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नजरअंदाज ना करें स्कैल्प में होने वाली समस्याओं को - Scalp Infection

Scalp Infection : स्कैल्प यानी सिर की त्वचा में रोग या समस्याओं के होने के कई कारण हो सकते हैं. दुनिया भर से प्राप्त रिपोर्ट्स के आंकड़ों की माने तो पिछले कुछ सालों में अलग-अलग कारणों से स्कैल्प में रोगों तथा संक्रमणों के मामलों की संख्या काफी बढ़ी है. Scalp Problems , Scalp diseases , hair fall , baldness .

Scalp Infection diseases raise hair fall baldness risk
कॉन्सेप्ट इमेज (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 5, 2024, 7:56 AM IST

Updated : May 6, 2024, 7:33 AM IST

हैदराबाद : मौसम, अस्वच्छता तथा रोग सहित बहुत से कारण हैं जो स्कैल्प यानी सिर की त्वचा में रोग या समस्याओं के होने का कारण बन सकते हैं. जानकारों का मानना है कि स्कैल्प में होने वाले संक्रमण या रोगों का अगर समय से इलाज ना हो तो वह ना सिर्फ अन्य समस्याओं के बढ़ने, प्रभावित स्थान के आसपास संक्रमण के ज्यादा फैल जाने, बालों के कमजोर होने व टूटने बल्कि कई बार गंजेपन व कई अन्य गंभीर रोगों के होने का कारण भी बन सकते हैं.

स्कैल्प या सिर की त्वचा में संक्रमण या रोग ,महिलाओं और पुरुषों दोनों में असहजता, असुविधा तथा शर्मिंदगी का कारण बन सकते हैं. त्वचा व बालों के स्वास्थ्य से जुड़ी विभिन्न रिपोर्ट्स तथा चिकित्सकों से प्राप्त आंकड़ों की माने तो पिछले कुछ सालों में दुनिया भर में अलग-अलग कारणों से ऐसे रोगों तथा संक्रमणों के मामलों की संख्या काफी बढ़ी है जो सिर की त्वचा तथा बालों के स्वास्थ्य व सौन्दर्य, सभी को प्रभावित करते हैं.

Scalp Infection diseases raise hair fall baldness risk
कॉन्सेप्ट इमेज (IANS)

स्कैल्प में समस्याएं : ‘सूररेय स्किन केयर’ लंदन में कार्यरत भारतीय मूल के चिकित्सक तथा मेडिकल एजुडेटर डॉ संदीप सोइन बताते हैं कि ज्यादा गर्मी, पसीना, गंदगी, त्वचा रोग, रक्त विकार या अन्य कारणों के चलते कई बार स्कैल्प तथा सिर के आसपास की त्वचा में कई कम या ज्यादा गंभीर रोगों व संक्रमणों का जोखिम बढ़ जाता है.

Scalp Infection diseases raise hair fall baldness risk
कॉन्सेप्ट इमेज (IANS)

वह बताते हैं कि आमतौर पर इन रोगों या संक्रमणों की शुरुआत में पीड़ित में सिर या बालों में खुजली, जलन, दानों या बाल झड़ने जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं. लेकिन ज्यादातर लोग उन्हें अनदेखा करते हैं. वहीं कुछ लोग परेशानी थोड़ी बढ़ने पर किसी से देख-सुन कर या खुद ही केमिस्ट से लेकर किसी दवा का इस्तेमाल कर लेते हैं. लेकिन कई बार ऐसा करना समस्याओं के गंभीर होने का कारण बन जाता है. यहां तक की ऐसे में कई बार सिर तथा आसपास की त्वचा में संक्रमण के गंभीर प्रभावों के साथ पस वाली फुंसियों के होने, बालों की गुणवत्ता खराब होने, उनके ज्यादा टूटने झड़ने और यहां तक की गंजेपन जैसी समस्याओं की आशंका बढ़ सकती है. डॉ संदीप के अनुसार स्कैल्प में होने वाले सबसे आम संक्रमणों व रोगों में से कुछ इस प्रकार हैं.

स्कैल्प सोरायसिस
स्कैल्प सोरायसिस दरअसल एक ऑटोइम्यून स्थिति होती है जिसमें हेयरलाइन, माथा, गर्दन के पिछले भाग तथा कानों के आसपास की त्वचा पर मोटे, लाल या हल्के रंग के धब्बे, प्लाक या पपड़ीदार पैच विकसित होने लगते हैं. जिनमें सूजन व खुजली भी हो सकती है.

एलोपेशिया एरीटा
एलोपेशिया एरीटा भी एक ऑटोइम्यून स्थिति है. जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्कैल्प में त्वचा की उन संरचनाओं पर हमला करने लगती हैं जो बालों का निर्माण करती हैं. जिससे बाल झड़ने लगते हैं. यह स्कैल्प के अलावा शरीर के किसी भी हिस्से के बालों को प्रभावित कर सकती हैं . इस समस्या में सिर में या प्रभावित स्थान पर बालों के झड़ने से गोल पैच नजर बनने लगते है. कई बार इसके लिए प्रतिरक्षा प्रणाली में समस्या के अलावा आनुवंशिक तथा पर्यावरणीय कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं.

टाइम्स कैपिटिस/ टिनिया कैपिटिस या खोपड़ी का दाद
टाइम्स कैपिटिस/ टिनिया कैपिटिस या खोपड़ी पर दाद एक फंगल संक्रमण है, जो एक संक्रामक रोग होता है. इसमें खोपड़ी पर लाल, पपड़ीदार धब्बे, लिम्फ नोड्स में सूजन तथा बालों के झड़ने जैसी समस्याएं होने लगती है.

फॉलिकुलाइटिस
फॉलिकुलाइटिस एक बैक्टीरियल स्कैल्प संक्रमण होता है. इस समस्या में बैक्टीरिया बालों का निर्माण करने वाली संरचना को प्रभावित करते हैं. इस संक्रमण में स्कैल्प पर लालिमा, सूजन, दर्द, बालों के अस्थाई या स्थायी रूप से झड़ने, मवाद वाली फुंसियां तथा त्वचा पर काले धब्बे या निशान पड़ने जैसी समस्याएं होने लगती हैं. गर्मी के मौसम में यह संक्रमण काफी ज्यादा प्रभावित करता है. दरअसल सिर में ज्यादा पसीना आने पर इस संक्रमण के बढ़ने की आशंका भी बढ़ जाती है.

स्कैल्प सोरायसिस और एलोपेसिया एरीटा का इलाज व प्रबंधन
डॉ संदीप बताते हैं कि स्कैल्प सोरायसिस और एलोपेसिया एरीटा के इलाज व प्रबंधन के लिए अक्सर व्यक्ति के लक्षणों और उनकी स्थिति की गंभीरता के अनुसार लक्षणों को नियंत्रित करने और बालों के पुनर्विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रणालीगत उपचार निर्धारित किए जाते हैं. जिनमें मरीजों की अवस्था व आवश्यकता के आधार पर मौखिक दवाओं, इंजेक्शन तथा बाह्य इस्तेमाल के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स क्रीम व अन्य दवाएं दी जाती हैं. इसके अलावा स्कैल्प पर कोल टार या सैलिसिलिक एसिड युक्त शैंपू के इस्तेमाल की सलाह भी दी जाती हैं. वहीं एलोपेसिया एरियाटा के कुछ मामलों में बालों के पुनर्विकास को बढ़ावा देने के लिए बाह्य उपयोग के लिए एंथ्रेलिन क्रीम भी दी जाती है. इसके अलावा पीड़ित को सामान्य रूप से स्कैल्प की स्वच्छता बनाए रखने और अपनी कंघी व टोपी जैसी व्यक्तिगत वस्तुओं को सांझा करने से बचने के निर्देश भी दिए जाते हैं.

स्कैल्प में फंगल व बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज
वह बताते हैं कि टाइम्स कैपिटिस/ टिनिया कैपिटिस यानी सिर की दाद के उपचार में अक्सर लक्षणों व जरूरत के आधार पर तथा सिर पर फफूंद के विकास को कम करने के लिए मौखिक एंटीफंगल दवाएं के साथ केटोकोनाज़ोल शैम्पू ( एंटी फंगल शैम्पू) के उपयोग के लिए निर्देश दिए जाते हैं. वहीं फॉलिकुलाइटिस में उपचार में संक्रमण की गंभीरता के आधार पर बाह्य उपयोग के लिए एंटीफंगल एजेंट युक्त क्रीम तथा मौखिक एंटीबायोटिक दी जाती है . इनके अलावा पीड़ित की अवस्था के आधार पर तथा स्कैल्प पर बैक्टीरिया के विकास को कम करने के लिए उन्हे बेंज़ोयल पेरोक्साइड या क्लोरहेक्सिडिन जैसे तत्वों से युक्त जीवाणुरोधी शैंपू के इस्तेमाल के लिए परामर्श दिया जाता है.

जरूरी है चिकित्सीय जांच तथा सही व पूरा इलाज
डॉ संदीप बताते हैं सिर में खुजली, जलन के साथ त्वचा में दूसरे रंग के पैच बनने , पस वाले दानों के होने या ज्यादा संख्या में बाल झड़ने की समस्या को बिल्कुल भी नजर अंदाज नहीं करना चाहिए. ऐसी अवस्था में या कुछ अन्य तीव्र लक्षणों व समस्याओं के नजर आने पर पीड़ित को तत्काल किसी अच्छे डर्मेटोलॉजिस्ट से जांच करवानी चाहिए. सही समय पर संक्रमणों या रोगों का सही व पूरा इलाज ना होना कई बार बालों व त्वचा से जुड़े गंभीर रोगों तथा स्थाई या अस्थाई गंजेपन का कारण भी बन सकता है. hair fall , baldness , Scalp diseases , Scalp Problems , head diseases , Scalp Problems , Scalp diseases

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इस समय की गई एरोबिक-एक्सरसाइज हो सकती है फायदेमंद

हैदराबाद : मौसम, अस्वच्छता तथा रोग सहित बहुत से कारण हैं जो स्कैल्प यानी सिर की त्वचा में रोग या समस्याओं के होने का कारण बन सकते हैं. जानकारों का मानना है कि स्कैल्प में होने वाले संक्रमण या रोगों का अगर समय से इलाज ना हो तो वह ना सिर्फ अन्य समस्याओं के बढ़ने, प्रभावित स्थान के आसपास संक्रमण के ज्यादा फैल जाने, बालों के कमजोर होने व टूटने बल्कि कई बार गंजेपन व कई अन्य गंभीर रोगों के होने का कारण भी बन सकते हैं.

स्कैल्प या सिर की त्वचा में संक्रमण या रोग ,महिलाओं और पुरुषों दोनों में असहजता, असुविधा तथा शर्मिंदगी का कारण बन सकते हैं. त्वचा व बालों के स्वास्थ्य से जुड़ी विभिन्न रिपोर्ट्स तथा चिकित्सकों से प्राप्त आंकड़ों की माने तो पिछले कुछ सालों में दुनिया भर में अलग-अलग कारणों से ऐसे रोगों तथा संक्रमणों के मामलों की संख्या काफी बढ़ी है जो सिर की त्वचा तथा बालों के स्वास्थ्य व सौन्दर्य, सभी को प्रभावित करते हैं.

Scalp Infection diseases raise hair fall baldness risk
कॉन्सेप्ट इमेज (IANS)

स्कैल्प में समस्याएं : ‘सूररेय स्किन केयर’ लंदन में कार्यरत भारतीय मूल के चिकित्सक तथा मेडिकल एजुडेटर डॉ संदीप सोइन बताते हैं कि ज्यादा गर्मी, पसीना, गंदगी, त्वचा रोग, रक्त विकार या अन्य कारणों के चलते कई बार स्कैल्प तथा सिर के आसपास की त्वचा में कई कम या ज्यादा गंभीर रोगों व संक्रमणों का जोखिम बढ़ जाता है.

Scalp Infection diseases raise hair fall baldness risk
कॉन्सेप्ट इमेज (IANS)

वह बताते हैं कि आमतौर पर इन रोगों या संक्रमणों की शुरुआत में पीड़ित में सिर या बालों में खुजली, जलन, दानों या बाल झड़ने जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं. लेकिन ज्यादातर लोग उन्हें अनदेखा करते हैं. वहीं कुछ लोग परेशानी थोड़ी बढ़ने पर किसी से देख-सुन कर या खुद ही केमिस्ट से लेकर किसी दवा का इस्तेमाल कर लेते हैं. लेकिन कई बार ऐसा करना समस्याओं के गंभीर होने का कारण बन जाता है. यहां तक की ऐसे में कई बार सिर तथा आसपास की त्वचा में संक्रमण के गंभीर प्रभावों के साथ पस वाली फुंसियों के होने, बालों की गुणवत्ता खराब होने, उनके ज्यादा टूटने झड़ने और यहां तक की गंजेपन जैसी समस्याओं की आशंका बढ़ सकती है. डॉ संदीप के अनुसार स्कैल्प में होने वाले सबसे आम संक्रमणों व रोगों में से कुछ इस प्रकार हैं.

स्कैल्प सोरायसिस
स्कैल्प सोरायसिस दरअसल एक ऑटोइम्यून स्थिति होती है जिसमें हेयरलाइन, माथा, गर्दन के पिछले भाग तथा कानों के आसपास की त्वचा पर मोटे, लाल या हल्के रंग के धब्बे, प्लाक या पपड़ीदार पैच विकसित होने लगते हैं. जिनमें सूजन व खुजली भी हो सकती है.

एलोपेशिया एरीटा
एलोपेशिया एरीटा भी एक ऑटोइम्यून स्थिति है. जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्कैल्प में त्वचा की उन संरचनाओं पर हमला करने लगती हैं जो बालों का निर्माण करती हैं. जिससे बाल झड़ने लगते हैं. यह स्कैल्प के अलावा शरीर के किसी भी हिस्से के बालों को प्रभावित कर सकती हैं . इस समस्या में सिर में या प्रभावित स्थान पर बालों के झड़ने से गोल पैच नजर बनने लगते है. कई बार इसके लिए प्रतिरक्षा प्रणाली में समस्या के अलावा आनुवंशिक तथा पर्यावरणीय कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं.

टाइम्स कैपिटिस/ टिनिया कैपिटिस या खोपड़ी का दाद
टाइम्स कैपिटिस/ टिनिया कैपिटिस या खोपड़ी पर दाद एक फंगल संक्रमण है, जो एक संक्रामक रोग होता है. इसमें खोपड़ी पर लाल, पपड़ीदार धब्बे, लिम्फ नोड्स में सूजन तथा बालों के झड़ने जैसी समस्याएं होने लगती है.

फॉलिकुलाइटिस
फॉलिकुलाइटिस एक बैक्टीरियल स्कैल्प संक्रमण होता है. इस समस्या में बैक्टीरिया बालों का निर्माण करने वाली संरचना को प्रभावित करते हैं. इस संक्रमण में स्कैल्प पर लालिमा, सूजन, दर्द, बालों के अस्थाई या स्थायी रूप से झड़ने, मवाद वाली फुंसियां तथा त्वचा पर काले धब्बे या निशान पड़ने जैसी समस्याएं होने लगती हैं. गर्मी के मौसम में यह संक्रमण काफी ज्यादा प्रभावित करता है. दरअसल सिर में ज्यादा पसीना आने पर इस संक्रमण के बढ़ने की आशंका भी बढ़ जाती है.

स्कैल्प सोरायसिस और एलोपेसिया एरीटा का इलाज व प्रबंधन
डॉ संदीप बताते हैं कि स्कैल्प सोरायसिस और एलोपेसिया एरीटा के इलाज व प्रबंधन के लिए अक्सर व्यक्ति के लक्षणों और उनकी स्थिति की गंभीरता के अनुसार लक्षणों को नियंत्रित करने और बालों के पुनर्विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रणालीगत उपचार निर्धारित किए जाते हैं. जिनमें मरीजों की अवस्था व आवश्यकता के आधार पर मौखिक दवाओं, इंजेक्शन तथा बाह्य इस्तेमाल के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स क्रीम व अन्य दवाएं दी जाती हैं. इसके अलावा स्कैल्प पर कोल टार या सैलिसिलिक एसिड युक्त शैंपू के इस्तेमाल की सलाह भी दी जाती हैं. वहीं एलोपेसिया एरियाटा के कुछ मामलों में बालों के पुनर्विकास को बढ़ावा देने के लिए बाह्य उपयोग के लिए एंथ्रेलिन क्रीम भी दी जाती है. इसके अलावा पीड़ित को सामान्य रूप से स्कैल्प की स्वच्छता बनाए रखने और अपनी कंघी व टोपी जैसी व्यक्तिगत वस्तुओं को सांझा करने से बचने के निर्देश भी दिए जाते हैं.

स्कैल्प में फंगल व बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज
वह बताते हैं कि टाइम्स कैपिटिस/ टिनिया कैपिटिस यानी सिर की दाद के उपचार में अक्सर लक्षणों व जरूरत के आधार पर तथा सिर पर फफूंद के विकास को कम करने के लिए मौखिक एंटीफंगल दवाएं के साथ केटोकोनाज़ोल शैम्पू ( एंटी फंगल शैम्पू) के उपयोग के लिए निर्देश दिए जाते हैं. वहीं फॉलिकुलाइटिस में उपचार में संक्रमण की गंभीरता के आधार पर बाह्य उपयोग के लिए एंटीफंगल एजेंट युक्त क्रीम तथा मौखिक एंटीबायोटिक दी जाती है . इनके अलावा पीड़ित की अवस्था के आधार पर तथा स्कैल्प पर बैक्टीरिया के विकास को कम करने के लिए उन्हे बेंज़ोयल पेरोक्साइड या क्लोरहेक्सिडिन जैसे तत्वों से युक्त जीवाणुरोधी शैंपू के इस्तेमाल के लिए परामर्श दिया जाता है.

जरूरी है चिकित्सीय जांच तथा सही व पूरा इलाज
डॉ संदीप बताते हैं सिर में खुजली, जलन के साथ त्वचा में दूसरे रंग के पैच बनने , पस वाले दानों के होने या ज्यादा संख्या में बाल झड़ने की समस्या को बिल्कुल भी नजर अंदाज नहीं करना चाहिए. ऐसी अवस्था में या कुछ अन्य तीव्र लक्षणों व समस्याओं के नजर आने पर पीड़ित को तत्काल किसी अच्छे डर्मेटोलॉजिस्ट से जांच करवानी चाहिए. सही समय पर संक्रमणों या रोगों का सही व पूरा इलाज ना होना कई बार बालों व त्वचा से जुड़े गंभीर रोगों तथा स्थाई या अस्थाई गंजेपन का कारण भी बन सकता है. hair fall , baldness , Scalp diseases , Scalp Problems , head diseases , Scalp Problems , Scalp diseases

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इस समय की गई एरोबिक-एक्सरसाइज हो सकती है फायदेमंद

Last Updated : May 6, 2024, 7:33 AM IST
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