हैदराबाद: "हम स्वतंत्र, निष्पक्ष और नैतिक पत्रकारिता के लिए समर्पित हैं", आज हमारे देश के ज्यादातर अखबारों ने अपने विज्ञापन में इस पंक्ति को शामिल किया और इसे अपना आदर्श वाक्य बताया है, क्योंकि आज राष्ट्रीय प्रेस दिवस (16 नवंबर) है. शायद, कई मीडिया घरानों के लिए यह महज एक विज्ञापन हो सकता है. लेकिन ईनाडु ग्रुप के लिए यह लाइफलाइन है. 58 साल पहले 16 नंवबर को भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना की गई थी, इसका स्मरण करते हुए हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप मनाया जाता है.
प्रेस काउंसिल की स्थापना से 30 वर्ष पहले, ईनाडु के संस्थापक रामोजी राव का जन्म 16 नवंबर 1936 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पेदापरुपुडी गांव में हुआ था.
मीडिया जगत में रामोजी राव ने जो आयाम स्थापित किया है, वह आज भी मील का पत्थर है, जिसका अनुसरण अन्य मीडिया समूह भी करते हैं. उन्होंने अपने कार्यक्षेत्र को सिर्फ मीडिया तक ही सीमित नहीं रखा. उन्होंने वित्त, फिल्म निर्माण, स्टूडियो प्रबंधन, खाद्य, पर्यटन, होटल, हस्तशिल्प, कपड़ा, शिक्षा और कई अन्य क्षेत्रों में कदम रखा, जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिला.
रामोजी ग्रुप की कंपियों से टैक्स और शुल्क के रूप में सरकार को हजारों करोड़ रुपये मिले हैं. दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म सिटी 'रामोजी फिल्म सिटी' के बनने के बाद यहां 2.5 करोड़ से अधिक लोग घूमने आ चुके हैं.
इस साल की शुरुआत में रामोजी राव के निधन के बाद आज उनकी पहली जयंती है. इस अवसर पर हम उन्हें याद कर रहे हैं, यह कहना उचित होगा कि इस देश को रामोजी राव जैसे धन और रोजगार सृजनकर्ता की बहुत जरूरत है.
रामोजी राव साहसी व्यक्ति थे और जोखिम की परवाह किए बगैर बिना जानकारी वाले क्षेत्रों में कदम रखने का साहस रखते थे. उनके जीवन ने इस कहावत को सार्थक बनाया, "सिर्फ वही लोग जीवन में सफल हो सकते हैं जिनमें बड़े सपने देखने का असाधारण साहस होता है". स्टीव जॉब्स की यह पंक्ति, "जो लोग अपनी इस सोच को लेकर उतावले होते हैं कि वे दुनिया बदल सकते हैं, वही लोग ऐसा करते हैं", रामोजी राव पर बिल्कुल सटीक बैठती है. रामोजी राव अक्सर यह कहते थे कि उन्हें तभी खुशी मिलती है जब वे कुछ ऐसा करते हैं जो कोई और नहीं कर सकता.
दृढ़ इच्छाशक्ति
रामोजी राव ने 1974 में विशाखापट्टनम में तेलुगु अखाबर ईनाडु की शुरुआत की और चार साल के भीतर ही यह दैनिक समाचारपत्र शीर्ष स्थान पर पहुंच गया. उन्होंने एक साथ 26 जिलों में अखबार के संस्करण का विस्तार किया. 1983 में, उन्होंने अस्थिर राजनीतिक माहौल के बीच तेलुगु देशम पार्टी को अपना समर्थन दिया. अगले साल, उन्होंने एनटीआर सरकार को केंद्र सरकार द्वारा उखाड़ फेंकने के बाद लोकतंत्र को बहाल करने के लिए किए जा रहे आंदोलन में नई जान फूंकने का काम किया.
दिग्गज मीडिया बैरन ने विश्व प्रसिद्ध रामोजी फिल्म सिटी का निर्माण भी किया और भारत भर में कई भाषाओं में लोगों तक खबरें पहुंचाने के लिए ईटीवी चैनल और फिर ईटीवी भारत की स्थापना की.
रामोजी राव के लिए रोमांच भी सब कुछ जोखिम में डालने जैसा था. उन्होंने 2006 और 2022 में ईनाडु ग्रुप को खत्म करने की सरकार की साजिश के खिलाफ लड़ाई लड़ी. वे हमेशा कहते थे, "अगर दृढ़ निश्चय हो तो हमारे लिए कुछ असंभव नहीं है". उनकी विनम्रता हमेशा एक जैसी रही. उन्होंने जो ऊंचाइयां हासिल कीं और सत्ता में बैठे लोगों के साथ उनकी जो निकटता थी, उसका उनके व्यक्तित्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, क्योंकि वह किसी भी प्रभाव से मुक्त रहे.
रामोजी राव की एक खूबी यह थी कि वे चीजों को अलग तरह से देखते थे और अलग तरह से सोचते थे, जैसा कि वे हमेशा हमें 'लीक से हटकर सोचने' के लिए कहते थे. जिस भी व्यवसाय में उन्होंने कदम रखा, उन्होंने नई पहचान बनाई, उनका दृढ़ विश्वास ऐसा था कि वे हमेशा नतीजे की भविष्यवाणी कर सकते थे. 88 साल की उम्र में भी उनके विचार आधुनिक थे और उनका कमजोर स्वास्थ्य भी उनके विचारों में बाधा नहीं बन सका क्योंकि वे प्रतिभा के धनी थे. यहां तक कि उनके अंतिम दिनों में भी जब वे अस्पताल में भर्ती थे, तब भी स्थिति वैसी ही बनी रही.
जनकल्याण सर्वोपरि
रामोजी राव के लिए लोग भगवान की तरह थे. यहां यह बात ध्यान देने योग्य है कि वे नास्तिक रहे. वे हमेशा दूसरों के प्रति सहानुभूति रखते थे और जो भी करते थे उसमें जनता को प्राथमिकता देते थे. अगर व्यक्तिगत लाभ और जनकल्याण के बीच टकराव होता तो वे दृढ़ता से जनकल्याण के पक्ष में खड़े होते. जब लोकतंत्र खतरे में होता तो वे चिंतित हो उठते और जनता की रक्षा के लिए मीडिया को हथियार बना लेते.
तेलुगु भाषी लोगों के बीच ईनाडु के पाठकों की संख्या बहुत ज्यादा होने के बावजूद वे पेशेवर बने रहे. उन्होंने विश्वसनीयता को ऐसे सुरक्षित रखा जैसे कि यह उनका जीवन हो. आपदा के समय, वे अपने चैरिटी कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों के साथ खड़े रहे. उन्होंने ईनाडु के शुरुआती दिनों से ही यह संकल्प ले लिया था, जब यह केवल मामूली मुनाफा कमा रहा था.
उन्होंने 'ईनाडु रिलीफ फंड' शुरू किया और यह प्राकृतिक आपदाओं से तबाह हुए समुदायों और गांवों के पुनर्निर्माण में सहायक रहा है. 40 वर्षों में, इस फंड ने प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों के जीवन में सुधार लाने के लिए कई सौ करोड़ रुपये खर्च किए हैं. अकेले रामोजी फाउंडेशन ने जन कल्याण पर लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. उनके निधन के बाद, रामोजी ग्रुप की कंपनियां उसी राह पर चल रही हैं, जिस पर उन्होंने काम किया था.
तेलुगु को लेकर प्रेम
रामोजी राव का तेलुगु लोगों और भाषा के प्रति बेहद प्रेम था, जबकि उनकी सोच राष्ट्रीय थी. उनका मानना था कि तेलुगु राज्यों की समृद्धि तेलुगु भाषा की प्रगति से जुड़ी हुई है. चतुरा, विपुला, तेलुगु वेलुगु और बाल भारतम जैसी उनकी पत्रिकाओं में तेलुगु के प्रति उनका प्रेम स्पष्ट रूप से दिखाई देता है. उन्होंने अपने अखबार और कंपनियों का नाम तेलुगु के अनुरूप रखा.
रामोजी ग्रुप का उत्थान
रामोजी राव के जीवन में ग्रुप ने बहुत तरक्की की और आज भी विभिन्न क्षेत्रों में शीर्ष स्थान पर है. रामोजी राव ने ग्रुप को सफलता की राह पर ले जाने के लिए रात-दिन कड़ी मेहनत की. उन्होंने दिन में 14-16 घंटे काम किया. एक दैनिक अखबार का प्रबंधन करना कठिन काम है. इसके लिए हर पल कड़ी निगरानी की जरूरत होती है. शायद यही वजह थी कि संसाधनों से संपन्न होने के बावजूद उन्होंने विश्व भ्रमण करना पसंद नहीं किया.
जब उनसे उनकी सफलता का मंत्र पूछा जाता था तो वे कहते थे, "मेरी सफलता का राज है काम, काम, काम और फिर कड़ी मेहनत. जब मैं काम करता हूं तो मुझे सुकून मिलता है." इसके बाद वह यह भी कहते, "सफलता के लिए कोई शॉर्टकट नहीं है".
उनका मानना था कि सच्चे लीडर अपने उत्तराधिकारियों की पहचान जीवित रहते ही कर लेते हैं. असंभव लक्ष्यों को हासिल करने वाले रामोजी राव की जगह लेना आसान नहीं होगा. उनके विचार के अनुसार, उन्होंने रामोजी ग्रुप की कंपनियों के लिए अपने उत्तराधिकारियों की पहचान जीवित रहते ही कर ली थी. इससे ग्रुप का बिना किसी मतभेद के लयबद्ध ढंग से कार्य करना सुनिश्चित हुआ है.
आज, प्रिया फूड्स कंपनी, रामोजी राव के सपने के अनुरूप, उनकी सबसे बड़ी पोती सहरी (Sahari) की लीडरशिप में आगे बढ़ रही है. रामोजी खाद्य उत्पादों के साथ हेल्दी स्नैक्स बनाना चाहते थे. उनकी पोती उनके जन्मदिन पर इसे साकार कर रही हैं. "मैं रहूं या न रहूं, रामोजी ग्रुप लोगों की स्मृति में बना रहना चाहिए", यह उनकी इच्छा थी और प्रिया फूड्स के माध्यम से यह इच्छा पूरी हो रही है.
सत्ता परिवर्तन पर दृष्टिकोण
रामोजी राव कहते थे, "सत्ता परिवर्तन का मतलब यह नहीं है कि एक पार्टी चली जाए और दूसरी पार्टी सत्ता में आ जाए". वे चाहते थे कि भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर सत्ता में आए लोगों को उन आरोपों की जांच करनी चाहिए और अगर वे दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें दंडित किया जाना चाहिए और उनसे गलत तरीके से कमाया गया पैसा वसूल किया जाना चाहिए. अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो नई सरकार जनता को धोखा दे रही है.
रामोजी राव का जीवन एक प्रेरणा
रामोजी राव ने अपने जीवन में जो समर्पण, साहस और विपरीत परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता दिखाई, वह हमें प्रेरित करती है. अपने जीवन के माध्यम से, उन्होंने हमें सिखाया है कि हम बाधाओं को अवसरों में, चुनौतियों को सफलता में और असफलताओं को जीत की नींव में कैसे बदल सकते हैं. वे हमेशा राष्ट्र के लिए प्रेरणास्रोत बने रहेंगे.
सांझ का यह वादा है कि फिर सुबह होगी,
बड़े सपने देखने वालों वापस आओ,
हमें प्रकाश के मार्ग पर ले चलो!