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सैचुरेटेड फैट वाले भोजन है सेहत के दुश्मन, भारतीय घरों में बैड फैट का हो रहा सबसे ज्यादा इस्तेमाल, जानिए कैसे बचें - Side Effects of Saturated Fats

Side Effects of Saturated Fats: सैचुरेटेड फैट को ट्रांस फैट भी कहा जाता है. ये फैट आमतौर पर भोजन सामाग्री में पाया जाता है और ये अन्य प्रकार के फैट्स के साथ मिश्रित रूप में पाया जाता है. सैचुरेटेड फैट शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते है, जिनके कारण हार्ट हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है. इस खबर के माध्यम से जानिए सैचुरेटेड फैट का सोर्स क्या है, और इसके सेवन से कैसे बचें...

Side Effects of Saturated Fats
सैचुरेटेड फैट वाले भोजन हैं सेहत के दुश्मन (CANVA)
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By ETV Bharat Health Team

Published : Aug 22, 2024, 3:25 PM IST

Updated : Aug 22, 2024, 4:28 PM IST

हैदराबाद: आज के समय मोटापा सबसे बड़ी हेल्थ समस्या है. न सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर के लोग इससे परेशान हैं. ऐसे में ज्यादातर लोग वजन कम करने की जद्दोजहद में जुटे रहते हैं. मोटापा कम करने के लिए कुछ लोग वर्कआउट करते हैं तो कुछ लोग जिम में जाकर पसीना बहाते हैं. हालांकि, इन सबसे हटकर लोगों को मोटापा कम करने के लिए अपने आहार पर ध्यान देना चाहिए. मोटापा और कोलेस्ट्रॉल की समस्या से जूझ रहे लोगों को अपने डाइट से सैचुरेटेड फैट को हटाना होगा.

दरअसल, ट्रांस फैट और सैचुरेटेड फैट को स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जाता है क्योंकि इसके ज्यादा मात्रा में सेवन से न सिर्फ शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, बल्कि गुड कोलेस्ट्रॉल भी कम होता है, जिससे ओबेसिटी यानी मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज (Type-2 Diabetes) तथा ह्रदय रोग सहित बहुत सी समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है. ट्रांस फैट और सैचुरेटेड फैट के जोखिमों की अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) भी पुष्टि करता है.

ज्यादातर लोग वसा युक्त भोजन समाग्री के सेवन के बारे में अनजान होते हैं, और ऐसे में वे हेल्दी फैट की बजाय अनहेल्दी फैट्स का उपभोग करते हैं. हालांकि वसा शरीर के लिए काफी जरुरी भी होता है, लेकिन इसके लिए आपको यह जानना जरूरी है कि कौन सा फैट अच्छा होता है और कौन सा बुरा. डॉक्टरों के मुताबिक, हम हर रोज अपने खाने में कई प्रकार के गुड और बैड फैट का इस्तेमाल करते हैं. इसमें एक जो अच्छा फैट होता है उसे अनसैचुरेटेड फैट कहते है. वहीं, दुसरा खराब फैट जिसे सैचुरेटेड फैट कहते है. हेल्दी फैट्स शरीर के लिए बेहद जरूरी और फायदेमंद होते हैं. ऐसे में गुड फैट को डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए...

गुड फैट यानी अनसैचुरेटेड फैट है और कौन सा बैड फैट सैचुरेटेड फैट. सैचुरेटेड फैट का इस्तेमाल आजकल भारतीय व्यंजनों में अधिक हो रहा है, ये हमें कुकिंग ऑयल, बटर, घी, वसायुक्त मांस और तमाम तरह के प्रोसेसेस्ड फूड के जरिए मिलता है. जो हमारी जीवनशैली और सेहत पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं. आइए जानते हैं कि हमें इस तरह के फैट के सोर्स क्या-क्या है.

हाई सैचुरेटेड फैट
आईसीएमआर (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (NIN) के अनुसार, घी या मक्खन के अलावा, जो हाई सैचुरेटेड फैट (उच्च संतृप्त वसा यानि SF) हैं, नारियल तेल, ताड़ के तेल और वनस्पति में भी होते हैं. सैचुरेटेड फैट के छिपे हुए स्रोतों में वे खाद्य पदार्थ शामिल हैं, जिनमें SF का उच्च स्तर होता है. जैसे कि लाल मांस (बीफ, मटन, पोर्क, आदि) और हाई फैट वाले डेयरी उत्पाद (फुल क्रीम दूध, पनीर, आदि). जब प्रतिदिन 10 ग्राम से अधिक विजिबल सैचुरेटेड फैट (2000 किलो कैलोरी आहार के लिए) घी, मक्खन के रूप में या स्नैक्स या मिठाई की तैयारी में ताड़ के तेल, नारियल तेल के अत्यधिक उपयोग के कारण सेवन किया जाता है, तो SF का उपयोग उच्च माना जाता है.

सैचुरेटेड फैट के समान्य सोर्स

  • घी और मक्खन खाना: पकाने और व्यंजनों के लिए टॉपिंग के रूप में उपयोग किया जाता है.
  • फ्राइड स्नैक्स: समोसे, पकौड़े और पूरियां आमतौर पर डीप-फ्राई की जाती हैं.
  • फैटी मीट: सीक कबाब, त्वचा के साथ तंदूरी चिकन और कुछ करी.
  • रिच डेयरी प्रोडक्ट्स: फुल-फैट पनीर, क्रीम और गुलाब जामुन और जलेबी जैसी मिठाइयां.

अपने घर के खानों मे कुछ इस प्रकार सैचुरेटेड फैट के सोर्स को कम कर सकते है...

  1. खाना पकाने के तरीके चुनें: डीप-फ्राई या पैन-फ्राई के बजाय ग्रिल, बेक या स्टीम करें. उदाहरण के लिए, समोसे या पकौड़े तलने के बजाय बेक करें.
  2. कम तेल का उपयोग करें: एक चम्मच से तेल मापें या स्प्रे का उपयोग करके अपने द्वारा उपयोग की जाने वाली मात्रा को नियंत्रित करें. सूरजमुखी या जैतून के तेल जैसे स्वस्थ तेल चुनें.
  3. मांस से फैट कम करें: खाना पकाने से पहले मांस में दिखाई देने वाला फैट और त्वचा को हटा दें. चिकन ब्रेस्ट जैसे मांस के कम वसा वाले टुकड़ों का उपयोग करें.
  4. हेल्दी डेयरी प्रोडक्ट्स : कम फैट वाले दूध और दही का उपयोग करें, और करी में क्रीम का उपयोग सीमित करने का प्रयास करें. संभव हो तो कम फैट वाले पनीर का विकल्प चुनें.
  5. नुस्खा बदलें: बिरयानी या पुलाव जैसे व्यंजनों के लिए, कम तेल का उपयोग करें और फाइबर बढ़ाने और वसा की मात्रा कम करने के लिए अधिक सब्जियां डालें.
  6. भारतीय व्यंजनों में करी: करी में कम वसा वाले डेयरी उत्पादों का उपयोग करें और मलाईदार सॉस के बजाय टमाटर आधारित सॉस का विकल्प चुनें. यदि आवश्यक हो तो नारियल के दूध का कम उपयोग करने का प्रयास करें.
  7. मिठाई: खीर या लड्डू जैसी पारंपरिक मिठाइयों का सेवन सीमित मात्रा में करें. उन्हें कम घी में बनाने पर विचार करें.
  8. स्नैक्स: तले हुए स्नैक्स की जगह भुने हुए चने और मीठे डिश की जगह बेक्ड होल-ग्रेन बिस्किट जैसे स्नैक्स का इस्तेमाल करें.
  9. रेस्टोरेंट में खाने के दौरान: बाहर खाना खाते समय, तंदूरी व्यंजन चुनें, जो आम तौर पर मलाईदार करी की तुलना में कम वसा वाले होते हैं. बटर नान और पुलाव चावल की जगह सादे चावल और गेहूं की रोटी चुनें.

अपने भोजन में क्या खा रहे और क्या नहीं इसकी निगरानी कैसे करें
पोषण लेबल का ध्यान रखें और सैचुरेटेड फैट वाले प्रोडक्ट्स के चुनाव से बचें. संतुलित आहार का लक्ष्य रखें, जिसमें विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ शामिल हों, जिसमें भरपूर मात्रा में सब्जियां और फल शामिल हों. इन आसान परिवर्तनों को अपनाकर, आप स्वस्थ आहार बनाए रखते हुए भारतीय व्यंजनों के समृद्ध स्वादों का आनंद ले सकते हैं. सैचुरेटेड फैट को कम करने से न केवल हृदय स्वास्थ्य को लाभ मिलता है, बल्कि समग्र स्वास्थ्य में भी योगदान मिलता है.

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हैदराबाद: आज के समय मोटापा सबसे बड़ी हेल्थ समस्या है. न सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर के लोग इससे परेशान हैं. ऐसे में ज्यादातर लोग वजन कम करने की जद्दोजहद में जुटे रहते हैं. मोटापा कम करने के लिए कुछ लोग वर्कआउट करते हैं तो कुछ लोग जिम में जाकर पसीना बहाते हैं. हालांकि, इन सबसे हटकर लोगों को मोटापा कम करने के लिए अपने आहार पर ध्यान देना चाहिए. मोटापा और कोलेस्ट्रॉल की समस्या से जूझ रहे लोगों को अपने डाइट से सैचुरेटेड फैट को हटाना होगा.

दरअसल, ट्रांस फैट और सैचुरेटेड फैट को स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जाता है क्योंकि इसके ज्यादा मात्रा में सेवन से न सिर्फ शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, बल्कि गुड कोलेस्ट्रॉल भी कम होता है, जिससे ओबेसिटी यानी मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज (Type-2 Diabetes) तथा ह्रदय रोग सहित बहुत सी समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है. ट्रांस फैट और सैचुरेटेड फैट के जोखिमों की अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) भी पुष्टि करता है.

ज्यादातर लोग वसा युक्त भोजन समाग्री के सेवन के बारे में अनजान होते हैं, और ऐसे में वे हेल्दी फैट की बजाय अनहेल्दी फैट्स का उपभोग करते हैं. हालांकि वसा शरीर के लिए काफी जरुरी भी होता है, लेकिन इसके लिए आपको यह जानना जरूरी है कि कौन सा फैट अच्छा होता है और कौन सा बुरा. डॉक्टरों के मुताबिक, हम हर रोज अपने खाने में कई प्रकार के गुड और बैड फैट का इस्तेमाल करते हैं. इसमें एक जो अच्छा फैट होता है उसे अनसैचुरेटेड फैट कहते है. वहीं, दुसरा खराब फैट जिसे सैचुरेटेड फैट कहते है. हेल्दी फैट्स शरीर के लिए बेहद जरूरी और फायदेमंद होते हैं. ऐसे में गुड फैट को डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए...

गुड फैट यानी अनसैचुरेटेड फैट है और कौन सा बैड फैट सैचुरेटेड फैट. सैचुरेटेड फैट का इस्तेमाल आजकल भारतीय व्यंजनों में अधिक हो रहा है, ये हमें कुकिंग ऑयल, बटर, घी, वसायुक्त मांस और तमाम तरह के प्रोसेसेस्ड फूड के जरिए मिलता है. जो हमारी जीवनशैली और सेहत पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं. आइए जानते हैं कि हमें इस तरह के फैट के सोर्स क्या-क्या है.

हाई सैचुरेटेड फैट
आईसीएमआर (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (NIN) के अनुसार, घी या मक्खन के अलावा, जो हाई सैचुरेटेड फैट (उच्च संतृप्त वसा यानि SF) हैं, नारियल तेल, ताड़ के तेल और वनस्पति में भी होते हैं. सैचुरेटेड फैट के छिपे हुए स्रोतों में वे खाद्य पदार्थ शामिल हैं, जिनमें SF का उच्च स्तर होता है. जैसे कि लाल मांस (बीफ, मटन, पोर्क, आदि) और हाई फैट वाले डेयरी उत्पाद (फुल क्रीम दूध, पनीर, आदि). जब प्रतिदिन 10 ग्राम से अधिक विजिबल सैचुरेटेड फैट (2000 किलो कैलोरी आहार के लिए) घी, मक्खन के रूप में या स्नैक्स या मिठाई की तैयारी में ताड़ के तेल, नारियल तेल के अत्यधिक उपयोग के कारण सेवन किया जाता है, तो SF का उपयोग उच्च माना जाता है.

सैचुरेटेड फैट के समान्य सोर्स

  • घी और मक्खन खाना: पकाने और व्यंजनों के लिए टॉपिंग के रूप में उपयोग किया जाता है.
  • फ्राइड स्नैक्स: समोसे, पकौड़े और पूरियां आमतौर पर डीप-फ्राई की जाती हैं.
  • फैटी मीट: सीक कबाब, त्वचा के साथ तंदूरी चिकन और कुछ करी.
  • रिच डेयरी प्रोडक्ट्स: फुल-फैट पनीर, क्रीम और गुलाब जामुन और जलेबी जैसी मिठाइयां.

अपने घर के खानों मे कुछ इस प्रकार सैचुरेटेड फैट के सोर्स को कम कर सकते है...

  1. खाना पकाने के तरीके चुनें: डीप-फ्राई या पैन-फ्राई के बजाय ग्रिल, बेक या स्टीम करें. उदाहरण के लिए, समोसे या पकौड़े तलने के बजाय बेक करें.
  2. कम तेल का उपयोग करें: एक चम्मच से तेल मापें या स्प्रे का उपयोग करके अपने द्वारा उपयोग की जाने वाली मात्रा को नियंत्रित करें. सूरजमुखी या जैतून के तेल जैसे स्वस्थ तेल चुनें.
  3. मांस से फैट कम करें: खाना पकाने से पहले मांस में दिखाई देने वाला फैट और त्वचा को हटा दें. चिकन ब्रेस्ट जैसे मांस के कम वसा वाले टुकड़ों का उपयोग करें.
  4. हेल्दी डेयरी प्रोडक्ट्स : कम फैट वाले दूध और दही का उपयोग करें, और करी में क्रीम का उपयोग सीमित करने का प्रयास करें. संभव हो तो कम फैट वाले पनीर का विकल्प चुनें.
  5. नुस्खा बदलें: बिरयानी या पुलाव जैसे व्यंजनों के लिए, कम तेल का उपयोग करें और फाइबर बढ़ाने और वसा की मात्रा कम करने के लिए अधिक सब्जियां डालें.
  6. भारतीय व्यंजनों में करी: करी में कम वसा वाले डेयरी उत्पादों का उपयोग करें और मलाईदार सॉस के बजाय टमाटर आधारित सॉस का विकल्प चुनें. यदि आवश्यक हो तो नारियल के दूध का कम उपयोग करने का प्रयास करें.
  7. मिठाई: खीर या लड्डू जैसी पारंपरिक मिठाइयों का सेवन सीमित मात्रा में करें. उन्हें कम घी में बनाने पर विचार करें.
  8. स्नैक्स: तले हुए स्नैक्स की जगह भुने हुए चने और मीठे डिश की जगह बेक्ड होल-ग्रेन बिस्किट जैसे स्नैक्स का इस्तेमाल करें.
  9. रेस्टोरेंट में खाने के दौरान: बाहर खाना खाते समय, तंदूरी व्यंजन चुनें, जो आम तौर पर मलाईदार करी की तुलना में कम वसा वाले होते हैं. बटर नान और पुलाव चावल की जगह सादे चावल और गेहूं की रोटी चुनें.

अपने भोजन में क्या खा रहे और क्या नहीं इसकी निगरानी कैसे करें
पोषण लेबल का ध्यान रखें और सैचुरेटेड फैट वाले प्रोडक्ट्स के चुनाव से बचें. संतुलित आहार का लक्ष्य रखें, जिसमें विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ शामिल हों, जिसमें भरपूर मात्रा में सब्जियां और फल शामिल हों. इन आसान परिवर्तनों को अपनाकर, आप स्वस्थ आहार बनाए रखते हुए भारतीय व्यंजनों के समृद्ध स्वादों का आनंद ले सकते हैं. सैचुरेटेड फैट को कम करने से न केवल हृदय स्वास्थ्य को लाभ मिलता है, बल्कि समग्र स्वास्थ्य में भी योगदान मिलता है.

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Last Updated : Aug 22, 2024, 4:28 PM IST
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