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जानें क्यों मनाया जाता है इंटरनेशनल चाइल्डहुड कैंसर डे - Cancer Cases In India

International childhood Cancer Day : बच्चों में कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. भारत सहित पूरी दुनिया के लिए यह चिंता का विषय है. पढ़ें पूरी खबर..

International childhood Cancer Day
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 14, 2024, 12:06 PM IST

Updated : Feb 14, 2024, 10:30 PM IST

हैदराबाद : वैश्विक स्तर पर कैंसर के मामले में तेजी बढ़ोतरी हो रही है. यह सिर्फ व्यस्कों में ही नहीं बच्चों को भी अपने चपेट में ले रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के डेटा के अनुसार 4 लाख बच्चों में कैंसर के मामले सालान पाये जा रहे हैं. ये लोग 0-19 आयु वर्ग के बीच हैं. इनमें 10 में से 9 मामले निम्न और मध्यम आय वर्ग वाले देशों के वासी हैं, जहां मानक के अनुरूप समुचित इलाज की सुविधा नहीं है. इसका असर होता है कि इन देशों में कैंसर पीड़ित 30 फीसदी से कम बच्चे ही जीवित रह पाते हैं. वहीं यह दर उच्च आय वाले राष्ट्रों में 80 फीसदी या इससे अधिक है. बच्चों में कैंसर के बढ़ते मामले को लेकर जागरूकता लाने के उद्देश्य से हर साल 15 जनवरी को इंटरनेशनल चाइल्डहुड कैंसर डे मनाया जाता है.

भारत में कैंसर पीड़ित बच्चों के सामने चुनौतियां

  1. प्रारंभिक समय में कैंसर कन्फर्म नहीं होना
  2. कैंसर का इलाज का अत्याधिक महंगा होना
  3. राज्य स्तर पर कैंसर उपचार के संस्थानों का अभाव
  4. बच्चों में कैंसर के लक्ष्ण के बारे में जानकारी का अभाव
  5. पीड़ित बच्चों के लिए स्थानीय स्तर पर समुचित जांच की सुविधा अभाव
  6. संसाधन के अनुपात में कैंसर संस्थानों पर मरीजों का अत्यधिक दबाव
International childhood Cancer Day
कैंसर के ताजा आंकड़े

बच्चों के कैंसर से जुड़े मामलों के देखभाल के लिए एम्स भुवनेश्वर में ऑन्कोलॉजी/हेमेटोलॉजी विभाग में डेडीकेटेड सेंटर बनाया गया गया. 30 सितंबर 2023 को एम्स भुवनेश्वर के कार्यकारी निदेशक डॉ. आशुतोष विश्वास ने बताया था कि विभाग में कैंसर से पीड़ित 1200 से अधिक बच्चों को पंजीकृत हैं और सालाना लगभग 250-300 नए रोगियों का उपचार किया जाता है. डॉ. आशुतोष ने बताया कि यहां सिर्फ उड़ीसा ही नहीं पड़ोसी पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और झारखंड सहित आसपास के कई जिले के बच्चे जांच व इलाज के लिए आते हैं.

International childhood Cancer Day
इंटरनेशनल चाइल्डहुड कैंसर डे (फाइल फोटो)

बच्चों में कैंसर का कारण क्या है?
आज के समय में कैंसर के मामले हर उम्र में पाये जाते हैं और यह शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है. कैंसर के केस में पहले आनुवंशिक परिवर्तन से प्रारंभ होता है, फिर एक मास/द्रव्यमान या ट्यूमर में विकसित होता है. सही समय पर इलाज नहीं होने पर लगातार तेजी से फैलता है और पहले शरीर के एक हिस्से को और आगे बड़े हिस्से में फैल जाता है. यह मौत का कारण भी बन जाता है.

वयस्कों की तुलना में बच्चों में कैंसर का कोई ठोस ज्ञात कारण नहीं है. इसके लिए कई शोध किए गये, जिसमें पाया गया कि बच्चों में कैंसर का मुख्य कारण पर्यावरण या जीवनशैली कारकों को दोषी माना गया है. इसके रोकथाम के लिए उन व्यवहारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो बच्चे को वयस्क होने पर भी कैंसर विकसित होने का खतरा कम हो सके. एपस्टीन-बार वायरस, एचआईवी और मलेरिया जैसे कुछ पुराने संक्रमण बचपन के कैंसर के खतरे के कारक हैं.

International childhood Cancer Day
इंटरनेशनल चाइल्डहुड कैंसर डे (फाइल फोटो)

वर्तमान आंकड़ों से पता चलता है कि कैंसर पीड़ित बच्चों में से लगभग 10 फीसदी में आनुवांशिक कारकों के कारण यह प्रवृत्ति विकसित होती है. बच्चों में कैंसर के विकास को प्रभावित करने वाले कारकों की पहचान, इलाज, कैंसर के प्रसार को रोकने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है.

International childhood Cancer Day
इंटरनेशनल चाइल्डहुड कैंसर डे

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हैदराबाद : वैश्विक स्तर पर कैंसर के मामले में तेजी बढ़ोतरी हो रही है. यह सिर्फ व्यस्कों में ही नहीं बच्चों को भी अपने चपेट में ले रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के डेटा के अनुसार 4 लाख बच्चों में कैंसर के मामले सालान पाये जा रहे हैं. ये लोग 0-19 आयु वर्ग के बीच हैं. इनमें 10 में से 9 मामले निम्न और मध्यम आय वर्ग वाले देशों के वासी हैं, जहां मानक के अनुरूप समुचित इलाज की सुविधा नहीं है. इसका असर होता है कि इन देशों में कैंसर पीड़ित 30 फीसदी से कम बच्चे ही जीवित रह पाते हैं. वहीं यह दर उच्च आय वाले राष्ट्रों में 80 फीसदी या इससे अधिक है. बच्चों में कैंसर के बढ़ते मामले को लेकर जागरूकता लाने के उद्देश्य से हर साल 15 जनवरी को इंटरनेशनल चाइल्डहुड कैंसर डे मनाया जाता है.

भारत में कैंसर पीड़ित बच्चों के सामने चुनौतियां

  1. प्रारंभिक समय में कैंसर कन्फर्म नहीं होना
  2. कैंसर का इलाज का अत्याधिक महंगा होना
  3. राज्य स्तर पर कैंसर उपचार के संस्थानों का अभाव
  4. बच्चों में कैंसर के लक्ष्ण के बारे में जानकारी का अभाव
  5. पीड़ित बच्चों के लिए स्थानीय स्तर पर समुचित जांच की सुविधा अभाव
  6. संसाधन के अनुपात में कैंसर संस्थानों पर मरीजों का अत्यधिक दबाव
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कैंसर के ताजा आंकड़े

बच्चों के कैंसर से जुड़े मामलों के देखभाल के लिए एम्स भुवनेश्वर में ऑन्कोलॉजी/हेमेटोलॉजी विभाग में डेडीकेटेड सेंटर बनाया गया गया. 30 सितंबर 2023 को एम्स भुवनेश्वर के कार्यकारी निदेशक डॉ. आशुतोष विश्वास ने बताया था कि विभाग में कैंसर से पीड़ित 1200 से अधिक बच्चों को पंजीकृत हैं और सालाना लगभग 250-300 नए रोगियों का उपचार किया जाता है. डॉ. आशुतोष ने बताया कि यहां सिर्फ उड़ीसा ही नहीं पड़ोसी पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और झारखंड सहित आसपास के कई जिले के बच्चे जांच व इलाज के लिए आते हैं.

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इंटरनेशनल चाइल्डहुड कैंसर डे (फाइल फोटो)

बच्चों में कैंसर का कारण क्या है?
आज के समय में कैंसर के मामले हर उम्र में पाये जाते हैं और यह शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है. कैंसर के केस में पहले आनुवंशिक परिवर्तन से प्रारंभ होता है, फिर एक मास/द्रव्यमान या ट्यूमर में विकसित होता है. सही समय पर इलाज नहीं होने पर लगातार तेजी से फैलता है और पहले शरीर के एक हिस्से को और आगे बड़े हिस्से में फैल जाता है. यह मौत का कारण भी बन जाता है.

वयस्कों की तुलना में बच्चों में कैंसर का कोई ठोस ज्ञात कारण नहीं है. इसके लिए कई शोध किए गये, जिसमें पाया गया कि बच्चों में कैंसर का मुख्य कारण पर्यावरण या जीवनशैली कारकों को दोषी माना गया है. इसके रोकथाम के लिए उन व्यवहारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो बच्चे को वयस्क होने पर भी कैंसर विकसित होने का खतरा कम हो सके. एपस्टीन-बार वायरस, एचआईवी और मलेरिया जैसे कुछ पुराने संक्रमण बचपन के कैंसर के खतरे के कारक हैं.

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इंटरनेशनल चाइल्डहुड कैंसर डे (फाइल फोटो)

वर्तमान आंकड़ों से पता चलता है कि कैंसर पीड़ित बच्चों में से लगभग 10 फीसदी में आनुवांशिक कारकों के कारण यह प्रवृत्ति विकसित होती है. बच्चों में कैंसर के विकास को प्रभावित करने वाले कारकों की पहचान, इलाज, कैंसर के प्रसार को रोकने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है.

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Last Updated : Feb 14, 2024, 10:30 PM IST
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