मुंबई: आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) में कटौती की है. इससे बैंकिंग सिस्टम में 1.16 लाख करोड़ रुपये आएंगे. यह 4.5 साल से अधिक समय में सीआरआर में पहली कटौती है. केंद्रीय बैंक की तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समीक्षा 4 दिसंबर को शुरू हुई.
बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी की कमी और चौंकाने वाले कम सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़ोतरी के बीच सीआरआर में कटौती की मांग ने जोर पकड़ लिया है, जो जुलाई-सितंबर 2024 की तिमाही में सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 फीसदी पर आ गई है. सीआरआर में कटौती इस बात का संकेत है कि केंद्रीय बैंक रेपो रेटर में कटौती किए बिना मौद्रिक नीति को आसान बनाना चाहता है.
सीआरआर में कटौती का प्रभाव
आरबीआई ने सीआरआर में 50 आधार अंकों की कटौती करने से केंद्रीय बैंक के पास जमा 1.16 लाख करोड़ रुपये की बैंक लिक्विडिटी फ्री हो जाएगी. इस अलावा लिक्विडिटी का यूज बैंक लोन देने के लिए कर सकते हैं, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.
सीआरआर में कटौती से बैंक का पैसा फ्री होगा, जिसे आगे लोन देने के लिए लगाया जा सकता है. इस बात की संभावना है कि बैंक इस सीआरआर कटौती का लाभ उधारकर्ताओं को दे सकते हैं. आमतौर पर, सीआरआर में कटौती बैंकों के लिए नेट इंटरेस्ट मार्जिन (एनआईएम) बढ़ाने वाली होती है.