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जरूरी है अल्कोहल एडिक्शन का इलाज व प्रबंधन - Alcohol Addiction Treatment - ALCOHOL ADDICTION TREATMENT

Treatment Of Alcohol Addiction : अल्कोहल एडिक्शन या शराबखोरी एक चिकित्सीय स्थिति है जिसका इलाज व प्रबंधन बेहद जरूरी है. अन्यथा यह पीड़ित के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर कई कम या ज्यादा गंभीर तो कई बार जानलेवा प्रभावों का कारण भी बन सकता है. पढ़ें पूरी खबर..

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 9, 2024, 12:02 AM IST

हैदराबाद : शराब पीने की लत या अल्कोहल एडिक्शन एक चिकित्सीय स्थिति है. जानकार मानते हैं कि इस समस्या का यदि सही इलाज व प्रबंधन ना कराया जाय तो इसके सिर्फ मानसिक ही नहीं बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य पर भी कई गंभीर व कई बार जानलेवा परिणाम नजर आ सकते हैं.

क्या है अल्कोहल एडिक्शन
देहरादून उत्तराखंड के माइंड हील प्लस क्लिनिक की मनोचिकित्सक डॉ दिव्या घई चोपड़ा बताती हैं कि शराब उपयोग विकार या एल्कोहल एडिक्शन वह अवस्था है जब पीड़ित समय, अवसर तथा किसी भी बात का ध्यान रखे बिना बहुत ज्यादा शराब पीने लगता है और ज्यादातर समय नशे में रहता है. वहीं इस अवस्था में ना सिर्फ शराब पीने को लेकर बल्कि नशे के प्रभाव में अपनी आदतों व व्यवहार पर उसका नियंत्रण भी खो जाता है.

डॉ दिव्या बताती हैं कि यह शराब एक अत्यधिक नशीला पदार्थ है जो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है. शराब के प्रभाव में व्यक्ति में मन में नकारात्मक भावनाएं जैसे घर, काम या किसी अन्य प्रकार की चिंता, उदासी, घबराहट आदि सुन्न होने लगती हैं. वहीं परेशान करने वाली भावनाओं के महसूस ना होने के चलते व्यक्ति ज्यादा आनंदित व उत्साहित महसूस करने लगता है और उसका मनोबल तथा आत्मविश्वास भी बढ़ जाता है . लेकिन यह केवल अस्थाई भावनाएं होती हैं जो नशा उतरने के बाद पुनः पहले जैसी हो जाती हैं. ऐसे में धीरे-धीरे व्यक्ति में ज्यादा शराब का उपयोग करने या ज्यादा देर तक नशे में रहने की इच्छा विकसित होने लगती है. जो धीरे- धीरे एक व्यवहार पैटर्न के रूप में विकसित होने लगती हैं और व्यक्ति को शराब पीने के बारे में "उत्साहित" बनाती है. हर समय शराब के ज्यादा नशे में रहने की आदत या व्यवहार शराब की लत कहलाती है.

एन्जॉयमेंट से एडिक्शन में कैसे बदलती शराब की आदत

कभी-कभी कम या ज्यादा मात्रा में शराब पीने का व्यवहार कब लत में बदलने लगता है, इसे इन चरणों में समझा जा सकता है. दरअसल कभी- कभार किसी मौके या ऐसे ही उत्साहित होने , चिंता , नकारात्मक भावनाओं तथा तनावपूर्ण वातावरण को कम महसूस करने , ज्यादा कॉन्फिडेंट महसूस करने, बेहतर यौन संबंधों की आस में या कई अन्य कारणों से कभी- कभी लेकिन ज्यादा मात्रा में शराब पीने को एडिक्शन का पहला चरण माना जाता है.

वहीं एडिक्शन के दूसरे चरण में ज्यादा तथा लगभग रोज शराब पीने की इच्छा विकसित होने लगती है. जो लगातार बढ़ती जाती है. इस चरण में शराब के ज्यादा उपयोग से जुड़े शारीरिक, मानसिक व व्यवहरात्मक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पीड़ित में नजर आने लगते हैं. जैसे नशे में ना रहने के समय ज्यादा तनाव , बेचैनी, चिड़चिड़ापन या गुस्सा महसूस करने, कम कॉन्फिडेंस, लोगों से बातचीत करने में परेशानी, हाथ कांपने, कमजोरी व अन्य शारीरिक व मानसिक समस्याएं महसूस करने तथा नींद में समस्या आदि. ऐसे में पीड़ित में शराब पीने की इच्छा, खुशी या उत्साह महसूस करने से ज्यादा सामान्य महसूस करने के लिए ज्यादा होने लगती है.यह अवस्था चिकित्सकीय रूप से शराब की लत की शुरुआत मानी जाती है.

वहीं तीसरे चरण में लत के शिकार व्यक्ति की सामान्य महसूस करने लिए शराब पर निर्भरता बढ़ने लगती है. इस अवस्था में उसका आत्म-नियंत्रण लगभग समाप्त होने लगता है, उसमें व्यवहार संबंधी गंभीर समस्याएं नजर आने लगती हैं. उसके दैनिक जीवन में परिवार व कामकाज से जुड़े आवश्यक कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने की क्षमता कम होने लगती है. यहां तक की उसके शारीरिक स्वास्थ्य पर शराब के खराब प्रभाव नजर आने शुरू होने लगते हैं.

अल्कोहल एडिक्शन के शरीर पर प्रभाव
वह बताती हैं कि अल्कोहल एडिक्शन के हमारे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर बेहद चिंताजनक प्रभाव नजर आते हैं. आमतौर पर इस लत के शिकार लोगों में कई बार सेक्सुअल व्यवहार पर नियंत्रण कम होने, गुस्सा, उग्रता, आवेग तथा हिंसा के बढ़ने, सही-गलत में फर्क को समझने की क्षमता कम होने तथा याददाश्त संबंधी समस्याएं आदि देखने में आने लगती हैं. जो उनके पारिवारिक, कामकाजी व सामाजिक जीवन को भी प्रभावित करती हैं. वहीं लंबे समय तक शराब की लत के चलते पीड़ित में दीर्घकालिक स्मृति हानि, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, खराब तनाव प्रबंधन और शराब से संबंधित डिमेंशिया होने की आशंका भी बढ़ जाती है.

वहीं शराब की लत पीड़ित के शारीरिक स्वास्थ्य को भी काफी गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं जिसके प्रभाव कभी-कभी जानलेवा भी हो सकते हैं. शरीर में अल्कोहल की निरंतर उपस्थिति अंग विफलता, खराब पाचन तंत्र, जिगर के रोग, दिल का दौरा या दिल से जुड़ी अन्य बीमारी, स्ट्रोक, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, उच्च रक्तचाप तथा कैंसर के कई प्रकारों के ट्रिगर होने, उनकी गंभीरता बढ़ने या कई बार उनके जानलेवा प्रभावों का कारण भी बन सकती है. इसके अलावा यह पुरुषों में बांझपन तथा गर्भवती महिलाओं में बच्चे के सही विकास में समस्या, जन्मजात विकृति व मृत जन्म का कारण भी बन सकता है.

जरूरी है इलाज व प्रबंधन

डॉ दिव्या बताती हैं कि गंभीर शराब सेवन विकारों में पीड़ित के लिए सही उपचार या रीहेबलिटेशन जरूरी हो जाता है. यही नहीं एक बात यह लत लगने या एडिक्शन होने के बाद पीड़ित को आजीवन जरूरी सावधानियों का ध्यान रखने, लंबे समय तक काउंसलिंग या मदद लेने की जरूरत भी पड़ सकती है. वह बताती हैं एल्कोहल एडिक्शन से मुक्ति के लिए पीड़ित को जरूरी थेरेपी व दवाओं देने के साथ रीहेबलिटेशन पर रखा जाता है. पीड़ित की अवस्था के आधार पर इलाज की यह प्रक्रिया कई बार काफी कष्टकारी तथा जटिल भी हो सकती है क्योंकि शराब की आदत को छोड़ने की इस प्रक्रिया में शरीर जब विरोधात्मक प्रभाव दिखाने लगता है तो पीड़ित में विड्रॉल सिम्पटम्स, कई बार गुस्से या व्यवहारिक उग्रता के दौरे, उदासीनता, हाथ-पांव कांपने, शारीरक कमजोरी तथा कई अन्य तरह के प्रभाव नजर आने लगते हैं. जो लगातार इलाज व समय के साथ ठीक हो जाते हैं.

डॉ दिव्या बताती हैं कि इलाज व रीहेबलिटेशन के बाद भी पीड़ित को लंबे समय तक स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता या मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से बात करने या अल्कोहलिक्स एनोनिमस या इसी प्रकार के स्वयं सहायता समूह में शामिल होने व उनके नियमित सेशन्स में जाने की सलाह दी जाती है. जिससे उनमें इस लत से हमेशा दूर रहने के इच्छा शक्ति मजबूत हो सके.

वह बताती हैं कि इस लत से पीड़ित बहुत से लोग इलाज कराने से झिझकते हैं. दरअसल बहुत से पीड़ित इसे समस्या मानते ही नहीं है, वहीं बहुत से पीड़ित सामाजिक तिरस्कार या हंसी का पात्र बनने से बचने के लिए इस लत का इलाज करवाने से कतराते हैं. इसलिए बहुत जरूरी है कि पीड़ित के मनोबल को बढ़ाने व उसे हमेशा इस लत से दूर रखने के लिए उसके परिजन, रिश्तेदार, दोस्त तथा सहकर्मी भी उसका साथ दें व सहयोग करें.

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क्या है अल्कोहल एडिक्शन
देहरादून उत्तराखंड के माइंड हील प्लस क्लिनिक की मनोचिकित्सक डॉ दिव्या घई चोपड़ा बताती हैं कि शराब उपयोग विकार या एल्कोहल एडिक्शन वह अवस्था है जब पीड़ित समय, अवसर तथा किसी भी बात का ध्यान रखे बिना बहुत ज्यादा शराब पीने लगता है और ज्यादातर समय नशे में रहता है. वहीं इस अवस्था में ना सिर्फ शराब पीने को लेकर बल्कि नशे के प्रभाव में अपनी आदतों व व्यवहार पर उसका नियंत्रण भी खो जाता है.

डॉ दिव्या बताती हैं कि यह शराब एक अत्यधिक नशीला पदार्थ है जो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है. शराब के प्रभाव में व्यक्ति में मन में नकारात्मक भावनाएं जैसे घर, काम या किसी अन्य प्रकार की चिंता, उदासी, घबराहट आदि सुन्न होने लगती हैं. वहीं परेशान करने वाली भावनाओं के महसूस ना होने के चलते व्यक्ति ज्यादा आनंदित व उत्साहित महसूस करने लगता है और उसका मनोबल तथा आत्मविश्वास भी बढ़ जाता है . लेकिन यह केवल अस्थाई भावनाएं होती हैं जो नशा उतरने के बाद पुनः पहले जैसी हो जाती हैं. ऐसे में धीरे-धीरे व्यक्ति में ज्यादा शराब का उपयोग करने या ज्यादा देर तक नशे में रहने की इच्छा विकसित होने लगती है. जो धीरे- धीरे एक व्यवहार पैटर्न के रूप में विकसित होने लगती हैं और व्यक्ति को शराब पीने के बारे में "उत्साहित" बनाती है. हर समय शराब के ज्यादा नशे में रहने की आदत या व्यवहार शराब की लत कहलाती है.

एन्जॉयमेंट से एडिक्शन में कैसे बदलती शराब की आदत

कभी-कभी कम या ज्यादा मात्रा में शराब पीने का व्यवहार कब लत में बदलने लगता है, इसे इन चरणों में समझा जा सकता है. दरअसल कभी- कभार किसी मौके या ऐसे ही उत्साहित होने , चिंता , नकारात्मक भावनाओं तथा तनावपूर्ण वातावरण को कम महसूस करने , ज्यादा कॉन्फिडेंट महसूस करने, बेहतर यौन संबंधों की आस में या कई अन्य कारणों से कभी- कभी लेकिन ज्यादा मात्रा में शराब पीने को एडिक्शन का पहला चरण माना जाता है.

वहीं एडिक्शन के दूसरे चरण में ज्यादा तथा लगभग रोज शराब पीने की इच्छा विकसित होने लगती है. जो लगातार बढ़ती जाती है. इस चरण में शराब के ज्यादा उपयोग से जुड़े शारीरिक, मानसिक व व्यवहरात्मक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पीड़ित में नजर आने लगते हैं. जैसे नशे में ना रहने के समय ज्यादा तनाव , बेचैनी, चिड़चिड़ापन या गुस्सा महसूस करने, कम कॉन्फिडेंस, लोगों से बातचीत करने में परेशानी, हाथ कांपने, कमजोरी व अन्य शारीरिक व मानसिक समस्याएं महसूस करने तथा नींद में समस्या आदि. ऐसे में पीड़ित में शराब पीने की इच्छा, खुशी या उत्साह महसूस करने से ज्यादा सामान्य महसूस करने के लिए ज्यादा होने लगती है.यह अवस्था चिकित्सकीय रूप से शराब की लत की शुरुआत मानी जाती है.

वहीं तीसरे चरण में लत के शिकार व्यक्ति की सामान्य महसूस करने लिए शराब पर निर्भरता बढ़ने लगती है. इस अवस्था में उसका आत्म-नियंत्रण लगभग समाप्त होने लगता है, उसमें व्यवहार संबंधी गंभीर समस्याएं नजर आने लगती हैं. उसके दैनिक जीवन में परिवार व कामकाज से जुड़े आवश्यक कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने की क्षमता कम होने लगती है. यहां तक की उसके शारीरिक स्वास्थ्य पर शराब के खराब प्रभाव नजर आने शुरू होने लगते हैं.

अल्कोहल एडिक्शन के शरीर पर प्रभाव
वह बताती हैं कि अल्कोहल एडिक्शन के हमारे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर बेहद चिंताजनक प्रभाव नजर आते हैं. आमतौर पर इस लत के शिकार लोगों में कई बार सेक्सुअल व्यवहार पर नियंत्रण कम होने, गुस्सा, उग्रता, आवेग तथा हिंसा के बढ़ने, सही-गलत में फर्क को समझने की क्षमता कम होने तथा याददाश्त संबंधी समस्याएं आदि देखने में आने लगती हैं. जो उनके पारिवारिक, कामकाजी व सामाजिक जीवन को भी प्रभावित करती हैं. वहीं लंबे समय तक शराब की लत के चलते पीड़ित में दीर्घकालिक स्मृति हानि, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, खराब तनाव प्रबंधन और शराब से संबंधित डिमेंशिया होने की आशंका भी बढ़ जाती है.

वहीं शराब की लत पीड़ित के शारीरिक स्वास्थ्य को भी काफी गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं जिसके प्रभाव कभी-कभी जानलेवा भी हो सकते हैं. शरीर में अल्कोहल की निरंतर उपस्थिति अंग विफलता, खराब पाचन तंत्र, जिगर के रोग, दिल का दौरा या दिल से जुड़ी अन्य बीमारी, स्ट्रोक, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, उच्च रक्तचाप तथा कैंसर के कई प्रकारों के ट्रिगर होने, उनकी गंभीरता बढ़ने या कई बार उनके जानलेवा प्रभावों का कारण भी बन सकती है. इसके अलावा यह पुरुषों में बांझपन तथा गर्भवती महिलाओं में बच्चे के सही विकास में समस्या, जन्मजात विकृति व मृत जन्म का कारण भी बन सकता है.

जरूरी है इलाज व प्रबंधन

डॉ दिव्या बताती हैं कि गंभीर शराब सेवन विकारों में पीड़ित के लिए सही उपचार या रीहेबलिटेशन जरूरी हो जाता है. यही नहीं एक बात यह लत लगने या एडिक्शन होने के बाद पीड़ित को आजीवन जरूरी सावधानियों का ध्यान रखने, लंबे समय तक काउंसलिंग या मदद लेने की जरूरत भी पड़ सकती है. वह बताती हैं एल्कोहल एडिक्शन से मुक्ति के लिए पीड़ित को जरूरी थेरेपी व दवाओं देने के साथ रीहेबलिटेशन पर रखा जाता है. पीड़ित की अवस्था के आधार पर इलाज की यह प्रक्रिया कई बार काफी कष्टकारी तथा जटिल भी हो सकती है क्योंकि शराब की आदत को छोड़ने की इस प्रक्रिया में शरीर जब विरोधात्मक प्रभाव दिखाने लगता है तो पीड़ित में विड्रॉल सिम्पटम्स, कई बार गुस्से या व्यवहारिक उग्रता के दौरे, उदासीनता, हाथ-पांव कांपने, शारीरक कमजोरी तथा कई अन्य तरह के प्रभाव नजर आने लगते हैं. जो लगातार इलाज व समय के साथ ठीक हो जाते हैं.

डॉ दिव्या बताती हैं कि इलाज व रीहेबलिटेशन के बाद भी पीड़ित को लंबे समय तक स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता या मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से बात करने या अल्कोहलिक्स एनोनिमस या इसी प्रकार के स्वयं सहायता समूह में शामिल होने व उनके नियमित सेशन्स में जाने की सलाह दी जाती है. जिससे उनमें इस लत से हमेशा दूर रहने के इच्छा शक्ति मजबूत हो सके.

वह बताती हैं कि इस लत से पीड़ित बहुत से लोग इलाज कराने से झिझकते हैं. दरअसल बहुत से पीड़ित इसे समस्या मानते ही नहीं है, वहीं बहुत से पीड़ित सामाजिक तिरस्कार या हंसी का पात्र बनने से बचने के लिए इस लत का इलाज करवाने से कतराते हैं. इसलिए बहुत जरूरी है कि पीड़ित के मनोबल को बढ़ाने व उसे हमेशा इस लत से दूर रखने के लिए उसके परिजन, रिश्तेदार, दोस्त तथा सहकर्मी भी उसका साथ दें व सहयोग करें.

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