नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भारत में डिजिटल पेमेंट सिस्टम के आसपास सुरक्षा नियंत्रण को सबसे अधिक महत्व देता है. अपने उपयोगकर्ताओं के लिए डिजिटल लेनदेन की सुरक्षा पर बहुत जोर देता है. आरबीआई ने डिजिटल भुगतान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं.
अब जानते है डिजिटल पेमेंट को सुरक्षित बनाने के लिए RBI ने क्या कदम उठाए हैं,
- नए भुगतानकर्ताओं को जोड़ने के लिए, द्वितीयक चैनल से विशिष्ट ओटीपी की आवश्यकता होती है, जिससे प्रोसेस अधिक सुरक्षित हो जाती है.
- महत्वपूर्ण वित्तीय लेनदेन के लिए सुरक्षा बढ़ाने, ज्यादा पैसे वाले लेनदेन के लिए नए ओटीपी की आवश्यकता होती है.
- दुरुपयोग की संभावना को कम करने के लिए ओटीपी की समय सीमा को बारीकी से मैनेज्ड किया जाता है.
- अनऑथराइज्ड लेनदेन की पहचान करने और रोकने के लिए डिजिटल हस्ताक्षर और KMAC का यूज करना.
- ग्राहकों को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार उनके अधिकारों और इंटरनेट बैंकिंग से जुड़ी जिम्मेदारियों और जोखिमों के बारे में शिक्षित करना.
- ग्राहक द्वारा स्पेसिफिक वैल्यू से अधिक के लेनदेन के लिए वैकल्पिक विधि के माध्यम से ग्राहकों को सूचित करना
- ग्राहकों को फिशिंग का शिकार होने से बचने के लिए एसएसएल या ईवी-एसएसएल प्रमाणपत्र अलर्ट पर प्रतिक्रिया करना सिखाना. SSL सर्टिफिकेट एरर तब होती है जब कोई वेब ब्राउजर किसी वेबसाइट पर स्थापित SSL सर्टिफिकेट को वेरिफाइड करने में असमर्थ होता है.
- लेनदेन पैटर्न का समझने और असामान्य गतिविधियों को जानने के लिए सिस्टम पेश करना.
आम जनता के बीच सुरक्षित डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए, आरबीआई ने दोहराया है कि उपयोगकर्ताओं को अपने कार्ड डिटेल्स, पासवर्ड, पिन, ओटीपी, सीवीवी, यूपीआई-पिन इत्यादि किसी के साथ साझा न करके सावधानी बरतनी चाहिए. साथ ही, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध मुफ्त वाई-फाई नेटवर्क के माध्यम से वित्तीय लेनदेन करने से बचें.