हेड इंजरी को कभी ना करें इग्नोर नई दिल्लीः हर साल 20 मार्च को विश्व हेड इंजरी जागरूकता दिवस मनाया जाता है. इस दिन लोगों को सिर की चोट से बचाव के प्रति जागरूक किया जाता है. ब्रेन इंजरी अक्सर मस्तिष्क के दबाव से जुड़ा होता है. लोकनायक अस्पताल में न्यूरोसर्जरी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. पीएन पांडेय का कहना है कि सिर की चोट को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए. सिर की चोट को हल्के में लेने पर इसका बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. सिर की चोट कई बार जीवन भर के लिए दिव्यांग भी बना सकती है और जान भी ले सकती है.
खतरनाक होती है सिर की चोट
डा. पीएन पांडेय के अनुसार सिर या मस्तिष्क में लगी चोट इसलिए खतरनाक होती है क्योंकि सिर में चोट लगने से अंदरूनी हिस्सों खून बहना , सूजन आना शामिल होता है. कई बार गंभीर चोट लगने से मस्तिष्क की नसों और टिश्यूज को भी नुकसान पहुंच सकता है. साथ ही कई बार आंखों पर भी इसका असर पड़ सकता है. डा. पांडेय ने बताया कि आंकड़ों के अनुसार भारत में हर सात मिनट में हेड इंजरी से एक मौत हो जाती है.
हेड इंजरी को कभी ना करें इग्नोर दो प्रकार की होती है सिर की चोटएम्स ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख डा. कामरान फारूकी ने बताया कि सिर या मस्तिष्क में लगने वाली चोट दो प्रकार की होती है. एक चोट गिरने या किसी चीज के सिर में टकराने के कारण हल्की चोट लगती है. लेकिन, उसमें सिर के अंदर या बाहर खून नहीं निकलता है और कोई घाव नहीं बनता है. दूसरी तरह की चोट जिसमें खेलकूद के दौरान या गंभीर सड़क दुर्घटना में खोपड़ी की हड्डी टूटना, चटखना, मस्तिष्क में चोट लगना, नसों का क्षतिग्रस्त होना शामिल है. इसे आमतौर पर हेमेटोमा, हैमरेज, कन्क्यूजन, एडीमा, स्कल फ्रैक्चर जैसे नामों से जाना जाता है. डॉ. कामरान के अनुसार सिर में चोट लगने के मामले सबसे ज्यादा खेलकूद के दौरान चोट लगने, सड़क दुर्घटना में चोट लगने या मारपीट में चोट लगने से आते हैं. कई बार छोटे बच्चों के ऊंचाई से गिरने के कारण भी ये मामले आते हैं.
एम्स में प्रतिदिन आते हैं हेड इंजरी के 30 मामलेएम्स ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख प्रोफेसर कामरान फारुकी ने यह भी बताया कि एम्स में प्रतिदिन हेड इंजरी के 30 मामले आते हैं. इनमें 70 प्रतिशत मामले हल्की चोट, 20 प्रतिशत गंभीर औऱ 10 प्रतिशत अति गंभीर श्रेणी के होते हैं. वहीं, दिल्ली सरकार के लोकनायक अस्पताल के अंतर्गत आने वाले सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर की प्रमुख डा. सुधा अग्रवाल ने बताया कि हमारे यहां ट्रॉमा सेंटर में प्रतिदिन हेड इंजरी आठ से 10 मरीज आते हैं. इनमें से कुछ हल्की चोट वाले और कुछ गंभीर चोट वाले भी होते हैं. उन्होंने बताया कि गंभीर चोट वाले मरीजों का इलाज करने में समय लगता है. उन्हें कई बार एक-एक महीने तक भर्ती करने की जरूरत भी पड़ जाती है.
हेड इंजरी को कभी ना करें इग्नोर हेड इंजुरी से बचाव कैसे करेंलोकनायक अस्पताल के ऑर्थोपेडिक विभाग के डॉक्टर एवं फेमा डॉक्टर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रोहन कृष्णन का कहना है कि हेड इंजरी से बचाव के लिए दोपहिया वाहन चलाते समय हमेशा हेलमेट का इस्तेमाल करना चाहिए. उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष देश में एक लाख लोगों की मौत हेड इंजरी से हो जाती है. ये दुनिया में सर्वाधिक आंकड़ा है. इसके अलावा भारत में 10 लाख से ज्यादा लोग सिर की चोट के कारण दिव्यांगता का भी दंश झेलते हैं.
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अपोलो अस्पताल में ब्रेन एंड स्पाइन सर्जन विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि सिर में चोट लगने पर सावधानी बरतना भी बहुत आवश्यक होता है. सिर में चोट लगने पर ये बरतें सावधानी. - सिर में चोट लगने पर इन बातों का रखें ख्याल
- सिर में चोट लगने पर घाव पर दबाव न डालें.
- घाव को खुद से धोने या साफ करने की कोशिश न करें.
- सिर चोट लगने वाले व्यक्ति को ज्यादा हिलाने या डुलाने का प्रयास न करें
- बाइक चलाते हुए सिर में चोट लगने पर हेलमेट को निकालने का प्रयास न करें.
चोट लगने के 48 घंटे तक शराब नहीं पीनी चाहिए.
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