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इस राज्य में सब्जीवालों को हर दिन हो रहा 2 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान, जानिए कैसे - Vegetables Prices hike - VEGETABLES PRICES HIKE

Vegetables Prices hike- लगातार बढ़ रही महंगाई से लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. इसका सबसे ज्यादा असर आम लोगों पर पड़ रहा है. हैदराबाद में हर रोज सब्जी व्यापारी को 2 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो रहा है. इससे छोटे व्यापारी और किसान काफी परेशान हैं. पढ़ें पूरी खबर...

Vegetables Prices hike
सब्जी (IANS Photo)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 29, 2024, 12:03 PM IST

हैदराबाद: देश में सब्जियों के दाम बढ़ने से खरीददारी में काफी कमी आ रही है. हर दिन 40 फीसदी स्टॉक बच जा रहा है. इनमें से अधिकांश सड़ने के कारण फेंक दिए जा रहे हैं. बता दें कि इससे हैदराबाद में हर रोज 2 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो रहा है. छोटे व्यापारी और किसान काफी परेशान हैं. पिछले दो महीनों में राज्य में सब्जियों के दामों में भारी वृद्धि हुई है.

  • टमाटर और फलीदार सब्जियां 100 रुपये प्रति किलो से अधिक हो गई हैं.
  • बीन्स और हरी मिर्च 150 रुपये तक पहुंच गई हैं
  • भिंडी, बैंगन, लौकी आदि सब्जियां 50 रुपये के पार हो गई हैं.

खेती में देरी के कारण
राज्य में सब्जियों की खेती में देरी के कारण अधिकांश सब्जियां दूसरे राज्यों से आयात की जाती हैं. इस प्रकार, कीमतें परिवहन शुल्क और एकाधिकारियों के मुनाफे को ध्यान में रखकर तय की जाती हैं. खुदरा विक्रेता इन्हें खरीदते और बेचते हैं. जिन किसानों ने सब्जियां उगाई हैं, वे भी उन्हीं कीमतों पर बेच रहे हैं.

रंगारेड्डी जिले के किसान श्रीनिवास ने बताया कि वे रायथू बाजार में चुकंदर लेकर आए थे. स्थानीय मूल्य बताने पर उपभोक्ता खरीददारी नहीं करेंगे. व्यापारी कम मूल्य पर बेचने को तैयार नहीं होंगे.

हैदराबाद के मोंडा मार्केट के एक दुकानदार ने बताया कि कीमतें बढ़ने के बाद से खरीददारी बिल्कुल कम हो गई है. व्यापारियों का कहना है कि सामान्य मांग को ध्यान में रखते हुए पहले से ऑर्डर के अनुसार सब्जियां आयात की जा रही हैं, लेकिन कीमतें अधिक होने के कारण उन्हें घाटा हो रहा है.

हैदराबाद के मोंडा मार्केट का हाल कुछ ऐसा ही है
कीमतों में बढ़ोतरी के कारण मुख्य रूप से टमाटर की बिक्री में 55 फीसदी की कमी आई है. कुछ अन्य सब्जियों का भी यही हाल है. बिना बिकी सब्जियां दो दिन बाद सड़ जाती हैं. नतीजतन किसान और छोटे व्यापारी उन्हें किसान मंडियों और बाजारों में फेंक रहे हैं. जुलाई में हुई बारिश ने खरीददारी को और कम कर दिया. टमाटर, तुरई, बैंगन, भिंडी, फूलगोभी, पालक और गाजर जैसी सब्जियां फेंक दी जाती हैं, जिससे बाजारों और किसान मंडियों में भारी बर्बादी होती है.

  • जून में राज्य में 2,42,736 क्विंटल सब्जियां किसान मंडियों में पहुंचीं और 1,30,120 क्विंटल बिकीं.
  • 1.20 लाख क्विंटल की ही खरीद हुई, जबकि अन्य मंडियों में 4.20 लाख क्विंटल की आवक हुई.
  • किसानों की मंडियों में 19,343 क्विंटल टमाटर आया, जबकि सिर्फ 9,102 क्विंटल की ही बिक्री हुई.
  • जुलाई में अब तक किसानों की मंडियों में 1,86,373 क्विंटल सब्जियां आ चुकी हैं और 90 हजार क्विंटल बिक चुकी हैं.
  • टमाटर 17,906 क्विंटल के मुकाबले 10,220 क्विंटल, बैगन 14,943 क्विंटल के मुकाबले 8,602 क्विंटल, मिर्च 8,526 क्विंटल के मुकाबले 3,502 क्विंटल बिकी.

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  • टमाटर और फलीदार सब्जियां 100 रुपये प्रति किलो से अधिक हो गई हैं.
  • बीन्स और हरी मिर्च 150 रुपये तक पहुंच गई हैं
  • भिंडी, बैंगन, लौकी आदि सब्जियां 50 रुपये के पार हो गई हैं.

खेती में देरी के कारण
राज्य में सब्जियों की खेती में देरी के कारण अधिकांश सब्जियां दूसरे राज्यों से आयात की जाती हैं. इस प्रकार, कीमतें परिवहन शुल्क और एकाधिकारियों के मुनाफे को ध्यान में रखकर तय की जाती हैं. खुदरा विक्रेता इन्हें खरीदते और बेचते हैं. जिन किसानों ने सब्जियां उगाई हैं, वे भी उन्हीं कीमतों पर बेच रहे हैं.

रंगारेड्डी जिले के किसान श्रीनिवास ने बताया कि वे रायथू बाजार में चुकंदर लेकर आए थे. स्थानीय मूल्य बताने पर उपभोक्ता खरीददारी नहीं करेंगे. व्यापारी कम मूल्य पर बेचने को तैयार नहीं होंगे.

हैदराबाद के मोंडा मार्केट के एक दुकानदार ने बताया कि कीमतें बढ़ने के बाद से खरीददारी बिल्कुल कम हो गई है. व्यापारियों का कहना है कि सामान्य मांग को ध्यान में रखते हुए पहले से ऑर्डर के अनुसार सब्जियां आयात की जा रही हैं, लेकिन कीमतें अधिक होने के कारण उन्हें घाटा हो रहा है.

हैदराबाद के मोंडा मार्केट का हाल कुछ ऐसा ही है
कीमतों में बढ़ोतरी के कारण मुख्य रूप से टमाटर की बिक्री में 55 फीसदी की कमी आई है. कुछ अन्य सब्जियों का भी यही हाल है. बिना बिकी सब्जियां दो दिन बाद सड़ जाती हैं. नतीजतन किसान और छोटे व्यापारी उन्हें किसान मंडियों और बाजारों में फेंक रहे हैं. जुलाई में हुई बारिश ने खरीददारी को और कम कर दिया. टमाटर, तुरई, बैंगन, भिंडी, फूलगोभी, पालक और गाजर जैसी सब्जियां फेंक दी जाती हैं, जिससे बाजारों और किसान मंडियों में भारी बर्बादी होती है.

  • जून में राज्य में 2,42,736 क्विंटल सब्जियां किसान मंडियों में पहुंचीं और 1,30,120 क्विंटल बिकीं.
  • 1.20 लाख क्विंटल की ही खरीद हुई, जबकि अन्य मंडियों में 4.20 लाख क्विंटल की आवक हुई.
  • किसानों की मंडियों में 19,343 क्विंटल टमाटर आया, जबकि सिर्फ 9,102 क्विंटल की ही बिक्री हुई.
  • जुलाई में अब तक किसानों की मंडियों में 1,86,373 क्विंटल सब्जियां आ चुकी हैं और 90 हजार क्विंटल बिक चुकी हैं.
  • टमाटर 17,906 क्विंटल के मुकाबले 10,220 क्विंटल, बैगन 14,943 क्विंटल के मुकाबले 8,602 क्विंटल, मिर्च 8,526 क्विंटल के मुकाबले 3,502 क्विंटल बिकी.

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