Inability to Defecate : रोजाना सुबह मल त्याग करना हमारे शरीर की जरूरी क्रिया है. लेकिन कई बार पाचन सबंधी या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण, नींद में गड़बड़ी के कारण या अन्य कारणों से नियमित मल त्याग की क्रिया प्रभावित हो सकती है. चिकित्सकों का कहना है कि अगर ज्यादा अवधि तक मल त्याग ना हो या बेहद कम मल आता हो और यह समस्या लंबे समय तक चलती रहे या बार-बार हो तो ऐसा होना कई समस्याओं का कारण बन सकता है.
मुंबई के आरोग्यधाम आयुर्वेदिक चिकित्सालय की चिकित्सक डॉ मनीषा काले बताती हैं कि रोजाना मल त्याग करना शरीर के सामान्य कार्यों में से एक है, जो पाचन तंत्र को सुचारू रूप से चलाने और शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए आवश्यक है. जब हम नियमित रूप से मल त्याग करते हैं, तो हमारा शरीर अपशिष्ट पदार्थों और टॉक्सिन्स (विषैले तत्वों) से मुक्त हो जाता है, जिससे हमारी आंतें साफ और स्वस्थ रहती हैं. लेकिन अगर किसी कारण से रोजाना मल त्याग नहीं हो पाता है, तो इससे कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
मल त्याग न होने या रोकने के कारण उत्पन्न समस्याएं: हालांकि खानपान में सुधार, पानी का पर्याप्त सेवन और शारीरिक गतिविधियों को अपनी दिनचर्या में शामिल करके इस समस्या से बचा जा सकता है. लेकिन अगर मल त्याग की समस्या लंबे समय तक बनी रहती है, तो डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है. Dr Manisha Kale बताती हैं मल त्यागने की नियमित क्रिया में बाधा होने पर कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
विषैले तत्वों का बाहर नहीं निकलना: भोजन के पाचन के बाद हमारे शरीर में जो अपशिष्ट पदार्थ बचते हैं, उन्हें मल के रूप में बाहर निकालना आवश्यक होता है. यदि ये अपशिष्ट पदार्थ शरीर में जमा होते रहते हैं, तो वे टॉक्सिन्स में बदल जाते हैं, जो शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं. नियमित रूप से मल त्याग न करने से ये टॉक्सिन्स शरीर से बाहर नहीं निकल पाते हैं, जिससे कई स्वस्थ समस्याएं हो सकती हैं.
पाचन तंत्र में समस्या: नियमित मल त्याग न होने से पाचन तंत्र सही तरीके से काम नहीं करता है. अगर पाचन तंत्र सही से काम न करे, तो कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसके अलावा, कब्ज से पेट फूलना, गैस और पेट दर्द जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं. नियमित मल त्याग पाचन तंत्र को सुचारू रखता है और आंतों की सफाई में मदद करता है.
कब्ज: नियमित मल त्याग न करने से कब्ज की समस्या हो सकती है. इसमें मल सख्त हो जाता है, जिससे उसे बाहर निकालना मुश्किल हो जाता है. लंबे समय तक कब्ज रहने से बवासीर और फिशर जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
पेट दर्द और गैस: मल के शरीर में जमा होने से पेट में दर्द, सूजन और गैस बनने लगती है. गैस का अत्यधिक बनना पेट फूलने और असहजता का कारण बनता है, जिससे दैनिक जीवन प्रभावित हो सकता है.
आंतों की समस्याएं: रोजाना मल त्याग करने से आंतों को साफ रखने में मदद मिलती है. अगर मल लंबे समय तक आंतों में जमा रहता है, तो इससे आंतों में संक्रमण हो सकता है . यह आंतों में सूजन, अल्सर, और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है. इसके अलावा, मल की लंबी अवधि तक आंतों में बने रहने से आंतों के कैंसर का भी खतरा बढ़ सकता है.
त्वचा समस्याएं : जब शरीर मल के माध्यम से विषाक्त पदार्थों को बाहर नहीं निकाल पाता, तो ये विषाक्त पदार्थ त्वचा पर प्रभाव डाल सकते हैं. इससे मुंहासे, फुंसियां और अन्य त्वचा संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
मल त्याग न होने का कारण: Dr Manisha Kale बताती हैं कि इस समस्या के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
खानपान में कमी: आहार में फाइबर की कमी मल त्याग की समस्या का मुख्य कारण हो सकती है. फाइबर युक्त भोजन जैसे फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाने से पाचन तंत्र बेहतर काम करता है और मल त्याग सुचारू होता है.
पानी की कमी: पर्याप्त पानी न पीने से शरीर में डिहाइड्रेशन हो सकता है, जिससे मल सख्त हो जाता है. इस स्थिति में मल त्याग करना मुश्किल हो जाता है. इसलिए रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जरूरी है.
शारीरिक गतिविधि की कमी: जो लोग ज्यादा देर तक बैठे रहते हैं या शारीरिक गतिविधि नहीं करते, उन्हें मल त्याग की समस्या हो सकती है. शारीरिक गतिविधियों से पाचन तंत्र सक्रिय रहता है और मल त्याग सुगम होता है.
मानसिक तनाव: तनाव और चिंता का भी मल त्याग पर प्रभाव पड़ता है. अधिक तनाव के कारण पाचन प्रक्रिया धीमी हो सकती है, जिससे कब्ज की समस्या बढ़ जाती है.
चिकित्सक से सलाह जरूरी: Dr Manisha Kale बताती हैं कि बच्चों या बुजुर्गों में यह समस्या ज्यादा देखी जाती है. लेकिन आजकल युवाओं में भी खानपान में गड़बड़ी या अन्य कारणों से यह समस्या काफी देखने में आने लगी है. ज्यादातर मामलों में ऐसा होने पर आमतौर पर लोग घर पर ही घरेलू नुस्खों से या अपने आप दवा लेकर इस समस्या से निजात का प्रयास करते हैं. लेकिन आयुर्वेद हो या एलोपैथी, मल त्याग ना कर पाने इस इस क्रिया में समस्या होने पर चिकित्सक से परामर्श लिए बिना दवा लेने से बचना चाहिए.
दरअसल मल आने के लिए जो दवाएं दी जाती हैं यदि उनका सेवन सही मात्रा में ना किया जाय तो वह दस्त या कुछ अन्य समस्याओं का कारण भी बन सकती हैं. इसके अलावा कभी कभी ऐसा किसी स्वास्थ्य कारण से भी हो सकता है. इसलिए समस्या होने पर चिकित्सक से परामर्श लेकर ही दवाओं का सेवन करना चाहिए.
डिस्कलेमर :- यहां दी गई जानकारी और सुझाव सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप एक्सपर्ट्स की सलाह लें.