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टाइप1-टाइप2 डायबिटीज के बारे में तो जानते होंगे, देर होने से पहले जानिए Type 1.5 डायबिटीज के बारे में - LADA Diabetes - LADA DIABETES

LADA Diabetes : एक बार डायबिटीज का पता चलने के बाद व्यक्ति को सावधान हो जाना चाहिए. टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के साथ-साथ टाइप 1.5 डायबिटीज भी होती है. टाइप 1.5 डायबिटीज का पक्का पता लगाना जरूरी है, वरना आगे चलकर जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं.

WHAT IS TYPE 1.5 DIABETES SYMPTOMS TREATMENT AND FACTS ABOUT LADA DIABETES
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By ETV Bharat Health Team

Published : Aug 28, 2024, 10:07 AM IST

Updated : Aug 28, 2024, 12:23 PM IST

हैदराबाद : डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह से बर्बाद कर देती है. एक बार इस बीमारी का पता चलने के बाद व्यक्ति को सावधान हो जाना चाहिए. ज्यादातर लोग टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित होते हैं. लेकिन टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के साथ-साथ टाइप 1.5 डायबिटीज- LADA भी होती है. इसे वयस्कों में लेटेंट ऑटोइम्यून डायबिटीज (Latent autoimmune diabetes of adults - LADA) कहा जाता है. टाइप 1.5 डायबिटीज में टाइप 1 और टाइप 2 दोनों डायबिटीज के लक्षण होते हैं. टाइप 1.5 डायबिटीज के क्या लक्षण हैं? बचाव के उपाय क्या हैं? आइए जानते हैं.

क्या है टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज : मधुमेह के दस से ज्यादा प्रकार हैं. इनमें से दो महत्वपूर्ण हैं. टाइप 1 डायबिटीज, टाइप 2 डायबिटीज. इस बीमारी से संक्रमित लोगों के खून में ग्लूकोज (शुगर) का स्तर सामान्य से ज्यादा होता है. टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून स्थिति है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अग्न्याशय(Pancreas) में इंसुलिन हार्मोन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला करती है और उन्हें नष्ट कर देती है. इससे इंसुलिन का उत्पादन बहुत कम या बंद हो जाता है.

टाइप 1 डायबिटीज आमतौर पर छोटे बच्चों और युवा वयस्कों में दिखाई देती है. टाइप 2 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून स्थिति नहीं है. बल्कि, यह तब होता है जब शरीर की कोशिकाएँ समय के साथ इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाती हैं और पैंक्रियाज इस प्रतिरोध को दूर करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन बनाने में सक्षम नहीं होता है. टाइप 1 डायबिटीज के विपरीत, टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों अभी भी कुछ इंसुलिन का उत्पादन होता रहता है.

जरूरी बात
टाइप 1.5 डायबिटीज का पक्का पता लगाने के लिए खास एंटीबॉडी टेस्ट (एक तरह का ब्लड टेस्ट) करवाना चाहिए. महंगा होने की वजह से कई लोग ये टेस्ट नहीं करवाते हैं. इससे हेल्थ खराब हो सकती है और आगे चलकर जटिलताएं उत्पन्न होने की संभावना बढ़ सकती है. टाइप 1.5 डायबिटीज आमतौर पर बड़ी उम्र के लोगों को होती है. इसलिए डॉक्टर इसे टाइप 2 डायबिटीज मान सकते हैं. टाइप 1.5 डायबिटीज के लक्षण लगभग टाइप 2 डायबिटीज जैसे ही होते हैं. इसलिए शुरुआत में सभी ने इसे टाइप 2 डायबिटीज ही समझा.

टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज की तुलना में, टाइप 1.5 डायबिटीज पर बहुत कम रिसर्च हुई है, खासकर गैर-यूरोपीय आबादी में. साल 2023 में यह अनुमान लगाया गया था कि टाइप 1.5 डायबिटीज सभी डायबिटीज मामलों का 8.9 प्रतिशत होगा, जो टाइप 1 के ही समान है. हालांकि, सटीक संख्या प्राप्त करने के लिए हमें और अधिक रिसर्च की आवश्यकता है.

टाइप 1.5 डायबिटीज क्या है?
टाइप 1 डायबिटीज में, प्रतिरक्षा प्रणाली इंसुलिन बनाने वाली अग्नाशय की कोशिकाओं पर हमला करती है. जब टाइप 1.5 डायबिटीज होती है. यह धीरे-धीरे बढ़ती है. बीमारी के बारे में पता चलने के कुछ महीनों या सालों बाद भी इंसुलिन उपचार की आवश्यकता होती है, लेकिन 5 साल के भीतर इंसुलिन का इस्तेमाल करना होगा. टाइप 1.5 आमतौर पर 30 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में देखा जाता है.

टाइप 1 डायबिटीज की तरह, टाइप 1.5 डायबिटीज तब होता है जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इंसुलिन बनाने वाली पैंक्रियाज कोशिकाओं पर हमला करती है. लेकिन टाइप 1.5 डायबिटीज वाले लोगों को तुरंत ही इंसुलिन की जरूरत नहीं होती क्योंकि उनकी स्थिति धीरे-धीरे खराब होती है. टाइप 1.5 डायबिटीज वाले ज्यादातर लोगों को बीमारी के पता चलने के पांच साल के भीतर इंसुलिन का इस्तेमाल करना होता है. जबकि टाइप 1 वाले लोगों को आमतौर पर बीमारी के बारे में पता चलने के बाद से ही इसकी जरूरत होती है.

टाइप 1.5 डायबिटीज के लक्षण व उपचार
टाइप 1.5 डायबिटीज के लक्षण हर किसी में एक जैसे नहीं होते. व्यक्ति के हिसाब से अलग-अलग होते हैं. अत्यधिक प्यास बढ़ना, बार-बार पेशाब आना, थकान, दृष्टि की स्पष्टता में कमी, नसों में झुनझुनी, अचानक वजन कम होना ये टाइप 1.5 डायबिटीज के लक्षण होते हैं. अगर किसी को इस तरह के लक्षण हैं, तो बेहतर है कि वो डायबिटीज डायग्नोस्टिक टेस्ट करवा ले. टाइप 1.5 डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए शुरुआत में दवाएं ही काफी होती हैं. अगर ब्लड ग्लूकोज लेवल स्तर सामान्य सीमा से अधिक बढ़ जाता है तो इंसुलिन का इस्तेमाल करना होगा.

Reference

डिस्कलेमर: ये सुझाव सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप डॉक्टर की सलाह ले लें.

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हैदराबाद : डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह से बर्बाद कर देती है. एक बार इस बीमारी का पता चलने के बाद व्यक्ति को सावधान हो जाना चाहिए. ज्यादातर लोग टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित होते हैं. लेकिन टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के साथ-साथ टाइप 1.5 डायबिटीज- LADA भी होती है. इसे वयस्कों में लेटेंट ऑटोइम्यून डायबिटीज (Latent autoimmune diabetes of adults - LADA) कहा जाता है. टाइप 1.5 डायबिटीज में टाइप 1 और टाइप 2 दोनों डायबिटीज के लक्षण होते हैं. टाइप 1.5 डायबिटीज के क्या लक्षण हैं? बचाव के उपाय क्या हैं? आइए जानते हैं.

क्या है टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज : मधुमेह के दस से ज्यादा प्रकार हैं. इनमें से दो महत्वपूर्ण हैं. टाइप 1 डायबिटीज, टाइप 2 डायबिटीज. इस बीमारी से संक्रमित लोगों के खून में ग्लूकोज (शुगर) का स्तर सामान्य से ज्यादा होता है. टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून स्थिति है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अग्न्याशय(Pancreas) में इंसुलिन हार्मोन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला करती है और उन्हें नष्ट कर देती है. इससे इंसुलिन का उत्पादन बहुत कम या बंद हो जाता है.

टाइप 1 डायबिटीज आमतौर पर छोटे बच्चों और युवा वयस्कों में दिखाई देती है. टाइप 2 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून स्थिति नहीं है. बल्कि, यह तब होता है जब शरीर की कोशिकाएँ समय के साथ इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाती हैं और पैंक्रियाज इस प्रतिरोध को दूर करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन बनाने में सक्षम नहीं होता है. टाइप 1 डायबिटीज के विपरीत, टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों अभी भी कुछ इंसुलिन का उत्पादन होता रहता है.

जरूरी बात
टाइप 1.5 डायबिटीज का पक्का पता लगाने के लिए खास एंटीबॉडी टेस्ट (एक तरह का ब्लड टेस्ट) करवाना चाहिए. महंगा होने की वजह से कई लोग ये टेस्ट नहीं करवाते हैं. इससे हेल्थ खराब हो सकती है और आगे चलकर जटिलताएं उत्पन्न होने की संभावना बढ़ सकती है. टाइप 1.5 डायबिटीज आमतौर पर बड़ी उम्र के लोगों को होती है. इसलिए डॉक्टर इसे टाइप 2 डायबिटीज मान सकते हैं. टाइप 1.5 डायबिटीज के लक्षण लगभग टाइप 2 डायबिटीज जैसे ही होते हैं. इसलिए शुरुआत में सभी ने इसे टाइप 2 डायबिटीज ही समझा.

टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज की तुलना में, टाइप 1.5 डायबिटीज पर बहुत कम रिसर्च हुई है, खासकर गैर-यूरोपीय आबादी में. साल 2023 में यह अनुमान लगाया गया था कि टाइप 1.5 डायबिटीज सभी डायबिटीज मामलों का 8.9 प्रतिशत होगा, जो टाइप 1 के ही समान है. हालांकि, सटीक संख्या प्राप्त करने के लिए हमें और अधिक रिसर्च की आवश्यकता है.

टाइप 1.5 डायबिटीज क्या है?
टाइप 1 डायबिटीज में, प्रतिरक्षा प्रणाली इंसुलिन बनाने वाली अग्नाशय की कोशिकाओं पर हमला करती है. जब टाइप 1.5 डायबिटीज होती है. यह धीरे-धीरे बढ़ती है. बीमारी के बारे में पता चलने के कुछ महीनों या सालों बाद भी इंसुलिन उपचार की आवश्यकता होती है, लेकिन 5 साल के भीतर इंसुलिन का इस्तेमाल करना होगा. टाइप 1.5 आमतौर पर 30 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में देखा जाता है.

टाइप 1 डायबिटीज की तरह, टाइप 1.5 डायबिटीज तब होता है जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इंसुलिन बनाने वाली पैंक्रियाज कोशिकाओं पर हमला करती है. लेकिन टाइप 1.5 डायबिटीज वाले लोगों को तुरंत ही इंसुलिन की जरूरत नहीं होती क्योंकि उनकी स्थिति धीरे-धीरे खराब होती है. टाइप 1.5 डायबिटीज वाले ज्यादातर लोगों को बीमारी के पता चलने के पांच साल के भीतर इंसुलिन का इस्तेमाल करना होता है. जबकि टाइप 1 वाले लोगों को आमतौर पर बीमारी के बारे में पता चलने के बाद से ही इसकी जरूरत होती है.

टाइप 1.5 डायबिटीज के लक्षण व उपचार
टाइप 1.5 डायबिटीज के लक्षण हर किसी में एक जैसे नहीं होते. व्यक्ति के हिसाब से अलग-अलग होते हैं. अत्यधिक प्यास बढ़ना, बार-बार पेशाब आना, थकान, दृष्टि की स्पष्टता में कमी, नसों में झुनझुनी, अचानक वजन कम होना ये टाइप 1.5 डायबिटीज के लक्षण होते हैं. अगर किसी को इस तरह के लक्षण हैं, तो बेहतर है कि वो डायबिटीज डायग्नोस्टिक टेस्ट करवा ले. टाइप 1.5 डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए शुरुआत में दवाएं ही काफी होती हैं. अगर ब्लड ग्लूकोज लेवल स्तर सामान्य सीमा से अधिक बढ़ जाता है तो इंसुलिन का इस्तेमाल करना होगा.

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डिस्कलेमर: ये सुझाव सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप डॉक्टर की सलाह ले लें.

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Last Updated : Aug 28, 2024, 12:23 PM IST
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