नई दिल्ली: बीमा पॉलिसीधारकों के लिए कुछ अच्छी खबर है. भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) बीमा पॉलिसियों के लिए फ्री-लुक अवधि को 15 से बढ़ाकर 30 दिन करने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. यह पीरियड पॉलिसीधारकों को बिना किसी सरेंडर शुल्क का सामना किए नई खरीदी गई बीमा पॉलिसियों को रद्द करने की अनुमति देती है.
जानते है इसके बारे में,
फिलाहल, बीमा कंपनियां जीवन और सामान्य बीमा पॉलिसियों दोनों के लिए अनिवार्य 15 दिन की फ्री-लुक पीरियड देती है. हालांकि, अगर पॉलिसी इलेक्ट्रॉनिक या रिमोट मेडियम से प्राप्त की जाती है, तो यह अवधि पहले से ही 30 दिनों तक बढ़ जाती है.
नए प्रस्ताव का लक्ष्य सभी पॉलिसियों के लिए 30 दिनों की फ्री-लुक पीरियड को स्टैंडराइज्ड करना है, जैसा कि भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (पॉलिसीधारकों के हितों और बीमाकर्ताओं के संबद्ध मामलों का संरक्षण) विनियम, 2024 शीर्षक वाले एक्सपोजर ड्राफ्ट में उल्लिखित है.
फ्री-लुक पीरियड के फायदे
बता दें कि फ्री-लुक पीरियड बढ़ाने से पॉलिसीधारकों को कई लाभ मिलेंगे. इससे लोगों को पॉलिसी को समझने के लिए अधिक टाइम मिलेगा, जिससे फैसला लेने में आसानी होगी. फ्री-लुक अवधि के दौरान, पॉलिसीधारक सरेंडर शुल्क लगाए बिना पॉलिसी रद्द कर सकते हैं. यदि पॉलिसी इस समय सीमा के भीतर सरेंडर की जाती है तो बीमा कंपनी केवल विशिष्ट शुल्क काटकर पहला प्रीमियम वापस करने के लिए बाध्य है. यह प्रावधान उन पॉलिसीधारकों के लिए वित्तीय लचीलापन सुनिश्चित करता है जो अपनी बीमा खरीद पर पुनर्विचार करना चाहते हैं.