नई दिल्ली: जापान के निक्केई 225 शेयर सूचकांक में लगभग 13 फीसदी की गिरावट आई. निवेशकों को चिंता थी कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था अपेक्षा से अधिक खराब स्थिति में हो सकती है. इसके कारण उन्होंने कई शेयरों की बिकवाली की. टोक्यो में सोमवार दोपहर तक निक्केई सूचकांक 12.9 फीसदी गिरकर 31,290.63 पर आ गया. शुक्रवार को इसमें 5.8 फीसदी की गिरावट आई और यह अब तक की सबसे खराब दो दिवसीय गिरावट की ओर लीडिंग है.
निक्केई की सबसे बड़ी एकल-दिवसीय गिरावट अक्टूबर 1987 में "ब्लैक मंडे" कहे जाने वाले दिन 3,836 अंक या 14.9 फीसदी की गिरावट थी. वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान अक्टूबर 2008 में इसमें 11.4 फीसदी की गिरावट आई और मार्च 2011 में उत्तर-पूर्वी जापान में बड़े पैमाने पर भूकंप और परमाणु पिघलने के बाद 10.6 प्रतिशत की गिरावट आई.
बुधवार को बैंक ऑफ जापान द्वारा अपनी बेंचमार्क ब्याज दर बढ़ाए जाने के बाद से टोक्यो में शेयर की कीमतों में गिरावट आई है. बेंचमार्क अब एक साल पहले के स्तर से लगभग 4 फीसदी नीचे है.
बिकवाली की इस लहर ने कई कंपनियों को प्रभावित किया. टोयोटा मोटर कॉर्पोरेशन के शेयरों में 11 फीसदी की गिरावट आई. होंडा मोटर कंपनी के शेयरों में 13.4 फीसदी की गिरावट आई. कंप्यूटर चिप निर्माता टोक्यो इलेक्ट्रॉन में 15.8 फीसदी और मित्सुबिशी यूएफजे फाइनेंशियल ग्रुप में 18.4 फीसदी की गिरावट आई.
जापान में गिरावट के भारत के कुछ कंपनियों पर देखने को मिल सकता है. मारुति सुजुकी पर असर हो सकता है. एक्सपर्ट बताते है कि सुजुकि को झटका लग सकता है. ऐसे में मारुति की आमदनी पर भी सीधा असर हो सकता है. इसके साथ ही Kokoyo Camlin, Sumitomo Chem पर भी असर दिख सकता है.