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'कोयल बड़ी पापिन चैती', अपने नए गाने में कोयल को कोसती नजर आईं लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव - Koyal Badi Papin Chaiti

New Bhojpuri Chaita Song 2024: हिंदू मान्यताओं के मुताबिक होली के साथ चैत माह की शुरुआत हो जाती है. चैत महीने का कई मायनों में खास महत्व है. वहीं इस महीने में चैता का एक अपना अलग ही रंग है. लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव का चैता गाना 'कोयल बड़ी पापिन चैती' रिलीज हो गया है. यहां देखें वीडियो.

कोयल बड़ी पापिन चैती
कोयल बड़ी पापिन चैती
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 2, 2024, 2:28 PM IST

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पटना: बिहार में गाए जाने वाले गीत चैता की शुरुआत हो चुकी है. इस गीतों में मुख्य रूप से इस महीने का वर्णन गायक के द्वारा किया जाता है. इसी बीच लोकगीत गायिका मनीषा श्रीवास्तव ने चैत महीना में कोयल के आवाज को लेकर गीत रिलीज किया है. मनीषा श्रीवास्तव का बहुत सुंदर चैता गीत 'कोयल बड़ी पापिन चैती' रिलीज हुआ है और लोगों को काफी पसंद भी आ रहा है.

क्या कहती कोयल?: मनीषा श्रीवास्तव कहती हैं कि काली कोयल की कूक तो सारी दुनिया सुनती है, पर साहित्य का सुनना कुछ अलग होता है. विरह वेदना में व्याकुल काली कोयल की कूक बस यह कहती है कि काका हो (पिया) कहां? बसंत के आगम‌न के साथ कोयल अपने जवानी की रवानी पर होती है. कभी बांस के फू‌नगी पर तो कभी आम के कोमल पत्तों के बीच कभी बागों में तो कभी पलास के पेड़ पर बस एक ही रट लगाए रहती है.

मनीषा श्रीवास्तव का चैता गीत रिलीज
मनीषा श्रीवास्तव का चैता गीत रिलीज

कोयल की आवाज में छुपा होता है दर्द: साहित्य व संगीत कोयल की आवाज को अपनी नजर से देखता है. कोयल की आवाज जितनी मधूर सुनने में लगती है उतनी ही पीड़ा या टीस उसको महसूस करने में मालूम होती है. कोयल पास के पेड़ पर बैठ के कू-कू बोले जा रही है. यह बोली उस विरहन को बंदूक की गोली की तरह लगती है जो उससे पूछ रही होती है कि पिया कहां है?

क्यों है 'कोयल बड़ी पापिन': लोकगीत गायिका मनीषा श्रीवास्तव का कहना है कि चैत का महीना किसानों के लिए अपना घर भरने का महीना होता है. सालों भर के भोजन हित गेहूँ, सरसों तीसी, मटर, चना आदि फसलों को काटने-पीटने का महीना होता है. यह महीना आलस का भी महीना होता है, तनिक आराम मिला कि‌ नींद आंखों पर हावि हो जाता है. इधर घर में सो रहे पति को देख आम के पेड़ पर बैठी कोयल को यह शायद अच्छा नहीं लग रहा, इसलिए वो कू-कू कर जगा दे रही है. तब उस पत्नि को कोयल पर बहुत गुस्सा आता है और वो बोलती है "सुतल संइया के जगावे हो रामा, कोयल बड़ी पापिन."

लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव
लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव

कोयल से नाराज हुई मनीषा: अब पापिन कोयल है या वो अपना फर्ज निभा रही है, यह चिंतन‌ का विषय है. मेरी चिंतन यह है कि चैत के महीना में किसान अगर निर्भेद सोएगा तो खेत में कब जाएगा. इस बात का एहसास उस कोयल को है और वो कू कू कर के जगा रही है. वो किसान को खेत में जाने की बात कह रही है. नव विवाहिता स्त्री भला इस महीने में कब चाहेगी कि उसका पति उससे अलग हो. उसे तो कोयल की बोली सौतन की बोली की तरह लग रही है. तब तो वो कहती है कि "होखे द बिहान कोइलर खोंतवा उजरबो, आमवा के गछिया कटाईब हो रामा, कोयल बड़ी पापिन." बावजूद इसके कोयल की कूक बहुतों के दिल का सुकून देती है.

पढ़ें-मनीषा श्रीवास्तव का राम भजन रिलीज, स्मृति ईरानी ने 'बड़ा निक लागे राघव जी के गउवां' को किया लॉन्च

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पटना: बिहार में गाए जाने वाले गीत चैता की शुरुआत हो चुकी है. इस गीतों में मुख्य रूप से इस महीने का वर्णन गायक के द्वारा किया जाता है. इसी बीच लोकगीत गायिका मनीषा श्रीवास्तव ने चैत महीना में कोयल के आवाज को लेकर गीत रिलीज किया है. मनीषा श्रीवास्तव का बहुत सुंदर चैता गीत 'कोयल बड़ी पापिन चैती' रिलीज हुआ है और लोगों को काफी पसंद भी आ रहा है.

क्या कहती कोयल?: मनीषा श्रीवास्तव कहती हैं कि काली कोयल की कूक तो सारी दुनिया सुनती है, पर साहित्य का सुनना कुछ अलग होता है. विरह वेदना में व्याकुल काली कोयल की कूक बस यह कहती है कि काका हो (पिया) कहां? बसंत के आगम‌न के साथ कोयल अपने जवानी की रवानी पर होती है. कभी बांस के फू‌नगी पर तो कभी आम के कोमल पत्तों के बीच कभी बागों में तो कभी पलास के पेड़ पर बस एक ही रट लगाए रहती है.

मनीषा श्रीवास्तव का चैता गीत रिलीज
मनीषा श्रीवास्तव का चैता गीत रिलीज

कोयल की आवाज में छुपा होता है दर्द: साहित्य व संगीत कोयल की आवाज को अपनी नजर से देखता है. कोयल की आवाज जितनी मधूर सुनने में लगती है उतनी ही पीड़ा या टीस उसको महसूस करने में मालूम होती है. कोयल पास के पेड़ पर बैठ के कू-कू बोले जा रही है. यह बोली उस विरहन को बंदूक की गोली की तरह लगती है जो उससे पूछ रही होती है कि पिया कहां है?

क्यों है 'कोयल बड़ी पापिन': लोकगीत गायिका मनीषा श्रीवास्तव का कहना है कि चैत का महीना किसानों के लिए अपना घर भरने का महीना होता है. सालों भर के भोजन हित गेहूँ, सरसों तीसी, मटर, चना आदि फसलों को काटने-पीटने का महीना होता है. यह महीना आलस का भी महीना होता है, तनिक आराम मिला कि‌ नींद आंखों पर हावि हो जाता है. इधर घर में सो रहे पति को देख आम के पेड़ पर बैठी कोयल को यह शायद अच्छा नहीं लग रहा, इसलिए वो कू-कू कर जगा दे रही है. तब उस पत्नि को कोयल पर बहुत गुस्सा आता है और वो बोलती है "सुतल संइया के जगावे हो रामा, कोयल बड़ी पापिन."

लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव
लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव

कोयल से नाराज हुई मनीषा: अब पापिन कोयल है या वो अपना फर्ज निभा रही है, यह चिंतन‌ का विषय है. मेरी चिंतन यह है कि चैत के महीना में किसान अगर निर्भेद सोएगा तो खेत में कब जाएगा. इस बात का एहसास उस कोयल को है और वो कू कू कर के जगा रही है. वो किसान को खेत में जाने की बात कह रही है. नव विवाहिता स्त्री भला इस महीने में कब चाहेगी कि उसका पति उससे अलग हो. उसे तो कोयल की बोली सौतन की बोली की तरह लग रही है. तब तो वो कहती है कि "होखे द बिहान कोइलर खोंतवा उजरबो, आमवा के गछिया कटाईब हो रामा, कोयल बड़ी पापिन." बावजूद इसके कोयल की कूक बहुतों के दिल का सुकून देती है.

पढ़ें-मनीषा श्रीवास्तव का राम भजन रिलीज, स्मृति ईरानी ने 'बड़ा निक लागे राघव जी के गउवां' को किया लॉन्च

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