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'बिहार में चार-चार जगह से लोन ले रहे लोग', RBI ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को चेताया, कहीं AP की तरह ना हो जाए हालात - RBI on Bihar

RBI On Bihar: आरबीआई ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को बड़ा निर्देश देते हुए साफ-साफ कहा है कि बिहार और यूपी में लोन बांटने पर अंकुश लगाए. रिजर्व बैंक ने कहा कि अगर जोखिम ऐसे ही बढ़ता गया तो एक दिन बुलबुला फूट सकता है. विस्तार से जानें अबतक बिहार में कितना लोन दिया गया और इससे क्या है खतरा?

RBI ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को चेताया
RBI ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को चेताया (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 10, 2024, 8:09 PM IST

विद्यार्थी विकास और मंत्री सुनील कुमार का बयान. (ETV Bharat)

पटना: देश में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. बिहार में 2019 के बाद से इनकी संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. 2019 में 20 से 25 कंपनियां ऋण देने में लगी थी, लेकिन अब माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की संख्या 40 से अधिक पहुंच गई है. आरबीआई ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को उत्तर प्रदेश और बिहार में ऋण बांटने पर चेताया है.

RBI का यूपी बिहार को लेकर निर्देश: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को ऋण बांटने की गति स्लो करने के लिए कहा है नहीं तो राशि डूबने का खतरा है. माइक्रोफाइनेंस कंपनियों धड़ल्ले से बिहार में 10000 से लेकर 50000 तक ऋण बांट रही है. माइक्रो फाइनेंस कंपनियां बिहार और उत्तर प्रदेश में 25% से अधिक छोटे ऋण बांटे हैं. आरबीआई की चिंता इस बात को लेकर है कि गारंटी नहीं होने के कारण माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को कर्जदार से वसूली करने में परेशानी होगी. बड़ी राशि डूबने का खतरा है.

एक व्यक्ति ले रहा कई जगह से कर्ज: आरबीआई की चिंता इस बात को लेकर भी है कि एक व्यक्ति कई जगह से ऋण ले रहा है, जिससे उनके लिए चुकाना आसान नहीं है. बिहार में 10.1% लोगों ने तीन जगह से ऋण ले रखा है. 8.7% लोगों ने चार या चार से अधिक जगह से ऋण लिया है. यूपी में 7.7% लोगों ने तीन जगह से ऋण लिया है तो 6.6% लोगों ने चार या चार से अधिक जगह से ऋण लिया है. राष्ट्रीय औसत 8.7% लोगों ने तीन जगह से ऋण लिया है जबकि 6.4% लोगों ने चार या चार से अधिक जगह से ऋण लिया है.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

'आंध्र प्रदेश क्राइसिस की तरह हो सकते हैं हालात': ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञ विद्यार्थी विकास का कहना है कि आंध्र प्रदेश में भी बड़े पैमाने पर माइक्रोफाइनेंस कंपनियों ने ऋण बाटा था. 2010 से 2013 तक धड़ल्ले से ऋण बांटने के कारण माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के बंद होने का खतरा हो गया. क्योंकि सरकार की तरफ से भी ऋण नहीं लौटाने को लेकर गाइडलाइन तैयार की गई और बिल पास भी कराया गया लेकिन वह रिजेक्ट हो गया. वहीं विशेषज्ञ विद्यार्थी विकास ने कहा माइक्रो फाइनेंस कंपनियां 25% से अधिक लोन दे रहे हैं यानी कि जो बिहार में लोन दिया जा रहा है उसका 25% हिस्सा है यानी हजारों करोड़ों की राशि है.

"अब बिहार के साथ भी वह खतरा उत्पन्न हो रहा है क्योंकि बिहार में भी माइक्रोफाइनेंस कंपनियों 25% से भी अधिक रेट पर धड़ल्ले से लोन दे रही है. ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है यदि प्रोडक्टिव वर्क में उसका लिंक नहीं है केवल कंजप्शन के लिए लोन लिया जा रहा है और वह भी चार-पांच जगह से ले रहे हैं तो उनके लिए लौटना मुश्किल होगा. आरबीआई ने इसी को लेकर चिंता जाहिर की है और वह सही भी हो सकता है. दूसरी तरफ माइक्रोफाइनेंस कंपनियों इलीगल तरीके से वसूली भी करती हैं और उसके कारण समाज पर भी प्रभाव पड़ेगा."- विद्यार्थी विकास, विशेषज्ञ , एएनसिन्हा इंस्टिट्यूट

शिक्षा मंत्री को नहीं जानकारी: बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार का कहना है कि "अभी हम आरबीआई ने जो चिंता जताई है उसके बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन इतना जरूर जानते हैं कि आरबीआई बिहार के इकोनॉमी को लेकर बैंक और नॉन बैंकिंग कंपनियों को समय-समय पर गाइडलाइन जारी करता है."

सीडी रेशियो राष्ट्रीय औसत 87% से अधिक: बिहार में ऐसे तो बैंकों पर यह आरोप रहता है कि जो राशि बिहार में लोग जमा करते हैं उसके अनुपात में लोन नहीं देती है. सरकार की तरफ से लगातार सरकारी और प्राइवेट बैंकों पर दबाव भी बनाया जाता है. बैंकों का सीडी रेशियो राष्ट्रीय औसत 87% से अधिक है लेकिन बिहार का अभी भी 57% के आसपास ही अटका हुआ है. वहीं माइक्रोफाइनेंस कंपनियां इस मामले में अलग हैं.

आसानी से मिल जाता है लोन: देश में बिहार और यूपी में माइक्रोफाइनेंस कंपनियां ऋण बांटने में सबसे आगे है और इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि उनका रेट ऑफ इंटरेस्ट काफी हाई है. बिहार में बड़ा मध्यम वर्ग है जिसको अपने कई जरूरत को पूरा करने के लिए लोन की आवश्यकता पड़ती है, जिसे माइक्रोफाइनेंस कंपनियों आसानी से उपलब्ध कराती हैं. माइक्रोफाइनेंस कंपनियों व्हाट्सएप के माध्यम से ही लोन अप्रूव कर देती हैं. कई माइक्रो फाइनेंस कंपनियों का सीधा संबंध इलेक्ट्रॉनिक और अन्य उत्पाद बेचने वाले बड़े दुकानदारों से भी रहता है.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

हाई रेट पर लोन: बिहार में पहले भी गैर बैंकिंग कंपनियां डूब चुकी हैं. कई कंपनियों पर अभी भी मामला चल रहा है और इनमें से अधिकांश ऐसी कंपनी रही जिसमें लोग निवेश करते थे. लेकिन माइक्रोफाइनेंस की जिन कंपनियों को लेकर आरबीआई ने चेताया है अधिकांश लोन दे रही है. वह भी बहुत हाई रेट पर और यह राशि बिहार में हजारों करोड़ में है. कंपनियों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. आरबीआई की चिंता इसको लेकर भी है.

यह भी पढ़ें- क्रेडिट स्कोर आपके पर्सनल लोन रिकॉर्ड पर डालता है असर, जानिए कैसे - Personal Loan Affect Credit Score

विद्यार्थी विकास और मंत्री सुनील कुमार का बयान. (ETV Bharat)

पटना: देश में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. बिहार में 2019 के बाद से इनकी संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. 2019 में 20 से 25 कंपनियां ऋण देने में लगी थी, लेकिन अब माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की संख्या 40 से अधिक पहुंच गई है. आरबीआई ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को उत्तर प्रदेश और बिहार में ऋण बांटने पर चेताया है.

RBI का यूपी बिहार को लेकर निर्देश: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को ऋण बांटने की गति स्लो करने के लिए कहा है नहीं तो राशि डूबने का खतरा है. माइक्रोफाइनेंस कंपनियों धड़ल्ले से बिहार में 10000 से लेकर 50000 तक ऋण बांट रही है. माइक्रो फाइनेंस कंपनियां बिहार और उत्तर प्रदेश में 25% से अधिक छोटे ऋण बांटे हैं. आरबीआई की चिंता इस बात को लेकर है कि गारंटी नहीं होने के कारण माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को कर्जदार से वसूली करने में परेशानी होगी. बड़ी राशि डूबने का खतरा है.

एक व्यक्ति ले रहा कई जगह से कर्ज: आरबीआई की चिंता इस बात को लेकर भी है कि एक व्यक्ति कई जगह से ऋण ले रहा है, जिससे उनके लिए चुकाना आसान नहीं है. बिहार में 10.1% लोगों ने तीन जगह से ऋण ले रखा है. 8.7% लोगों ने चार या चार से अधिक जगह से ऋण लिया है. यूपी में 7.7% लोगों ने तीन जगह से ऋण लिया है तो 6.6% लोगों ने चार या चार से अधिक जगह से ऋण लिया है. राष्ट्रीय औसत 8.7% लोगों ने तीन जगह से ऋण लिया है जबकि 6.4% लोगों ने चार या चार से अधिक जगह से ऋण लिया है.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

'आंध्र प्रदेश क्राइसिस की तरह हो सकते हैं हालात': ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञ विद्यार्थी विकास का कहना है कि आंध्र प्रदेश में भी बड़े पैमाने पर माइक्रोफाइनेंस कंपनियों ने ऋण बाटा था. 2010 से 2013 तक धड़ल्ले से ऋण बांटने के कारण माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के बंद होने का खतरा हो गया. क्योंकि सरकार की तरफ से भी ऋण नहीं लौटाने को लेकर गाइडलाइन तैयार की गई और बिल पास भी कराया गया लेकिन वह रिजेक्ट हो गया. वहीं विशेषज्ञ विद्यार्थी विकास ने कहा माइक्रो फाइनेंस कंपनियां 25% से अधिक लोन दे रहे हैं यानी कि जो बिहार में लोन दिया जा रहा है उसका 25% हिस्सा है यानी हजारों करोड़ों की राशि है.

"अब बिहार के साथ भी वह खतरा उत्पन्न हो रहा है क्योंकि बिहार में भी माइक्रोफाइनेंस कंपनियों 25% से भी अधिक रेट पर धड़ल्ले से लोन दे रही है. ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है यदि प्रोडक्टिव वर्क में उसका लिंक नहीं है केवल कंजप्शन के लिए लोन लिया जा रहा है और वह भी चार-पांच जगह से ले रहे हैं तो उनके लिए लौटना मुश्किल होगा. आरबीआई ने इसी को लेकर चिंता जाहिर की है और वह सही भी हो सकता है. दूसरी तरफ माइक्रोफाइनेंस कंपनियों इलीगल तरीके से वसूली भी करती हैं और उसके कारण समाज पर भी प्रभाव पड़ेगा."- विद्यार्थी विकास, विशेषज्ञ , एएनसिन्हा इंस्टिट्यूट

शिक्षा मंत्री को नहीं जानकारी: बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार का कहना है कि "अभी हम आरबीआई ने जो चिंता जताई है उसके बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन इतना जरूर जानते हैं कि आरबीआई बिहार के इकोनॉमी को लेकर बैंक और नॉन बैंकिंग कंपनियों को समय-समय पर गाइडलाइन जारी करता है."

सीडी रेशियो राष्ट्रीय औसत 87% से अधिक: बिहार में ऐसे तो बैंकों पर यह आरोप रहता है कि जो राशि बिहार में लोग जमा करते हैं उसके अनुपात में लोन नहीं देती है. सरकार की तरफ से लगातार सरकारी और प्राइवेट बैंकों पर दबाव भी बनाया जाता है. बैंकों का सीडी रेशियो राष्ट्रीय औसत 87% से अधिक है लेकिन बिहार का अभी भी 57% के आसपास ही अटका हुआ है. वहीं माइक्रोफाइनेंस कंपनियां इस मामले में अलग हैं.

आसानी से मिल जाता है लोन: देश में बिहार और यूपी में माइक्रोफाइनेंस कंपनियां ऋण बांटने में सबसे आगे है और इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि उनका रेट ऑफ इंटरेस्ट काफी हाई है. बिहार में बड़ा मध्यम वर्ग है जिसको अपने कई जरूरत को पूरा करने के लिए लोन की आवश्यकता पड़ती है, जिसे माइक्रोफाइनेंस कंपनियों आसानी से उपलब्ध कराती हैं. माइक्रोफाइनेंस कंपनियों व्हाट्सएप के माध्यम से ही लोन अप्रूव कर देती हैं. कई माइक्रो फाइनेंस कंपनियों का सीधा संबंध इलेक्ट्रॉनिक और अन्य उत्पाद बेचने वाले बड़े दुकानदारों से भी रहता है.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

हाई रेट पर लोन: बिहार में पहले भी गैर बैंकिंग कंपनियां डूब चुकी हैं. कई कंपनियों पर अभी भी मामला चल रहा है और इनमें से अधिकांश ऐसी कंपनी रही जिसमें लोग निवेश करते थे. लेकिन माइक्रोफाइनेंस की जिन कंपनियों को लेकर आरबीआई ने चेताया है अधिकांश लोन दे रही है. वह भी बहुत हाई रेट पर और यह राशि बिहार में हजारों करोड़ में है. कंपनियों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. आरबीआई की चिंता इसको लेकर भी है.

यह भी पढ़ें- क्रेडिट स्कोर आपके पर्सनल लोन रिकॉर्ड पर डालता है असर, जानिए कैसे - Personal Loan Affect Credit Score

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