हैदराबादः मनुष्य हो, जानवर हो या पौधे, हर जीवित जीव को जीने के लिए खनिज के पोषण की जरूरत होती है. खनिज वे सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं जो शरीर की कोशिकाओं के पुनर्निर्माण, उनकी मरम्मत, तंत्रिका संकेतन, मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाने, घावों को भरने, शरीर में प्रतिरक्षा को बढ़ाने, शरीर में ऊर्जा के निर्माण व प्रसार तथा कई अन्य कार्यों में मदद करते हैं. सभी खनिजों में से मैग्नीशियम भी एक महत्वपूर्ण खनिज है.
कार्य और स्रोत
नई दिल्ली की पोषण व आहार विशेषज्ञ डॉ दिव्या शर्मा बताती हैं कि मैग्नीशियम एक जरूरी खनिज है जो तंत्रिकाओं, कोशिकाओं, मांसपेशियों व हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के साथ प्रोटीन निर्माण, तनाव कम करने, वजन कम करने, रक्तचाप और रक्त शर्करा को कम करने, नींद की गुणवत्ता को बेहतर करने, चिंता व अवसाद में कमी, टेस्टोस्टेरोन व कुछ अन्य हार्मोन के स्तर को बढ़ाने तथा भोजन को ऊर्जा और मेटाबोलिज़्म में बदलने का कार्य करता है. इसके अलावा यह शरीर के कई तंत्रों के सुचारू रूप से संचालन में भी अहम भूमिका निभाता है. मैग्नीशियम शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित करने में भी मदद करता है. ऐसे में मैग्नीशियम की कमी के चलते शरीर में कैल्शियम और सोडियम का स्तर कम भी हो सकता है. इसके स्रोत की बात करें तो साबुत अनाज, नट्स, मछली, एवोकाडो, चॉकलेट, हरे पत्ते वाली सब्जियां, फलियां, कम वसा वाला दूध, दही तथा मसूर की दाल में यह भरपूर मात्रा में पाया जाता है.
मैग्नीशियम की कमी के कारण व प्रभाव
डॉ दिव्या शर्मा बताती हैं कि सामान्य तौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति में मैग्नीशियम की कमी या जिसे चिकित्सकीय भाषा में हाइपो मैग्नीशिया भी कहा जाता है, काफी कम देखने में आती है. लेकिन यदि व्यक्ति कुछ विशेष रोग जैसे क्रोहन रोग, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं व कुछ अन्य पाचन संबंधी समस्याएं, गुर्दे से संबंधित रोग, टाइप टू डाइबटीज व शराब सेवन विकार आदि से पीड़ित हों या कुछ विशेष अवस्थाओं जैसे कुछ दवाओं के पार्श्वप्रभाव तथा आहार में गड़बड़ी या ऐसे आहार का सेवन जिनमें पोषक तत्वों की कमी हो के कारण उत्पन्न अवस्थाओं का सामना कर रहे हों, तो उनमें हाइपोमैग्नेसीमिया होने का जोखिम हो सकता है. इसके अलावा युवा लोगों की तुलना में वृद्ध लोगों में मैग्नीशियम की कमी होने की आशंका अधिक होती है.
वह बताती हैं कि कारण चाहे जो भी हो लेकिन अगर शरीर में मैग्नीशियम की कमी हो जाए तथा लंबे समय तक शरीर में उसका स्तर कम रहे तो शरीर की कई प्रक्रियाओं में समस्या के साथ कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी परेशान कर सकती हैं. जैसे टाइप 2 मधुमेह के होने या उसके प्रबंधन में समस्या, हृदय संबंधी समस्याएं (उच्च रक्तचाप, अनियमित धड़कन आदि), मांसपेशियों व तंत्रिकाओं में ऐंठन व अन्य समस्याएं, हड्डियों से जुड़ी समस्याए (अर्थराइटीस, आस्टियोपोरोसिस आदि) , तथा मानसिक समस्याएं( डिप्रेशन, चिंता, अनिद्रा व बेचैनी) आदि.
मैग्नीशियम की कमी के लक्षणः शरीर में मैग्नीशियम की कमी के लगातार बने रहने पर आमतौर पर जो लक्षण नजर आते हैं उनमें से कुछ इस प्रकार है.
- कब्ज
- सिर दर्द
- थकान व कमजोरी
- मांसपेशियों में ऐंठन
- जी मिचलाना, उल्टी
- भूख कम लगना, आदि
- दिल में घबराहट, अनियमित हृदय गति
- हाथों और पैरों में सुन्नता या झुनझुनी होना
शरीर के लिए मैग्नीशियम के फायदे
- वह बताती हैं कि शरीर में मैग्नीशियम के स्तर को संतुलित रखने के लिए महिलाओं को प्रतिदिन लगभग 310-400 मिलीग्राम तथा पुरुषों को प्रतिदिन 400-420 मिलीग्राम मैग्नीशियम की आवश्यकता होती है. शरीर में मैग्नीशियम के संतुलित मात्रा में उपस्थित रहने पर सेहत को कई तरह के लाभ मिलते हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- मैग्नीशियम शरीर में ऊर्जा उत्पादन के कार्य में मदद करता है.
- यह मांसपेशियों और तंत्रिकाओं के सही कामकाज, मांसपेशियों के संकुचन और विश्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
- यह कैल्शियम के साथ मिलकर हड्डियों को मजबूत बनाता है और हड्डियों के निर्माण और रखरखाव में सहायता करता है.
- हृदय के स्वस्थ कार्य के लिए मैग्नीशियम आवश्यक है. यह हृदय की धड़कन को नियमित करने और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है.
- मैग्नीशियम मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है. यह मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन में मदद करता है, जो मूड और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं.
- मैग्नीशियम नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में सहायक होता है. यह मेलाटोनिन के उत्पादन को बढ़ावा देता है, जो नींद को नियमित करने में मदद करता है.
- मैग्नीशियम रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है. यह इंसुलिन की संवेदनशीलता को बढ़ाता है, जिससे रक्त में शर्करा का स्तर स्थिर रहता है.
- मैग्नीशियम सूजन को कम करने में सहायक होता है. यह शरीर में सूजन से संबंधित मार्करों को कम करता है, जिससे सूजन और इसके परिणामस्वरूप होने वाली बीमारियों का जोखिम कम होता है.
बिना जरूरत मैग्नीशियम का सप्लीमेंट लेने से बचे
डॉ दिव्या शर्मा बताती हैं कि यदि व्यक्ति नियमित तौर पर पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार खाता है तो सामान्य तौर उनमें मैग्नीशियम की कमी होने की आशंका काफी कम रहती है. लेकिन यदि नियमित जांच में शरीर में मैग्नीशियम की कमी का पता चलता है तो कुछ परिस्थितियों में चिकित्सक कुछ सप्लीमेंट लेने की सलाह देते हैं. लेकिन यहां यह जानना भी बहुत जरूरी है कि बिना चिकित्सक की सलाह मैग्नीशियम के सप्लीमेंट नहीं लेने चाहिए अन्यथा इसके शरीर पर विपरीत प्रभाव नजर आ सकते हैं.