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माता की कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बन सकती हैं स्तनपान पर रोक का कारण - Reason To Stop Breastfeeding

Reason To Stop Breastfeeding : बच्चे के जन्म के बाद ना सिर्फ उसके लिए बल्कि उसकी माता के लिए भी स्तनपान कराना बेहद जरूरी माना जाता है. लेकिन कई बार कुछ स्वास्थ्य कारणों से चलते चिकित्सक माता को स्तनपान करने के लिए मना कर देते हैं. बच्चों को स्तनपान ना कराने वाली अवधि माता के खराब स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार कारणों व उसके ठीक होने की अवधि के आधार पर कम या ज्यादा हो सकती है.

International Day Of Unborn Child
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 25, 2024, 12:01 AM IST

Updated : Mar 25, 2024, 12:21 PM IST

हैदराबाद : मां के दूध को बच्चों के लिए अमृत माना जाता है. बच्चे के जन्म के बाद कम से कम छः महीने तक स्तनपान, बच्चे तथा माता दोनों के लिए बेहद जरूरी माना जाता है. लेकिन कभी-कभी माता के स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ समस्याएं या परिस्थितियां ऐसी भी हो जाती हैं की चिकित्सक उन्हे कम या ज्यादा अवधि के लिए बच्चे को स्तनपान ना करवाने की सलाह देते हैं.

देहरादून उत्तराखंड की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ लतिका जोशी बताती हैं कि बच्चे के जन्म के तत्काल बाद से लेकर कम से कम छः माह तक उसके लिए स्तनपान बेहद जरूरी होता है. लेकिन यदि माता किसी ऐसे रोग, संक्रमण या विकार से पीड़ित है जिनका प्रभाव दूध के माध्यम से बच्चे के शरीर में पहुंच कर उसके स्वास्थ्य या विकास को प्रभावित कर सकता है , तो ऐसे में माता के पूरी तरह से ठीक होने तक या ऐसी अवस्था में पहुंचने तक, जब स्तनपान कराने से उनके बच्चे का स्वास्थ्य प्रभावित नहीं होगा, जरूरत अनुसार कम या ज्यादा अवधि के लिए स्तनपान कराने से मना किया जाता है.

स्तनपान ना कराने से जुड़े कारण

  1. डॉ जोशी बताती हैं कि सामान्य तौर पर हल्के-फुल्के संक्रमण या रोग की अवस्था में , जिनमें स्तनपान के माध्यम से बच्चे तक माता के खराब स्वास्थ्य के प्रभाव पहुंचने की आशंका बहुत कम होती है , माता को बच्चे को स्तनपान कराने से मना नहीं किया जाता है. माता के स्वास्थ्य से जुड़े उन कारणों में जिनमें उन्हे स्तनपान से परहेज के लिए कहा जा सकता है, कुछ इस प्रकार हैं.
  2. यदि स्तनपान कराने वाली माता सेप्सिस, स्तन पर हर्पीज या एक्टिव हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस संक्रमण , चिकन पॉक्स या वेरिसेला इंफेक्‍शन या इबोला वायरस या ऐसे ही किसी अन्य जानलेवा वायरस या संक्रमण के प्रभाव में आ गई हो.
  3. यदि माता के स्तन में ब्रेस्‍ट मैस्‍टाइटिस या किसी अन्य संक्रमण के चलते सूजन की समस्या तथा किसी अन्य कारण से मवाद वाले फोड़े हो गए हों.
  4. यदि माता में टीबी की गंभीर समस्या हो और उसका जरूरी इलाज ना हुआ हो.
  5. माता एचआईवी / एड्स संक्रमण की गंभीर अवस्था से जूझ रही हो.
  6. ऐसी माताएं जो कैंसर या किसी अन्य गंभीर रोग से पीड़ित हो तथा उसके इलाज के लिए कुछ विशेष दवाएं , कीमों या कुछ अन्य जटिल थेरेपी ले रही हों.
  7. माता विशेष गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन कर रही हो.
  8. यदि माता मिर्गी रोधी या कुछ अन्य प्रकार के दौरो को कम करने वाली, हार्मोन को प्रभावित करने या साइकोथेरेपी में दी जाने वाली दवाओं का सेवन कर रही हो.
  9. यदि माता किसी खास एंटीबायोटिक या ऐसी दवा का सेवन कर रही हो जो बच्चे के स्वास्थ्य व विकास पर विपरीत प्रभाव डाल सकती हो.
  10. यदि माता को ड्रग्स या अन्य नशे की लत हो.

जरूरी है स्वास्थ्य की निगरानी
वह बताती हैं कि इनमें से कई अवस्थाओं, रोगों या समस्याओं के ठीक होने के बाद कम समय अवधि में ही माता को स्तनपान कराने की अनुमति दे दी जाती है. लेकिन कई बार कुछ गंभीर रोगों की अवस्था में या ऐसी दवाओं का सेवन करने वाली माताओं को जिनका बच्चे के शरीर भी ज्यादा प्रभाव पड़ सकता है, माता को लंबी अवधि के लिए स्तनपान ना कराने के लिए कहा जाता है. वह बताती हैं यूं तो रोग , संक्रमण या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के होने की अवस्था में समय से जांच इलाज बेहद जरूरी होता है. लेकिन यदि स्तनपान कराने वाली माता का स्वास्थ्य प्रभावित होता है तो उसका असर उनके बच्चे के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है. इसलिए स्तनपान कराने वाली माता को अपने स्वास्थ्य में किसी भी प्रकार की समस्या के कम या ज्यादा लक्षण नजर आने लगे तो उन्हे तत्काल अपने चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. साथ ही किसी समस्या की पुष्टि होने पर चिकित्सक द्वारा बताए गए निर्देशों का ध्यान से पालन करना चाहिए . इसके अलावा स्तनपान कराने वाली माताओं को किसी इलाज या दवा को शुरू करने या ऐसी जांच को कराने से पहले भी जिसमें शरीर में किसी प्रकार के द्रव्य को डाला जाता हो, चिकित्सक से परामर्श ले लेना चाहिए.

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हैदराबाद : मां के दूध को बच्चों के लिए अमृत माना जाता है. बच्चे के जन्म के बाद कम से कम छः महीने तक स्तनपान, बच्चे तथा माता दोनों के लिए बेहद जरूरी माना जाता है. लेकिन कभी-कभी माता के स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ समस्याएं या परिस्थितियां ऐसी भी हो जाती हैं की चिकित्सक उन्हे कम या ज्यादा अवधि के लिए बच्चे को स्तनपान ना करवाने की सलाह देते हैं.

देहरादून उत्तराखंड की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ लतिका जोशी बताती हैं कि बच्चे के जन्म के तत्काल बाद से लेकर कम से कम छः माह तक उसके लिए स्तनपान बेहद जरूरी होता है. लेकिन यदि माता किसी ऐसे रोग, संक्रमण या विकार से पीड़ित है जिनका प्रभाव दूध के माध्यम से बच्चे के शरीर में पहुंच कर उसके स्वास्थ्य या विकास को प्रभावित कर सकता है , तो ऐसे में माता के पूरी तरह से ठीक होने तक या ऐसी अवस्था में पहुंचने तक, जब स्तनपान कराने से उनके बच्चे का स्वास्थ्य प्रभावित नहीं होगा, जरूरत अनुसार कम या ज्यादा अवधि के लिए स्तनपान कराने से मना किया जाता है.

स्तनपान ना कराने से जुड़े कारण

  1. डॉ जोशी बताती हैं कि सामान्य तौर पर हल्के-फुल्के संक्रमण या रोग की अवस्था में , जिनमें स्तनपान के माध्यम से बच्चे तक माता के खराब स्वास्थ्य के प्रभाव पहुंचने की आशंका बहुत कम होती है , माता को बच्चे को स्तनपान कराने से मना नहीं किया जाता है. माता के स्वास्थ्य से जुड़े उन कारणों में जिनमें उन्हे स्तनपान से परहेज के लिए कहा जा सकता है, कुछ इस प्रकार हैं.
  2. यदि स्तनपान कराने वाली माता सेप्सिस, स्तन पर हर्पीज या एक्टिव हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस संक्रमण , चिकन पॉक्स या वेरिसेला इंफेक्‍शन या इबोला वायरस या ऐसे ही किसी अन्य जानलेवा वायरस या संक्रमण के प्रभाव में आ गई हो.
  3. यदि माता के स्तन में ब्रेस्‍ट मैस्‍टाइटिस या किसी अन्य संक्रमण के चलते सूजन की समस्या तथा किसी अन्य कारण से मवाद वाले फोड़े हो गए हों.
  4. यदि माता में टीबी की गंभीर समस्या हो और उसका जरूरी इलाज ना हुआ हो.
  5. माता एचआईवी / एड्स संक्रमण की गंभीर अवस्था से जूझ रही हो.
  6. ऐसी माताएं जो कैंसर या किसी अन्य गंभीर रोग से पीड़ित हो तथा उसके इलाज के लिए कुछ विशेष दवाएं , कीमों या कुछ अन्य जटिल थेरेपी ले रही हों.
  7. माता विशेष गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन कर रही हो.
  8. यदि माता मिर्गी रोधी या कुछ अन्य प्रकार के दौरो को कम करने वाली, हार्मोन को प्रभावित करने या साइकोथेरेपी में दी जाने वाली दवाओं का सेवन कर रही हो.
  9. यदि माता किसी खास एंटीबायोटिक या ऐसी दवा का सेवन कर रही हो जो बच्चे के स्वास्थ्य व विकास पर विपरीत प्रभाव डाल सकती हो.
  10. यदि माता को ड्रग्स या अन्य नशे की लत हो.

जरूरी है स्वास्थ्य की निगरानी
वह बताती हैं कि इनमें से कई अवस्थाओं, रोगों या समस्याओं के ठीक होने के बाद कम समय अवधि में ही माता को स्तनपान कराने की अनुमति दे दी जाती है. लेकिन कई बार कुछ गंभीर रोगों की अवस्था में या ऐसी दवाओं का सेवन करने वाली माताओं को जिनका बच्चे के शरीर भी ज्यादा प्रभाव पड़ सकता है, माता को लंबी अवधि के लिए स्तनपान ना कराने के लिए कहा जाता है. वह बताती हैं यूं तो रोग , संक्रमण या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के होने की अवस्था में समय से जांच इलाज बेहद जरूरी होता है. लेकिन यदि स्तनपान कराने वाली माता का स्वास्थ्य प्रभावित होता है तो उसका असर उनके बच्चे के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है. इसलिए स्तनपान कराने वाली माता को अपने स्वास्थ्य में किसी भी प्रकार की समस्या के कम या ज्यादा लक्षण नजर आने लगे तो उन्हे तत्काल अपने चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. साथ ही किसी समस्या की पुष्टि होने पर चिकित्सक द्वारा बताए गए निर्देशों का ध्यान से पालन करना चाहिए . इसके अलावा स्तनपान कराने वाली माताओं को किसी इलाज या दवा को शुरू करने या ऐसी जांच को कराने से पहले भी जिसमें शरीर में किसी प्रकार के द्रव्य को डाला जाता हो, चिकित्सक से परामर्श ले लेना चाहिए.

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Last Updated : Mar 25, 2024, 12:21 PM IST
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