नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अपने-अपने संस्थानों में नई द्विवार्षिक प्रवेश प्रणाली को लागू करने के तरीकों पर विचार कर रहे हैं, जिसमें छात्र साल में दो बार प्रवेश के लिए आवेदन कर सकेंगे. विभिन्न विश्वविद्यालयों ने कहा कि चूंकि मौजूदा शैक्षणिक सत्र बहुत जल्द शुरू होने वाला है, इसलिए कुछ ही संस्थान इसे अभी लागू करने के लिए तैयार हैं.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष ममीडाला जगदीश कुमार ने मंगलवार को कहा कि अब विश्वविद्यालय साल में दो बार छात्रों को प्रवेश दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि संस्थान हर साल जनवरी/फरवरी और जुलाई/अगस्त में दो बैचों में प्रवेश दे सकते हैं. यूजीसी के अध्यक्ष कुमार ने सोशल मीडिया पर कहा कि इससे उन छात्रों को फायदा होगा, जो बोर्ड के नतीजों की घोषणा में देरी, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं या व्यक्तिगत कारणों से जुलाई/अगस्त सत्र में प्रवेश से चूक गए थे, वे जनवरी/फरवरी में प्रवेश ले सकते हैं.
यूजीसी की द्विवार्षिक प्रवेश प्रणाली के बारे में बात करते हुए जामिया मिलिया इस्लामिया के कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद शकील ने कहा कि मामला आगामी कार्यकारी परिषद (ईसी) की बैठक में रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि इस मामले में ईसी के सम्मानित सदस्यों की ओर से इसपर निर्देश प्राप्त किए जाएंगे.
उन्होंने कहा कि संभावना है कि यूजीसी ने जो विकल्प पेश किया है, उसे पीएचडी कार्यक्रम के लिए भी देखा जा सकता है, लेकिन किसी भी चीज को पहले अकादमिक परिषद और फिर ईसी की ओर से अनुमोदित किया जायेगा. कुलपति अपने दम पर यूजीसी की ओर से कही गई बातों को लागू नहीं कर सकते, उन्हें विश्वविद्यालय के वैधानिक निकायों की मंजूरी लेनी होगी.
आईपी यूनिवर्सिटी के कुलपति महेश वर्मा ने द्विवार्षिक प्रवेश पर इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए ईटीवी भारत से कहा कि यह एक अच्छा कदम है, जिससे छात्रों को फायदा होगा. हमें पहले इस पर अकादमिक परिषद से मंजूरी लेनी होगी. हम इसके लिए अगले सप्ताह अकादमिक परिषद की बैठक करेंगे.
दिल्ली विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी अनूप लाठर ने ईटीवी भारत को बताया कि विश्वविद्यालय अगले सत्र से इसे लागू करने के तरीकों पर काम कर रहा है, क्योंकि इस सत्र के लिए इसे लागू करने के लिए बहुत कम समय है. विश्वविद्यालय इसे मंजूरी के लिए कार्यकारी परिषद की बैठक में रखेगा.
सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय विश्वविद्यालय (हरियाणा) के प्रो. नंद किशोर ने ईटीवी भारत को बताया कि विश्वविद्यालय इस बात पर काम कर रहा है कि साल में दो बार सुचारू रूप से प्रवेश प्रणाली चलाने के लिए प्रक्रिया को कैसे लागू किया जाए. विश्वविद्यालय को इसे लागू करने से पहले प्रक्रिया की बारीकियों, मौजूदा बुनियादी ढांचे, कर्मचारियों और छात्र-शिक्षक अनुपात की जांच करनी होगी.
इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए, केंद्रीय विश्वविद्यालय दक्षिण बिहार के जनसंपर्क अधिकारी मुदस्सिर आलम ने ईटीवी भारत को बताया कि विश्वविद्यालय प्रक्रिया को लागू करने से पहले इस पर काम कर रहा है, क्योंकि हमें साल में दो बार प्रवेश शुरू करने के लिए लॉजिस्टिक स्टाफ और बुनियादी ढांचे को सुनिश्चित करना है.
यूजीसी के अनुसार, द्विवार्षिक प्रवेश प्रणाली छात्रों के लिए लाभदायक होगी, क्योंकि अब छात्र वर्ष में दो बार आवेदन कर सकेंगे, जिससे जुलाई/अगस्त सत्र में छूट जाने की स्थिति में उन्हें लंबे इंतजार से बचना होगा, साथ ही छात्रों को अपने इच्छित कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए अधिक अवसर मिलेंगे तथा सहयोग बढ़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों की कार्यप्रणाली के साथ तालमेल बिठाया जा सकेगा.