नई दिल्ली: बैंकों ने सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को ऑटोमेटेड टेलर मशीन (ATM) की आपूर्ति में कमी के बारे में बताया है. एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बैंकों ने सरकारी ई-मार्केटप्लेस के माध्यम से खरीद के नॉर्म में स्पष्टता के लिए भी दबाव डाला है. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले महीने अधिकारियों के साथ एक बैठक में प्रमुख बैंकरों ने कथित तौर पर यह मुद्दा उठाया था. बैंकरों ने कहा कि यह एक बड़ा मुद्दा है कि ATM विक्रेताओं के पास क्षमता नहीं है.
क्यों आई कमी?
रिपोर्ट के अनुसार कम क्षमता का कारण वित्त वर्ष 20 में लागू किए गए 'मेक इन इंडिया' दिशानिर्देशों से जुड़ा है. इसके कारण विक्रेताओं को भारतीय परिचालन स्थापित करने में समय लगा. सभी ATM विक्रेता पंजीकृत नहीं हैं, और किसी भी सतर्कता कार्रवाई से बचने के लिए प्रक्रिया और दिशानिर्देशों पर अधिक स्पष्टता की भी आवश्यकता है. अगर सभी दिशानिर्देश पूरे होते हैं तो बैंकों को ATM के लिए इंडिपेंडेंट रिक्वेस्ट प्रपोजल (RFP) जारी करने की अनुमति दी जानी चाहिए.
रिपोर्ट के अनुसार, बैंकरों ने यह भी कहा है कि एटीएम की कमी उन पर उस समय अधिक प्रभाव डाल रही है, जब वे एटीएम में लॉक करने योग्य कैसेट प्लांट को अपनाने की प्रॉसेस में हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, बैंक के कार्यकारी ने कहा कि हालांकि यह चरणबद्ध तरीके से किया जाना था, लेकिन हमारे पास लक्ष्य कम हैं, और इससे जुर्माना सहित विनियामक कार्रवाई हो सकती है. उन्होंने आगे कहा कि वाल्टिंग व्यवस्था सहित खराब बुनियादी ढांचे के मुद्दों ने भी इस देरी में योगदान दिया है.