नई दिल्ली: स्पेसएक्स के फाउंडर और अमेरिकी अरबपति उद्यमी एलन मस्क ने अमेरिका पर अत्यधिक हाई नेशनल डेब्ट पर दुख व्यक्त किया. साथ ही इसे फाइनेंशियल इमरजेंसी भी कहा, क्योंकि राष्ट्रीय ऋण रिकॉर्ड 36 ट्रिलियन डॉलर को छू गया है. हाल ही में एक रैली में मस्क ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर हाई नेशनल डेब्ट के संभावित प्रभाव के बारे में भी चिंता जताई.
मस्क रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन करने के लिए एक रैली में भाग ले रहे थे. बाद में एक सोशल मीडिया पोस्ट में एलन मस्क ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति और उच्च राष्ट्रीय ऋण के बारे में अपनी चिंता दोहराई, जो अनुमान के मुताबिक लगभग 35.82 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है.
एक्स पर एक पोस्ट में मस्क ने कहा, "केवल इंटरेस्ट पेमेंट संघीय टैक्स रेवन्यू का 23 प्रतिशत है." उन्होंने बताया कि अकेले ब्याज भुगतान अब रक्षा विभाग के वार्षिक बजट 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है. रैली में मस्क ने अमेरिकी आर्थिक स्थिति को फाइनेंशियल इमरजेंसी बताया. बाद में उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी अपनी चिंताओं को दोहराया.
यूएस नेशनल डेब्ट क्या है?
यूएस नेशनल डेब्ट लोन की बकाया राशि है, जो अमेरिकी संघीय सरकार ने जमा की है. अमेरिकी ट्रेजरी के अनुसार वर्तमान में कुल 35.82 अमेरिकी डॉलर यूएस नेशनल डेब्ट है और ट्रेजरी दैनिक आधार पर यूएस नेशनल डेब्ट के आंकड़ों को अपडेट करता है.
संयुक्त राज्य अमेरिका में नेशनल डेब्ट कई प्रकार के कर्जों से बनी होती है, जैसे कि एक व्यक्ति का कर्ज, जिसमें अन्य चीजों के गिरवीं रखने, कार लोन और क्रेडिट कार्ड खर्च शामिल हो सकते हैं. इन विभिन्न प्रकार के ऋणों में नॉन-मार्केटबल या मार्केटबल सिक्योरिटीज शामिल हैं.
अमेरिकी सरकार कब से कर्ज में डूबी है?
अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार अमेरिकी सरकार अपनी स्थापना के समय से ही कर्ज में डूबी हुई है. उदाहरण के लिए, अमेरिकी क्रांतिकारी युद्ध के दौरान लिए गए कर्ज की राशि 75 मिलियन डॉलर थी, जो युद्ध की सप्लाई के लिए घरेलू निवेशकों और फ्रांसीसी सरकार से उधार ली गई थी.
अमेरिकी ट्रेजरी का कहना है कि राष्ट्रीय ऋण संघीय सरकार को अमेरिकी जनता के लिए महत्वपूर्ण कार्यक्रमों और सेवाओं के लिए भुगतान करने में सक्षम बनाता है.
अमेरिकी सरकार को पैसे उधार लेने की जरूरत क्यों पड़ती है?
अमेरिकी ट्रेजरी के अनुसार संघीय सरकार को अपने बिलों का भुगतान करने के लिए पैसे उधार लेने की जरूरत तब पड़ती है, जब उसकी चल रही खर्च गतिविधियों और निवेशों को सिर्फ संघीय राजस्व से फंडेड नहीं किया जा सकता.
इसके कई कारण हो सकते हैं. उदाहरण के लिए, संघीय राजस्व में कमी मुख्य रूप से या तो टैक्स दरों में कमी या व्यक्तियों और निगमों द्वारा कम पैसे कमाने के कारण होती है. इसके चलते अमेरिकी संघीय सरकार का खर्च उसके रेवन्यू कलेक्शन से अधिक हो जाता है.
संयुक्त राज्य अमेरिका में नेशनल डेब्ट सरकार को महत्वपूर्ण कार्यक्रमों और सेवाओं के लिए भुगतान करने में सक्षम बनाता है. भले ही उसके पास तुरंत धन उपलब्ध न हो. अगर कोई सरकार किसी वित्तीय वर्ष में अपने राजस्व संग्रह से अधिक खर्च कर रही है, तो उसे उस विशेष वर्ष में अपने व्यय और अपने राजस्व संग्रह के बीच की कमी को पूरा करने के लिए धन उधार लेने की आवश्यकता होती है, जो घाटे का बजट बन जाता है और उस वर्ष का बजट घाटे का बजट बन जाता है.
अगर रेवन्यू कलेक्शन से परे खर्च का यह पैटर्न कई साल तक जारी रहता है, तो बड़ी मात्रा में कर्ज एकत्रित हो जाता है, जिसे चुकाना भी मुश्किल हो जाता है और राजस्व संग्रह का बड़ा हिस्सा अकेले ब्याज भुगतान में चला जाता है. उदाहरण के लिए, एलन मस्क ने दावा किया कि कुल अमेरिकी संघीय टैक्स का 23 प्रतिशत अकेले ब्याज भुगतान में इस्तेमाल किया जा रहा है. यह स्थिति भारतीय बजट के समान है, जहां कुल बजट का लगभग एक चौथाई हिस्सा अकेले ब्याज का पेमेट करने में चला जाता है.
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत में केंद्र सरकार के राजस्व में अकेले ब्याज भुगतान का हिस्सा 45 प्रतिशत से अधिक है. बजट दस्तावेजों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार का कुल राजस्व संग्रह 25.83 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है. दूसरी ओर केंद्र को चालू वित्त वर्ष में अकेले ब्याज भुगतान में लगभग 11.63 लाख करोड़ रुपये का भुगतान करने की उम्मीद है.
क्या अमेरिका में फाइनेंशियल इमरजेंसी है?
अरबपति निवेशक एलन मस्क ने हाई नेशनल डेब्ट (36 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) की स्थिति को वित्तीय आपातकाल बताया है, लेकिन यह इमरजेंसी या फाइनेंशियल इमरजेंसी शब्द अमेरिकी संविधान में मौजूद नहीं है, जबकि भारतीय संविधान में इमरजेंसी का प्रावधान भाग XVIII में शामिल है.
संयुक्त राज्य अमेरिका के मामले में अमेरिकी कांग्रेस ने किसी भी आपातकालीन प्रावधान की अनुपस्थिति के कारण इमरजेंसी स्थितियों से निपटने के लिए 1976 में एक स्पेसिफिक कानून बनाया, जिसे नेशनल इमरजेंसी एक्ट कहा जाता है.हालांकि, अमेरिकी संविधान के विपरीत, भारत के संविधान में न केवल आपातकालीन प्रावधान हैं, बल्कि यह वित्तीय आपात स्थितियों को भी अलग से परिभाषित करता है और उनसे निपटता है.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत अगर राष्ट्रपति को लगता है कि ऐसी गंभीर स्थिति मौजूद है, जिससे भारत या उसके किसी हिस्से की सुरक्षा को खतरा है, तो वह पूरे देश या देश के किसी भी हिस्से में आपातकाल की घोषणा कर सकता है. इसी तरह, अनुच्छेद 360 के तहत अगर राष्ट्रपति को लगता है कि ऐसी स्थिति मौजूद है जो भारत या देश के किसी हिस्से की वित्तीय स्थिरता या ऋण को खतरा पहुंचाती है, तो वह वित्तीय आपातकाल की घोषणा कर सकता है.
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