NEET JEE HINDI BOOKS AVAILABLE: छिंदवाड़ा जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी अब बिना कोचिंग के नीट और जेईई की तैयारी कर सपना पूरा कर रहे हैं. खास बात यह है कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले हिंदी मीडियम के बच्चों की तैयारी में अंग्रेजी भाषा रुकावट ना बने इसलिए इसके लिए जिला प्रशासन ने निजी कोचिंग संस्थान की मदद से हिंदी में पुस्तक बच्चों के लिए मंगवाई है. SEPARATE PERIOD FOR NEET JEE
एक पीरियड अलग से कराई जाती है नीट और जेईई की तैयारी
कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह द्वारा सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए जेईई और नीट का सपना पूरा करने के लिए जिले के शासकीय स्कूलों के विद्यार्थियों को निःशुल्क जेईई-नीट की तैयारी के लिए सभी हायर सेकेंडरी स्कूलों में प्रतिदिन एक पीरियड अलग से लगाया जा रहा है. गर्मी की छुटियों में भी सभी ब्लॉक मुख्यालयों पर इन कक्षाओं का संचालन किया जा रहा था. ताकि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी जेईई और नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर अच्छे कॉलेज में दाखिला ले सकें.
हिंदी में बच्चों को दिलाया गया स्टडी मैटेरियल
जेईई-नीट की तैयारी के लिए अधिकांश स्टडी मटेरियल अंग्रेजी में मिलता है, इससे हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों की परेशानी को समझते हुए कलेक्टर ने एक निजी कोचिंग संस्थान से समन्वय कर इन विद्यार्थियों के लिए हिंदी में जेईई-नीट परीक्षाओं की तैयारी के लिए पुस्तकें मंगवाई हैं. उन्होंने इन पुस्तकों के कुछ सेट जिला शिक्षा अधिकारी जी.एस.बघेल और उत्कृष्ट विद्यालय छिंदवाड़ा के प्राचार्य को प्रदाय किया. उन्होंने ये पुस्तकें विद्यालय की लाइब्रेरी में रखने के निर्देश दिए हैं. विद्यार्थी विद्यालय की लाइब्रेरी में ये पुस्तकें पढ़ सकेंगे, सभी हायर सेकेंडरी स्कूलों के लिए ये पुस्तकें बुलवाई जा रही हैं.
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जिले के163 स्कूलों में लगाई जा रही है क्लास
जिला शिक्षा अधिकारी गोपाल सिंह बघेल ने बताया कि, ''कलेक्टर के निर्देश पर सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को भी अब जेईई और नीट की तैयारी कराई जा रही है, ताकि बच्चे डॉक्टर और इंजीनियर बन सकें. जिले में 163 सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूल हैं जहां पर एक पीरियड अलग से स्कूल में ही लगाया जा रहा है. यहां पढ़ाने वाले स्पेशल शिक्षकों को इसकी जिम्मेदारी दी गई है. 1 जुलाई से अलग से पीरियड लगने शुरू हो गए हैं.'' जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि, ''जेईई और नीट की परीक्षाओं के लिए अधिकांश नोट्स अंग्रेजी में ही होता है. लेकिन सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले हिंदी मीडियम के बच्चों के लिए इस सिलेबस में कठिनाई जाती है इसलिए कलेक्टर की पहल पर हिंदी में पुस्तक मंगवाई गई हैं, जो सभी स्कूलों में भेजी जाएगी.''