ETV Bharat / education-and-career

चलो संस्कृत बोले हम... कुछ इसी अंदाज से चल रहा है संस्कृत बोलने का अनोखा प्रशिक्षण, 200 विद्यार्थी ले रहे ट्रेनिंग - Sanskrit Spoken Training In Hazaribag

author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 7, 2024, 8:29 PM IST

Sanskrit language training in Hazaribag. हजारीबाग में संस्कृत प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया है. जहां लगभग 200 विद्यार्थियों को संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

Sanskrit Spoken Training In Hazaribag
हजारीबाग में संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण लेते विद्यार्थी. (फोटो-ईटीवी भारत)

हजारीबाग: देश में संस्कृत भाषा बोलचाल में विलुप्त होने की कगार में पहुंच गई है. इसलिए संस्कृत भाषा को बचाने के लिए हजारीबाग में इन दिनों कोशिशें की जा रही हैं. झारखंड और बिहार के लगभग 200 से अधिक विद्यार्थी हजारीबाग में संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण पा रहे हैं. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद विद्यार्थी संस्कृत भाषा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अपने स्कूलों और मोहल्लों में भी काम करेंगे.

हजारीबाग में संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण लेते विद्यार्थी और जानकारी देते शिक्षक और संस्था के संपर्क प्रमुख. (वीडियो-ईटीवी भारत)

संस्कृत भाषा को बचाने का उठाया बीड़ा

संस्कृत भाषा को बचाने का बीड़ा संस्कृत भारती संस्था ने उठाया है. संस्था देशभर में संस्कृत को बोलचाल की भाषा बनाने के लिए मुहिम चला रही है. बताते चलें कि संस्कृत कई भाषा की जननी है, पर इन दिनों बोलचाल में संस्कृत विलुप्त हो रही और धर्म ग्रंथ और साहित्य तक सिमट कर रह गई है. लगभग हर जिले में अंग्रेजी बोलना सीखाने के लिए कोचिंग सेंटर खुले हैं, लेकिन संस्कृत बोलने के लिए किसी भी तरह का प्रशिक्षण केंद्र नहीं दिखता है. संस्कृत भारत की अपनी भाषा है. इसे फिर से जीवित करने और बोलचाल में लाने के लिए संस्कृत भारती काम कर रही है.

हजारीबाग में 200 विद्यार्थी ले रहे संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण

हजारीबाग में झारखंड-बिहार से आए 200 विद्यार्थी संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण ले रहे हैं. हजारीबाग सरस्वती विद्या मंदिर कुम्हारटोली परिसर में संस्कृत का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.झारखंड और बिहार से पहुंचे 175 स्कूलों और कॉलेजों के विद्यार्थी संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं.

सात दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन

सात दिवसीय प्रशिक्षण में शामिल प्रशिक्षु एक-दूसरे से दैनिक दिनचर्या की वार्तालाप भी संस्कृत में करते हैं. संस्कृत बोलने में गलती होती है तो शिक्षक उन्हें सही और शुद्ध संस्कृत बोलना बताते हैं. इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य संस्कृत भाषा को बोलचाल में लाना है, ताकि समाज के लोग भी संस्कृत बोल सकें और समझ सकें.

सुबह 5 बजे से लेकर रात 10 बजे तक प्रशिक्षण केंद्र में बैच वाइज प्रशिक्षण दिया जाता है. साथ ही विभिन्न तरह की गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं. वहीं प्रशिक्षण ले रहे छात्र भी कहते हैं कि गर्मी छुट्टी का सदुपयोग इस बार हो गया.

प्रशिक्षण के दौरान मोबाइल रखने पर प्रतिबंध

प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुओं को सबसे ज्यादा बाधित करने वाला मोबाइल को अलग कर दिया गया है.अपने परिवार को सूचना देने और बातचीत करने के लिए भी समय निर्धारित है. शेष समय में विद्यार्थियों का मोबाइल एक जगह जमा रखा जाता है.

संस्कृत भारती संस्था की ओर से की गई है आवासीय प्रशिक्षण की व्यवस्था

आवासीय प्रशिक्षण की व्यवस्था संस्कृत भारती ने की है. संस्कृत भारती देश स्तर पर संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए विविध गतिविधियां आयोजित कराती रहती है. प्रशिक्षण पाने वाले हजारीबाग, चतरा, बोकारो, गिरिडीह, रामगढ़, रांची, गुमला, लोहरदगा, लातेहार, चाईबासा, मुजफ्फरपुर, देवघर, अरवल, जमशेदपुर, धनबाद और सिमडेगा से पहुंचे हैं. संस्कृत भारत की अपनी भाषा है. इसे देवभाषा भी कहा जाता है. निसंदेह संस्कृत भारती का यह प्रयास काबिले तारीफ है.

ये भी पढ़ें-

Jharkhand Sanskrit College: भगवान भरोसे देव भाषा संस्कृत! आचार्य से लेकर वेद, ज्योतिष तक की पढ़ाई हुई ठप

हाई स्कूल संस्कृत शिक्षक नियुक्ति मामले पर हाई कोर्ट में सुनवाई, अदालत ने सरकार से मांगा जवाब

बच्ची ने रुकवाया सहपाठी का बाल विवाह, जिला प्रशासन ने किया सम्मानित

हजारीबाग: देश में संस्कृत भाषा बोलचाल में विलुप्त होने की कगार में पहुंच गई है. इसलिए संस्कृत भाषा को बचाने के लिए हजारीबाग में इन दिनों कोशिशें की जा रही हैं. झारखंड और बिहार के लगभग 200 से अधिक विद्यार्थी हजारीबाग में संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण पा रहे हैं. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद विद्यार्थी संस्कृत भाषा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अपने स्कूलों और मोहल्लों में भी काम करेंगे.

हजारीबाग में संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण लेते विद्यार्थी और जानकारी देते शिक्षक और संस्था के संपर्क प्रमुख. (वीडियो-ईटीवी भारत)

संस्कृत भाषा को बचाने का उठाया बीड़ा

संस्कृत भाषा को बचाने का बीड़ा संस्कृत भारती संस्था ने उठाया है. संस्था देशभर में संस्कृत को बोलचाल की भाषा बनाने के लिए मुहिम चला रही है. बताते चलें कि संस्कृत कई भाषा की जननी है, पर इन दिनों बोलचाल में संस्कृत विलुप्त हो रही और धर्म ग्रंथ और साहित्य तक सिमट कर रह गई है. लगभग हर जिले में अंग्रेजी बोलना सीखाने के लिए कोचिंग सेंटर खुले हैं, लेकिन संस्कृत बोलने के लिए किसी भी तरह का प्रशिक्षण केंद्र नहीं दिखता है. संस्कृत भारत की अपनी भाषा है. इसे फिर से जीवित करने और बोलचाल में लाने के लिए संस्कृत भारती काम कर रही है.

हजारीबाग में 200 विद्यार्थी ले रहे संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण

हजारीबाग में झारखंड-बिहार से आए 200 विद्यार्थी संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण ले रहे हैं. हजारीबाग सरस्वती विद्या मंदिर कुम्हारटोली परिसर में संस्कृत का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.झारखंड और बिहार से पहुंचे 175 स्कूलों और कॉलेजों के विद्यार्थी संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं.

सात दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन

सात दिवसीय प्रशिक्षण में शामिल प्रशिक्षु एक-दूसरे से दैनिक दिनचर्या की वार्तालाप भी संस्कृत में करते हैं. संस्कृत बोलने में गलती होती है तो शिक्षक उन्हें सही और शुद्ध संस्कृत बोलना बताते हैं. इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य संस्कृत भाषा को बोलचाल में लाना है, ताकि समाज के लोग भी संस्कृत बोल सकें और समझ सकें.

सुबह 5 बजे से लेकर रात 10 बजे तक प्रशिक्षण केंद्र में बैच वाइज प्रशिक्षण दिया जाता है. साथ ही विभिन्न तरह की गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं. वहीं प्रशिक्षण ले रहे छात्र भी कहते हैं कि गर्मी छुट्टी का सदुपयोग इस बार हो गया.

प्रशिक्षण के दौरान मोबाइल रखने पर प्रतिबंध

प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुओं को सबसे ज्यादा बाधित करने वाला मोबाइल को अलग कर दिया गया है.अपने परिवार को सूचना देने और बातचीत करने के लिए भी समय निर्धारित है. शेष समय में विद्यार्थियों का मोबाइल एक जगह जमा रखा जाता है.

संस्कृत भारती संस्था की ओर से की गई है आवासीय प्रशिक्षण की व्यवस्था

आवासीय प्रशिक्षण की व्यवस्था संस्कृत भारती ने की है. संस्कृत भारती देश स्तर पर संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए विविध गतिविधियां आयोजित कराती रहती है. प्रशिक्षण पाने वाले हजारीबाग, चतरा, बोकारो, गिरिडीह, रामगढ़, रांची, गुमला, लोहरदगा, लातेहार, चाईबासा, मुजफ्फरपुर, देवघर, अरवल, जमशेदपुर, धनबाद और सिमडेगा से पहुंचे हैं. संस्कृत भारत की अपनी भाषा है. इसे देवभाषा भी कहा जाता है. निसंदेह संस्कृत भारती का यह प्रयास काबिले तारीफ है.

ये भी पढ़ें-

Jharkhand Sanskrit College: भगवान भरोसे देव भाषा संस्कृत! आचार्य से लेकर वेद, ज्योतिष तक की पढ़ाई हुई ठप

हाई स्कूल संस्कृत शिक्षक नियुक्ति मामले पर हाई कोर्ट में सुनवाई, अदालत ने सरकार से मांगा जवाब

बच्ची ने रुकवाया सहपाठी का बाल विवाह, जिला प्रशासन ने किया सम्मानित

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.