HEALTH TIPS FOR STRONG BONES: बरसात का मौसम हो, ठंड हो या गर्मी लोगों में हड्डियों की तरह-तरह की बीमारियां देखने को मिलती हैं. लोग अपनी हड्डियों की इन बीमारियों से काफी परेशान भी रहते हैं और जगह-जगह डॉक्टर के चक्कर काटते रहते हैं. आखिर हम किन बातों का ख्याल रखें, जिससे हमारी हड्डियां कमजोर ही ना हों, वो पूरी तरह से स्वस्थ बनी रहेय किस तरह की डाइट रखें, किस तरह के एक्सरसाइज करें, जानते हैं आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव से.
हड्डियों का ऐसे रखें ख्याल
आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं कि हड्डियों के बारे में आयुर्वेद में हमें काफी विस्तृत वर्णन मिलता है. आयुर्वेद के सभी आचार्यों ने हड्डियों के लिए और अस्थि और संधियों के लिए काफी विस्तृत रूप में जानकारी अपने शास्त्रों में दी है. सबसे पहले हमें ये समझना होगा की हड्डियां जो है, वो पित्रज भाव है, ये सब्न होती हैं, कंसंट्रेटेड होती हैं और इसके देखभाल के लिए हमें सबसे पहले इनका नियमित उपयोग करना पड़ेगा. नियमित उपयोग से मेरा तात्पर्य है, आपको एक्सरसाइज रूटीन एक्टिविटीज कम से कम इतनी रखनी पड़ेगी. जिससे उन हड्डियों का भरण पोषण होता रहे.
खान पान के साथ नियमित व्यायाम
आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं कि 'हड्डियों को स्वस्थ्य व मजबूत रखने के लिए हमें खान-पान में कुछ ऐसी चीजों का विशेष प्रयोग करना पड़ेगा, जो की हड्डियों के लिए रसायन के समान काम करें. आयुर्वेद में तिक्त रस मतलब कड़वी चीजों को हड्डियों के लिए रसायन बोला गया है. जैसे आपका मेथी कड़वा होता है, नीम, करेला कड़वा होता है, तो अगर रस की बात करें, जो भी चीज कड़वी हैं, स्वाद में वो अस्थियों के लिए रसायन का काम करती हैं और ये अस्थियों को भंगुर होने से बचाती हैं.
आज के समय में कैल्शियम फास्फोरस में विशेष ध्यान दिया जाता है. विटामिन डी पर विशेष ध्यान दिया जाता है, लेकिन इन सबको लेने के बाद भी अगर अस्थियों में विकार उत्पन्न हो रहे हैं, तो कहीं ना कहीं हमारी जीवन शैली, खान-पान, आहार-विहार में समस्याएं हैं, तो सबसे पहले नियमित व्यायाम करें. नियमित व्यायाम करने का मतलब ये है कि बहुत ज्यादा भी नहीं बहुत कम भी नहीं नियमित व्यायाम करने से हड्डियों में सर्कुलेशन बहुत अच्छा रहता है. दूसरा यह है की हड्डियों के साथ-साथ हमें संधियों का भी ध्यान देना जरूरी है, संधियां मतलब जॉइंट्स.
जब भी एक से दूसरी हड्डी जुड़ती है, तो उसे संधि बोलते हैं. आज के समय में घुटने, कमर, गर्दन की समस्या जैसे की ऑस्ट्रियो अर्थराइटिस, स्पॉन्डिलाइटिस, लंबर डी जनरेशन हो गया, ये सारी चीजे बढ़ती जा रही है, तो सबसे पहले हमें ये समझना होगा की हड्डियों का नियमित उपयोग करना जरूरी है. जो लोग सिटिंग जॉब में है. उन्हें एक कंफर्टेबल चेयर में बैठना जरूरी है.
तिल का इस्तेमाल हड्डियों के लिए रामबाण
एक छोटी सी चीज जो अपने घर में उपलब्ध है वो है तिल. अगर दो चम्मच तिल का नियमित रूप से सुबह और शाम सेवन किया जाए, तो काफी हद तक हड्डियों की विकृतियों को टाला जा सकता है. तिल का उपयोग 12 महीने कर सकते हैं, फिर वो सफेद तिल हो या काली तिल हो एक फिक्स अमाउंट में तिल का सेवन किया जा सकता है.
हड्डियों में रहे दर्द, तो मेथी दाने का इस्तेमाल
जिन लोगों को हड्डियों में बहुत ज्यादा दर्द रहता है, वो लोग मेथी दाने को रात में फूल करके सुबह खाली पेट ले सकते हैं, लेकिन मेथी दाने के साथ में एक समस्या है कि उसे बहुत ज्यादा दिनों तक उपयोग नहीं किया जा सकता है.
दालों का रोटेशन जरूरी
तीसरी चीज दालों में रोटेशन होना बहुत जरूरी है, क्योंकि हड्डियों में जो प्रोटीन होता है, वो प्रोटीन के अमीनो एसिड हमें रोटेशन से ही मिलते हैं. हड्डियों में ओसिन प्रोटीन होता है, तो वो चीजें दालों से कवरअप हो सकती हैं. अगर हम मूंग दाल, मसूर दाल, अरहर दाल, उड़द दाल, कुलथी दाल ये सारी चीज रोटेशन में अगर खाएं तो फायदा मिलता है.
तेल की मालिश से मिलेगा फायदा
बारिश के मौसम में खासतौर पर वृद्ध लोगों में अस्थियों से संबंधित विकार बहुत तेजी से बढ़ते हैं. जैसे सुबह उठने में हड्डियों में जकड़ाहट, हड्डियों का दर्द, हड्डियों का चटकना, हड्डियों में कट कट की आवाज होना, ऐसे समय में विशेष ध्यान ये रखना चाहिए कि तेल के मालिश से हड्डियों से संबंधित विकार में काफी फायदा मिलता है. मालिश के लिए तेल का चयन आप आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श से आप कर सकते हैं. अगर ऐसा ना मुमकिन हो तो आप केवल तिल के तेल को गुनगुना करके भी हड्डियों में मालिश कर सकते हैं, तो काफी फायदा मिलता है.
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तिल का तेल लगाना भी है, उसके साथ में कुछ ऐसी चीजें जैसे कि जो कि आपकी हड्डियों को पोषण देती है. उदाहरण के लिए आपका मेथी, दशमूल के जो कल्प बनते हैं उनका उपयोग किया जा सकता है, जो गुड़ के लड्डू बनते हैं, जिसमें ड्राई फ्रूट्स आदि होते हैं, वो भी काफी हद तक फायदा करता है. कुल मिलाकर हड्डियों का ध्यान रखना एक सतत प्रक्रिया है. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर किसी को अपनी हड्डियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
बहुत सारे टेस्ट आजकल अवेलेबल है, जिसके माध्यम से हड्डियों के स्वास्थ्य की जानकारी ले सकते हैं. अपने चिकित्सक के मार्गदर्शन में आप वो जरूरी टेस्ट करा सकते हैं. अगर हड्डियों में कोई विकृति है तो उसका तुरंत ट्रीटमेंट कराएं, क्योंकि हड्डियां ही हैं, जो हमें चलाती रहती हैं और यही हड्डियां आपको सहारा देंगी. तो इनका ख्याल रखें.