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नेस्ले का दोहरा रवैया, जानें अब तक के प्रमुख विवाद, बेबी फूड से लेकर मैगी पर बैन तक - Nestle Controversies

हाल के एक रिपोर्ट से पता चला है कि नेस्ले अपने बेबी फूड में अधिक चीनी का यूज करती है, जो मोटापे और पुरानी बीमारियों को रोकने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देशों का उल्लंघन है. लेकिन ऐसा नेस्ले के साथ पहली बार नहीं हुआ है. ऐसे कई मामले नेस्ले से जुड़े हुए हैं, जिनमें मैगी से लेकर चाइल्ड लेबर चार्ज तक शामिल हैं. जानें नेस्ले जुड़े मामले को. पढ़ें पूरी खबर...

Nestle Controversies
नेस्ले विवाद
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 18, 2024, 1:24 PM IST

Updated : Apr 18, 2024, 1:45 PM IST

नई दिल्ली: हाल ही में एक रिपोर्ट से सामने आया है कि नेस्ले अपने प्रोडक्ट में अधिक मात्रा में चीनी मिला रहा है. भारत सहित कई देशों में नेस्ले के शिशु आहार उत्पादों में उच्च मात्रा में अतिरिक्त चीनी और शहद होता है. लेकिन ब्रिटेन या यूरोप के अपने मुख्य बाजारों में इसकी मात्रा कम होती है. ये मोटापे और पुरानी बीमारियों को रोकने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देशों का उल्लंघन है. रिपोर्ट से साफ पता चलता है कि नेस्ले गरीब और अमीर देशों में अलग-अलग तरह के प्रोडक्ट बेच रहा है.

नेस्ले विवादों पर एक नजर

  1. बेबी फूड में चीनी- अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में नेस्ले के मुख्य बाजारों में बेचे जाने वाले 115 उत्पादों, विशेष रूप से सेरेलैक और नोडी ब्रांडों की जांच के बाद, पब्लिक आई के विश्लेषण से पता चला कि भारत में जांचे गए सभी शिशु अनाज उत्पादों में प्रति सेवारत लगभग 3 ग्राम चीनी मिलाई गई है. लेकिन विकासशील देशों में समान उत्पाद चीनी मुक्त थे, जिससे कम आय और मध्यम आय वाले देशों में कंपनी के मार्केटिंग में अंतर दिखा.
  2. अनहेल्दी फूड पोर्टफोलियो- 2021 में, नेस्ले की आंतरिक प्रस्तुति से संकेत मिला है कि उसके मुख्यधारा के भोजन और बेवरेज की चेन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हेल्थी नहीं है, जिससे एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. इसके बाद, कंपनी ने अपनी पोषण और स्वास्थ्य रणनीति को अद्यतन करने और अपने संपूर्ण उत्पाद लाइनअप की समीक्षा करने की योजना की घोषणा की.
  3. भारत में मैगी पर बैन- 2015 में, 5 जून से 1 सितंबर के बीच, उत्तर प्रदेश सरकार के फूड सिक्योरिटी और ड्रग के एक फूड इंस्पेक्टर संजय सिंह द्वारा नियमित निरीक्षण के दौरान गलती पाए जाने के बाद भारत में लगभग 38,000 टन मैगी नूडल्स वापस ले लिए गए और नष्ट कर दिए गए. मैगी नूडल्स के पैकेटों में पर अतिरिक्त एमएसजी (मोनोसोडियम ग्लूटामेट) मिलाने का आरोप लगा था. पूरे भारत में खुदरा दुकानों से लगभग 38,000 टन मैगी नूडल्स वापस ले लिए गए और बाद में उन्हें नष्ट कर दिया गया. इस वापसी से नेस्ले इंडिया पर गंभीर असर पड़ा और मैगी की बाजार हिस्सेदारी 80 फीसदी से घटकर शून्य हो गई. मैगी की बिक्री नेस्ले इंडिया के राजस्व में 25 फीसदी से अधिक का योगदान देती है.
  4. चाइल्ड लेबर चार्ज- नेस्ले को 2021 में चाइल्ड स्लेव लेबर के आरोपों का सामना करना पड़ा जब आठ पूर्व कथित चाइल्ड स्लेव ने आइवरी कोस्ट में कोको फार्मों पर बच्चों की अवैध स्लेवरी में संलिप्तता के लिए कंपनी पर मुकदमा दायर किया.
  5. दुनिया के टॉप प्लास्टिक प्रदूषकों में से एक- Utopia.org की एक रिपोर्ट के अनुसार नेस्ले की पैकेजिंग प्रैक्टिस प्लास्टिक प्रदूषण में योगदान करती हैं. नेस्ले की वेबसाइट के अनुसार, उनका दावा है कि 2025 तक हमारी 95 फीसदी से अधिक प्लास्टिक पैकेजिंग को रीसाइक्लिंग के लिए डिजाइन करने का लक्ष्य है. हालांकि, Utopia.org के अनुसार, ग्रीनपीस का दावा है कि कंपनी अपने प्लास्टिक कचरे को जलाती है, जिससे जहरीला प्रदूषण होता है.

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नई दिल्ली: हाल ही में एक रिपोर्ट से सामने आया है कि नेस्ले अपने प्रोडक्ट में अधिक मात्रा में चीनी मिला रहा है. भारत सहित कई देशों में नेस्ले के शिशु आहार उत्पादों में उच्च मात्रा में अतिरिक्त चीनी और शहद होता है. लेकिन ब्रिटेन या यूरोप के अपने मुख्य बाजारों में इसकी मात्रा कम होती है. ये मोटापे और पुरानी बीमारियों को रोकने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देशों का उल्लंघन है. रिपोर्ट से साफ पता चलता है कि नेस्ले गरीब और अमीर देशों में अलग-अलग तरह के प्रोडक्ट बेच रहा है.

नेस्ले विवादों पर एक नजर

  1. बेबी फूड में चीनी- अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में नेस्ले के मुख्य बाजारों में बेचे जाने वाले 115 उत्पादों, विशेष रूप से सेरेलैक और नोडी ब्रांडों की जांच के बाद, पब्लिक आई के विश्लेषण से पता चला कि भारत में जांचे गए सभी शिशु अनाज उत्पादों में प्रति सेवारत लगभग 3 ग्राम चीनी मिलाई गई है. लेकिन विकासशील देशों में समान उत्पाद चीनी मुक्त थे, जिससे कम आय और मध्यम आय वाले देशों में कंपनी के मार्केटिंग में अंतर दिखा.
  2. अनहेल्दी फूड पोर्टफोलियो- 2021 में, नेस्ले की आंतरिक प्रस्तुति से संकेत मिला है कि उसके मुख्यधारा के भोजन और बेवरेज की चेन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हेल्थी नहीं है, जिससे एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. इसके बाद, कंपनी ने अपनी पोषण और स्वास्थ्य रणनीति को अद्यतन करने और अपने संपूर्ण उत्पाद लाइनअप की समीक्षा करने की योजना की घोषणा की.
  3. भारत में मैगी पर बैन- 2015 में, 5 जून से 1 सितंबर के बीच, उत्तर प्रदेश सरकार के फूड सिक्योरिटी और ड्रग के एक फूड इंस्पेक्टर संजय सिंह द्वारा नियमित निरीक्षण के दौरान गलती पाए जाने के बाद भारत में लगभग 38,000 टन मैगी नूडल्स वापस ले लिए गए और नष्ट कर दिए गए. मैगी नूडल्स के पैकेटों में पर अतिरिक्त एमएसजी (मोनोसोडियम ग्लूटामेट) मिलाने का आरोप लगा था. पूरे भारत में खुदरा दुकानों से लगभग 38,000 टन मैगी नूडल्स वापस ले लिए गए और बाद में उन्हें नष्ट कर दिया गया. इस वापसी से नेस्ले इंडिया पर गंभीर असर पड़ा और मैगी की बाजार हिस्सेदारी 80 फीसदी से घटकर शून्य हो गई. मैगी की बिक्री नेस्ले इंडिया के राजस्व में 25 फीसदी से अधिक का योगदान देती है.
  4. चाइल्ड लेबर चार्ज- नेस्ले को 2021 में चाइल्ड स्लेव लेबर के आरोपों का सामना करना पड़ा जब आठ पूर्व कथित चाइल्ड स्लेव ने आइवरी कोस्ट में कोको फार्मों पर बच्चों की अवैध स्लेवरी में संलिप्तता के लिए कंपनी पर मुकदमा दायर किया.
  5. दुनिया के टॉप प्लास्टिक प्रदूषकों में से एक- Utopia.org की एक रिपोर्ट के अनुसार नेस्ले की पैकेजिंग प्रैक्टिस प्लास्टिक प्रदूषण में योगदान करती हैं. नेस्ले की वेबसाइट के अनुसार, उनका दावा है कि 2025 तक हमारी 95 फीसदी से अधिक प्लास्टिक पैकेजिंग को रीसाइक्लिंग के लिए डिजाइन करने का लक्ष्य है. हालांकि, Utopia.org के अनुसार, ग्रीनपीस का दावा है कि कंपनी अपने प्लास्टिक कचरे को जलाती है, जिससे जहरीला प्रदूषण होता है.

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Last Updated : Apr 18, 2024, 1:45 PM IST
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