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सरकारी स्कूलों से दूरी! मध्य प्रदेश के 400 स्कूलों में एक भी बच्चे ने नहीं लिया एडमिशन, जीरो ईयर की नौबत - MP GOVT SCHOOL ZERO ADMISSION

मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों की हालत खस्ताहाल है. यह हम इसलिए कह रहे हैं कि प्रदेश के करीब 400 स्कूलों में एक भी बच्चे ने एडमिशन नहीं लिया है.

MP GOVT SCHOOL ZERO ADMISSION
एमपी के 400 सरकारी स्कूलों में जीरो एडमिशन (ETV Bharat Graphics)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 28, 2024, 7:46 AM IST

भोपाल: मध्य प्रदेश के 38 जिलों के 400 से अधिक सरकारी स्कूलों में इस सत्र में शून्य नामांकन हुए हैं. यानि की इन स्कूलों में एक भी बच्चे ने एडमिशन नहीं लिया. जिससे इन स्कूलों में जीरो ईयर घोषित किया जाएगा. वहीं इन स्कूलों के शिक्षकों को ऐसे स्कूलों में पदस्थ किया जाएगा, जहां शिक्षकों की कमी है. इसके लिए शिक्षकों की काउंसलिंग की जा रही है. ये सभी प्रायमरी स्कूल हैं, जहां शिक्षकों को पढ़ाने के लिए बच्चे नहीं हैं.

MP SCHOOL EDUCATION
शिक्षकों की काउंसलिंग कराएगी सरकार (ETV Bharat)

इन जिलों के स्कूलों में बच्चे नहीं हैं
भोपाल में बैरसिया के प्राइमरी स्कूल खूजा खेड़ी, प्रायमरी स्कूल रतनपुर सड़क, फंदा ग्रामीण के प्रायमरी स्कूल बाल विहार में शिक्षक तो पदस्थ हैं, लेकिन पढ़ने के लिए बच्चे नहीं हैं. इसके अलावा आगर-मालवा, अशोकनगर, बालाघाट, बैतूल, भिंड, छिंदवाड़ा, दमोह, दतिया, देवास, गुना, ग्वालियर, हरदा, जबलपुर, कटनी, खरगोन, मंदसौर, मुरैना, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, नीमच, पन्ना, रायसेन, राजगढ़, रतलाम, रीवा, सागर, सीहोर, सिवनी, शहडोल, शाजापुर, शिवपुरी, सीधी, सिंगरौली, उज्जैन, उमरिया और विदिशा आदि शामिल हैं.

2 हजार स्कूलों की पहली कक्षा में जीरो एडमिशन
बता दें कि, एमपी के 2 हजार से अधिक सरकारी स्कूलों में जीरो ईयर की नौबत आ गई है. 1 अप्रैल से शुरु हुई प्रवेश प्रक्रिया के तहत इन स्कूलों में एक भी बच्चे ने एडमिशन नहीं लिया है. वहीं पिछले वर्ष की तुलना में इस बार छात्रों की संख्या में भी कमी आई है. वर्ष 2023-24 में जहां पहली कक्षा में 6.94 लाख बच्चों ने प्रवेश लिया है, वहीं इस बार यह आंकड़ा घटकर 3.5 लाख तक पहुंच गया है.

इसलिए सरकारी स्कूलों में साल दर साल घट रहे बच्चे
दरअसल, एमपी के अधिकतर सरकारी स्कूलों की पढ़ाई में गुणवत्ता की कमी है. जहां पढ़ाई अच्छी होती है, उन स्कूलों में लगातार एडमिशन हो रहे हैं. सबसे बुरी स्थिति ग्रामीण सरकारी स्कूलों की है. इसका कारण रोजगार के लिए अभिभावकों का शहरों की ओर पलायन भी है. हालांकि अब स्कूल शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में स्टूडेंट की घटती संख्या को लेकर चिंतित है. इसके पीछे के कारणों को तलाशा जा रहा है. हालांकि राज्य शिक्षा केंद्र के जनसंपर्क अधिकारी अमिताभ अनुरागी ने बताया कि, प्रदेश में सरकारी स्कूलों को सीएम राईज के रुप में डेवलप किया जा रहा है. अन्य स्कूलों में भी मूलभूत सुविधाओं के साथ गुणवत्ता में सुधार हो रहा है.

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एडमिशन घटे तो सरकार ने बदले प्रवेश के नियम
दरअसल, सरकारी स्कूलों में स्टूडेंट की घटती संख्या को देखते हुए प्रवेश संबंधी नियमों में भी बदलाव किया गया है. इसके तहत पहली कक्षा में छह महीने व प्री-प्रायमरी कक्षाओं में चार महीने की छूट दी गई है. आदेश में प्री-प्रायमरी कक्षाओं (नर्सरी, केजी वन, केजी टू) के लिए आयु सीमा अब एक अप्रैल 2024 के स्थान पर 31 जुलाई 2024 रहेगी, जबकि पहली कक्षा के लिए एक अप्रैल 2024 के स्थान पर आयु सीमा 30 सितंबर 2024 रहेगी. अब तक नर्सरी, केजी-1 और केजी-2 के साथ ही कक्षा एक में प्रवेश के लिए बेसलाइन एक अप्रैल को बनाया गया था.

भोपाल: मध्य प्रदेश के 38 जिलों के 400 से अधिक सरकारी स्कूलों में इस सत्र में शून्य नामांकन हुए हैं. यानि की इन स्कूलों में एक भी बच्चे ने एडमिशन नहीं लिया. जिससे इन स्कूलों में जीरो ईयर घोषित किया जाएगा. वहीं इन स्कूलों के शिक्षकों को ऐसे स्कूलों में पदस्थ किया जाएगा, जहां शिक्षकों की कमी है. इसके लिए शिक्षकों की काउंसलिंग की जा रही है. ये सभी प्रायमरी स्कूल हैं, जहां शिक्षकों को पढ़ाने के लिए बच्चे नहीं हैं.

MP SCHOOL EDUCATION
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इन जिलों के स्कूलों में बच्चे नहीं हैं
भोपाल में बैरसिया के प्राइमरी स्कूल खूजा खेड़ी, प्रायमरी स्कूल रतनपुर सड़क, फंदा ग्रामीण के प्रायमरी स्कूल बाल विहार में शिक्षक तो पदस्थ हैं, लेकिन पढ़ने के लिए बच्चे नहीं हैं. इसके अलावा आगर-मालवा, अशोकनगर, बालाघाट, बैतूल, भिंड, छिंदवाड़ा, दमोह, दतिया, देवास, गुना, ग्वालियर, हरदा, जबलपुर, कटनी, खरगोन, मंदसौर, मुरैना, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, नीमच, पन्ना, रायसेन, राजगढ़, रतलाम, रीवा, सागर, सीहोर, सिवनी, शहडोल, शाजापुर, शिवपुरी, सीधी, सिंगरौली, उज्जैन, उमरिया और विदिशा आदि शामिल हैं.

2 हजार स्कूलों की पहली कक्षा में जीरो एडमिशन
बता दें कि, एमपी के 2 हजार से अधिक सरकारी स्कूलों में जीरो ईयर की नौबत आ गई है. 1 अप्रैल से शुरु हुई प्रवेश प्रक्रिया के तहत इन स्कूलों में एक भी बच्चे ने एडमिशन नहीं लिया है. वहीं पिछले वर्ष की तुलना में इस बार छात्रों की संख्या में भी कमी आई है. वर्ष 2023-24 में जहां पहली कक्षा में 6.94 लाख बच्चों ने प्रवेश लिया है, वहीं इस बार यह आंकड़ा घटकर 3.5 लाख तक पहुंच गया है.

इसलिए सरकारी स्कूलों में साल दर साल घट रहे बच्चे
दरअसल, एमपी के अधिकतर सरकारी स्कूलों की पढ़ाई में गुणवत्ता की कमी है. जहां पढ़ाई अच्छी होती है, उन स्कूलों में लगातार एडमिशन हो रहे हैं. सबसे बुरी स्थिति ग्रामीण सरकारी स्कूलों की है. इसका कारण रोजगार के लिए अभिभावकों का शहरों की ओर पलायन भी है. हालांकि अब स्कूल शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में स्टूडेंट की घटती संख्या को लेकर चिंतित है. इसके पीछे के कारणों को तलाशा जा रहा है. हालांकि राज्य शिक्षा केंद्र के जनसंपर्क अधिकारी अमिताभ अनुरागी ने बताया कि, प्रदेश में सरकारी स्कूलों को सीएम राईज के रुप में डेवलप किया जा रहा है. अन्य स्कूलों में भी मूलभूत सुविधाओं के साथ गुणवत्ता में सुधार हो रहा है.

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एडमिशन घटे तो सरकार ने बदले प्रवेश के नियम
दरअसल, सरकारी स्कूलों में स्टूडेंट की घटती संख्या को देखते हुए प्रवेश संबंधी नियमों में भी बदलाव किया गया है. इसके तहत पहली कक्षा में छह महीने व प्री-प्रायमरी कक्षाओं में चार महीने की छूट दी गई है. आदेश में प्री-प्रायमरी कक्षाओं (नर्सरी, केजी वन, केजी टू) के लिए आयु सीमा अब एक अप्रैल 2024 के स्थान पर 31 जुलाई 2024 रहेगी, जबकि पहली कक्षा के लिए एक अप्रैल 2024 के स्थान पर आयु सीमा 30 सितंबर 2024 रहेगी. अब तक नर्सरी, केजी-1 और केजी-2 के साथ ही कक्षा एक में प्रवेश के लिए बेसलाइन एक अप्रैल को बनाया गया था.

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