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शरीर में ये लक्षण दिखने लगे तो समझ जाएं, अब कंट्रोल से बाहर हो रहा है डायबिटीज

डायबेटिक संबंधी न्यूरोपैथी के सबसे आम लक्षण सुन्नपन, झुनझुनी, जलन, दर्द, ऐंठन और कमजोरी हैं. लक्षण अक्सर पैरों या हाथों से शुरू होते हैं. पढ़ें...

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शरीर में ये लक्षण दिखने लगे तो समझ जाएं, अब कंट्रोल से बाहर हो रहा है डायबिटीज (PEXELS)
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By ETV Bharat Health Team

Published : Nov 4, 2024, 7:31 PM IST

डायबिटीज की बीमारी होने पर लोगों का ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है. लाइफटाइम तक के लिए इसे कंट्रोल करने की कोशिश करनी पड़ती है. शुगर मरीजों का शुगर लेवल जब अनकंट्रोल हो जाए और लंबे समय तक ऐसा रहे तो इससे नसें डैमेज होना शुरू हो जाती है. जब हद से ज्यादा शुगर लेवल की वजह से नर्व डैमेज होने लगती है, तब इस कंडीशन को डायबिटिक न्यूरोपैथी कहते हैं...

चलिए जानते है कि डायबेटिक न्यूरोपैथी कितना खतरना हो सकता है और इसके लक्षण क्या-क्या होते है...
डायबिटीज की वजह से नसों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है. इसका आम तौर पर सबसे ज्यादा असर पैरों पर पड़ता है. कुछ लोगों में, लक्षण हल्के होते हैं. कुछ को दर्द होता है, कमजोरी महसूस होती है और यह जानलेवा भी हो सकता है.

लक्षणों में पैरों में दर्द और उनका सुन्न होना शामिल है. समस्या ज्यादा गंभीर होने पर, लक्षणों में पाचन तंत्र, पेशाब से जुड़ी और दिल की धड़कन को नियंत्रित रखने से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. इलाज के लिए इंसुलिन और नसों के दर्द को कम करने वाली दवाओं का उपयोग किया जाता है. ऐसा होने पर डॉक्टर से जांच कराना जरूरी होता है.

लक्षण

  • डायबेटिक संबंधी न्यूरोपैथी आमतौर पर टांगों और पैरों की नसों को नुकसान पहुंचाती है. इससे हृदय, रक्त वाहिकाओं, पाचन तंत्र और जननांगों से संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं.
  • इसके कारण मतली, अपच और उल्टी की सम्स्या उतपन्न हो सकती है. जैसे कि कुछ भी खाने पर उल्टी जैसा महसूस होता है.
  • पैरों और बांहों की नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं. पैरों में झुनझुनी और असुविधा होती है.
  • पैर और हाथ सुन्न हो जाते हैं. चलते समय लड़खड़ाना, ऐसा लगता है जैसे को शरीर पर वजन रख दिया हो.
  • रात में पैर का सुन्न हो जाना, इसके कारण व्यक्ति ठीक से सो नहीं पाता है.
  • दस्त लग जाना. कभी-कभी पेट का फूल जाना शामिल है. कब्ज भी एक समस्या है.
  • मांसपेशियां कमजोर महसूस होती हैं. योनि का सूखापन महसूस होना, साथ ही संक्रमण होने की संभावना रहती है.
  • आंखों का घूमना, चक्कर आना और अत्यधिक पसीना आना भी इसके लक्षणों में शामिल है.
  • हृदय संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं. दिल की धड़कन का तेज हो जाना. मूत्राशय की समस्या भी हो जाती है.
  • शरीर में चुभन महसूस करना, परेशान करने वाली जगह झनझनाहट और जलन, स्पर्श कम महसूस होना, या अतिसंवेदनशीलता (छोटी-छोटी बातों पर जरूरत से ज्यादा परेशान हो जाना
  • यह होना भी आम है: त्वचा पर छाला, धीमी प्रतिक्रियाएं, या यौन अंगों का काम न करना

सोर्स- https://www.niddk.nih.gov/health-information/diabetes/overview/preventing-problems/nerve-damage-diabetic-neuropathies/what-is-diabetic-neuropathy

(डिस्क्लेमर: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)

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डायबिटीज की बीमारी होने पर लोगों का ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है. लाइफटाइम तक के लिए इसे कंट्रोल करने की कोशिश करनी पड़ती है. शुगर मरीजों का शुगर लेवल जब अनकंट्रोल हो जाए और लंबे समय तक ऐसा रहे तो इससे नसें डैमेज होना शुरू हो जाती है. जब हद से ज्यादा शुगर लेवल की वजह से नर्व डैमेज होने लगती है, तब इस कंडीशन को डायबिटिक न्यूरोपैथी कहते हैं...

चलिए जानते है कि डायबेटिक न्यूरोपैथी कितना खतरना हो सकता है और इसके लक्षण क्या-क्या होते है...
डायबिटीज की वजह से नसों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है. इसका आम तौर पर सबसे ज्यादा असर पैरों पर पड़ता है. कुछ लोगों में, लक्षण हल्के होते हैं. कुछ को दर्द होता है, कमजोरी महसूस होती है और यह जानलेवा भी हो सकता है.

लक्षणों में पैरों में दर्द और उनका सुन्न होना शामिल है. समस्या ज्यादा गंभीर होने पर, लक्षणों में पाचन तंत्र, पेशाब से जुड़ी और दिल की धड़कन को नियंत्रित रखने से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. इलाज के लिए इंसुलिन और नसों के दर्द को कम करने वाली दवाओं का उपयोग किया जाता है. ऐसा होने पर डॉक्टर से जांच कराना जरूरी होता है.

लक्षण

  • डायबेटिक संबंधी न्यूरोपैथी आमतौर पर टांगों और पैरों की नसों को नुकसान पहुंचाती है. इससे हृदय, रक्त वाहिकाओं, पाचन तंत्र और जननांगों से संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं.
  • इसके कारण मतली, अपच और उल्टी की सम्स्या उतपन्न हो सकती है. जैसे कि कुछ भी खाने पर उल्टी जैसा महसूस होता है.
  • पैरों और बांहों की नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं. पैरों में झुनझुनी और असुविधा होती है.
  • पैर और हाथ सुन्न हो जाते हैं. चलते समय लड़खड़ाना, ऐसा लगता है जैसे को शरीर पर वजन रख दिया हो.
  • रात में पैर का सुन्न हो जाना, इसके कारण व्यक्ति ठीक से सो नहीं पाता है.
  • दस्त लग जाना. कभी-कभी पेट का फूल जाना शामिल है. कब्ज भी एक समस्या है.
  • मांसपेशियां कमजोर महसूस होती हैं. योनि का सूखापन महसूस होना, साथ ही संक्रमण होने की संभावना रहती है.
  • आंखों का घूमना, चक्कर आना और अत्यधिक पसीना आना भी इसके लक्षणों में शामिल है.
  • हृदय संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं. दिल की धड़कन का तेज हो जाना. मूत्राशय की समस्या भी हो जाती है.
  • शरीर में चुभन महसूस करना, परेशान करने वाली जगह झनझनाहट और जलन, स्पर्श कम महसूस होना, या अतिसंवेदनशीलता (छोटी-छोटी बातों पर जरूरत से ज्यादा परेशान हो जाना
  • यह होना भी आम है: त्वचा पर छाला, धीमी प्रतिक्रियाएं, या यौन अंगों का काम न करना

सोर्स- https://www.niddk.nih.gov/health-information/diabetes/overview/preventing-problems/nerve-damage-diabetic-neuropathies/what-is-diabetic-neuropathy

(डिस्क्लेमर: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)

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