हैदराबाद: आजकल कई लोग पेट के आस-पास चर्बी बढ़ने से परेशान हैं. पेट की बढ़ती चर्बी घटाना किसी चुनौती से कम नहीं है. लोग अपने लटके हुए पेट को कम करने के लिए क्या जतन नहीं करते. कोई पेट को स्लिम करने के लिए डाइट पर चला जाता है और कोई जिम में पसीने बहाता है. वहीं, कुछ लोग पार्क में घंटे वॉकिंग या रनिंग करते रहते हैं. इसके बावजूद उनका पेट अंदर नहीं हो पाता.
ऐसे में हेल्थ एक्सपर्ट्स ने चेतावनी देते हुए कहा है कि पेट की चर्बी बढ़ने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिसमें हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज शामिल है. हालांकि, कई लोगों को यह नहीं पता कि आखिर पेट क्यों निकलता है? लोगों को लगता है कि ज्यादा खाने से पेट की चर्बी बढ़ती है. हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि पेट के आस-पास चर्बी बढ़ने के कई कारण होते हैं, जो बहुत से लोगों को नहीं पता होता है, तो आइए इस खबर के माध्यम से जानते हैं कि पेट की चर्बी बढ़ने के पीछे का कारण क्या है...
व्यायाम की कमी
आज के मॉडर्न युग में, अधिकांश लोग व्यायाम से परहेज करते हैं. जिसके कारण आजकल लोगों का वजन काफी बढ़ रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि रोजाना व्यायाम न करने से पेट के आस-पास चर्बी जमा हो जाती है. जो बाद में एक बड़ी बीमारी का कारण भी बन सकती है.
अच्छी डाइट न लेना
विशेषज्ञों का कहना है कि पेट के आस-पास चर्बी बढ़ने का मुख्य कारण सही डाइट न लेना भी है. कई लोग अपनी दैनिक जरूरत से ज्यादा कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ खाते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे पेट की चर्बी बढ़ती है.
ज्यादा शराब पीना
शराब में कैलोरी ज्यादा होती है. जब हम ज्यादा मात्रा में शराब का सेवन करते हैं, तो इससे शरीर में चर्बी जमा होने लगती है. साथ ही, कई लोग शराब का सेवन करते वक्त नॉन-वेज खाना खाते हैं. विशेषज्ञों का दावा है कि इससे भी पेट के आस-पास चर्बी बढ़ने लगती है.
धूम्रपान
धूम्रपान (नेशनल लाइब्रेरी ऑफ साइंस रिपोर्ट) से भी पेट की चर्बी बढ़ती है. लेकिन, बहुत से लोग यह नहीं जानते. धूम्रपान से शरीर में अच्छा कोलेस्ट्रॉल कम होता है और बुरा कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे पेट के आसपास चर्बी जमने लगती है. 2011 में 'इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ओबेसिटी' में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने पाया कि धूम्रपान करने वालों में धूम्रपान न करने वालों की तुलना में पेट की चर्बी बढ़ने की संभावना अधिक होती है.जापान में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर लॉन्गविटी साइंसेज के डॉ. शिमोकाटा हिरोशी ने इस शोध में भाग लिया था.