में अनिद्रा की समस्या तेजी से बढ़ रही है। यही नहीं, सर्वे में यह भी सामने आया है कि 61 फीसद लोग 6 घंटे से कम की नींद लेते हैं.
सर्वे में सामने आया है कि पिछले दो सालों में भारतीयों के बीच नींद नहीं आने की समस्या व्यापक स्तर पर बढ़ी है. आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में यह 50 फीसद था, जो कि अब बढ़कर 55 फीसद हो गया है.
अपोलो स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डॉ. प्रबाश प्रभाकरन (न्यूरोलॉजी) ने एक न्यूज एजेंसी को बताया, 'भारत में तेजी से लोगों के बीच अनिद्रा की समस्या बढ़ रही है. इसके पीछे की वजह उनकी जीवन शैली और उनका दबाव है. विश्व स्तर पर नींद की कमी का पुनर्मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है. साथ ही गैर-संचारी रोगों को रोकने और मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में इसकी भूमिका को पहचानना भी महत्वपूर्ण है.'
मारेंगो एशिया हॉस्पिटल, फरीदाबाद के कार्डियोलॉजी निदेशक डॉ. गजिंदर कुमार गोयल ने न्यूज एजेंसी को बताया, 'अनिद्रा से लोगों में दिल की समस्या बढ़ सकती है. बल्ड प्रेशर की समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है.'
डॉ. गजिंदर ने कहा, 'आम तौर पर रात के दौरान रक्तचाप 10 से 20 प्रतिशत कम हो जाता है. लेकिन, नींद की कमी के साथ ऐसा नहीं होता है, जिससे रात में उच्च रक्तचाप होता है, जो सीधे हृदय संबंधी घटनाओं से जुड़ा होता है.'
उन्होंने कहा कि नींद से वंचित व्यक्तियों में मधुमेह, हाई कोलेस्ट्रॉल और दोषपूर्ण आहार संबंधी आदतें विकसित होने की संभावना अधिक होती है. डॉक्टर ने कहा, इसलिए हमारे दिल को स्वस्थ रखने के लिए कम से कम 7 घंटे की पर्याप्त और अच्छी नींद जरूरी है.
डॉ. लैंसलॉट पिंटो, सलाहकार पल्मोनोलॉजिस्ट और महामारी विशेषज्ञ, पी.डी. हिंदुजा अस्पताल और एमआरसी, माहिम ने आईएएनएस को बताया, 'खराब नींद और डिजिटल उपकरणों के अत्यधिक उपयोग से शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के प्रभाव पैदा हो सकते हैं। हम नींद को नजरअंदाज नहीं कर सकते, जो एक औसत व्यक्ति के जीवनकाल का एक तिहाई हिस्सा लेती है.'
पुणे के डीपीयू सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सलाहकार न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सतीश निरहाले ने कहा, 'इसके अलावा, नींद की कमी प्रारंभिक मनोभ्रंश से भी जुड़ी है, जो अल्पकालिक और दीर्घकालिक स्मृति, एकाग्रता, रचनात्मकता और समस्या-समाधान क्षमताओं दोनों को प्रभावित करती है.' उन्होंने बताया, इससे अनियमित मूड स्विंग और चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ सकती हैं और संभावित रूप से अवसाद हो सकता है.