नई दिल्ली: एम्स के बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग की प्रोफेसर डॉ. शिल्पा शर्मा मे कुछ ऐसा अहम बातों की जानकारी दी जिस पर आम तौर परध्यान नहीं दिया जाता और वो बच्चों के लिए इतने खतरनाक रोग हो सकते हैं जिससे उनकी मौत तक हो सकती है. डॉ. शिल्पा शर्मा का कहना है कि छोटे बच्चों को डायपर पहनाने की आदत नवजात की किडनी पर बुरा प्रभाव डाल रही है. इनके कारण बच्चे के पेशाब के रास्ते के बारे में माता-पिता को पता नहीं चल पाता.
विशेषज्ञों की माने तो अक्सर देखा गया है कि नवजात में पेशाब का रास्ता बंद होना, रास्ता ऊपर या नीचे होना, पेशाब बूंद-बूंद होकर आने की समस्या होती है, लेकिन डायपर के कारण समय पर इसके बारे में पता नहीं चल पाता. इसके कारण पेशाब का दबाव वापस किडनी पर पड़ता है जो उस पर बुरा प्रभाव डालता है. यदि समय पर इसका इलाज नहीं कराया जाए तो किडनी भी खराब हो सकती है. इसके अलावा बच्चे की चाल भी खराब हो जाती है.
अक्सर देखा गया है कि माता-पिता इस तरफ ध्यान नहीं देते और नवजात को डायपर पहना देते हैं. धीरे-धीरे समस्या बढ़ जाती है. जबकि पहले के समय में महिलाएं अपने बच्चे के पेशाब के रास्ते को देखती थीं. उनका कहना है कि बच्चे के पेशाब के रास्ते पर ध्यान देना चाहिए. यदि वह सीधा नहीं है तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. इसे लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने से समस्या कम हो सकती है. डॉ. शर्मा ने कहा कि बच्चों की सर्जरी को कुशल डॉक्टरों से करवाई जानी चाहिए.
डॉक्टर से करें जल्द संपर्क
कई बार छोटे बच्चों के सांस की नली नहीं बनी होती है. ऐसे बच्चों को दूध पिलाने के दौरान मुंह में झाग बनता है. यदि किसी बच्चे के साथ ऐसा होता है तो उसे तुरंत एक घंटे के अंदर अस्पताल में इलाज के लिए लाना चाहिए. ऐसे नवजात की सर्जरी कर सांस की नली बनाई जा सकती है. लेकिन देखा गया है कि कई बार 5-6 दिनों तक बच्चों को अस्पताल नहीं लाया जाता और उन्हें निमोनिया तक हो जाता है. इससे बच्चे की मौत हो जाती है.
16 से 20 सप्ताह में चल जाता है परेशानी का पता
गर्भवती महिला का 16 से 20 सप्ताह के दौरान अल्ट्रासाउंड करके गर्भ में पल रहे बच्चे की स्थिति का पता लगाया जा सकता है. इसमें देखा जा सकता है कि बच्चे का लिंग, पेशाब की थैली या अन्य अंग बने हैं या नहीं. यदि समय पर इसका पता चल जाए तो सर्जरी करके बच्चे को सुरक्षित किया जा सकता है. इस दौरान यह भी देखा जा सकता है कि भविष्य में बच्चे को कोई बीमारी हो सकती है या नहीं। इस जांच के बाद यदि बच्चे में ज्यादा दिक्कत होती है तो उसका गर्भपात भी किया जा सकता है.
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फोलिक एसिड महिलाओं के लिए जरूरी
गर्भ में बच्चे के आकार लेने के पहले फोलिक एसिड महिलाओं के लिए जरूरी है. डॉ. शर्मा के अनुसार गर्भ में बच्चे के पीठ पर एक छाला बन जाता है. इसमें गांठ में सभी धमनिया फंस जाती हैं जिस कारण विकास रुक जाता है. बेहतर होगा कि माता-पिता दोनों इसका सेवन करें. महिलाएं गर्भ धारण करने के दो साल पहले इसका सेवन कर सकती हैं
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